Awake Brain Tumor Surgery: एम्‍स के डॉक्टरों का कमाल! बिना बेहोश किए 5 साल की बच्‍ची के सिर से निकाला ट्यूमर, जानें क्या है अवेक ब्रेन सर्जरी?

Awake Brain Tumor Surgery in AIIMS: यूपी के प्रयागराज से एम्स दिल्ली में इलाज करने आई बच्‍ची को लेफ्ट पेरिसिल्वियन इंट्राक्सियल ब्रेन ट्यूमर था. इस सफल सर्जरी के बाद उसने साबित कर दिया कि उम्र बस एक नंबर है. बच्‍ची ने पूरी सर्जरी के दौरान बेहतर तरीके से कॉपरेट किया और सर्जरी के बाद भी खुश और मुस्‍कुराती रही. 

Awake Brain Tumor Surgery in AIIMS
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:08 PM IST
  • प्रयागराज की बच्ची को था लेफ्ट पेरिसिल्वियन इंट्राक्सियल ब्रेन ट्यूमर
  • इतनी छोटी बच्‍ची की दुनिया में पहली बार हुई ऐसी सर्जरी

एम्स दिल्ली के डॉक्टरों ने एक बार फिर चमत्कार कर दिखाया है. जी हां, यहां के डॉक्टरों ने पांच साल की एक बच्ची के ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी उसे होश में रखते हुए की है. चिकित्सकीय भाषा में इसे अवेक क्रेनियोटोमी कहा जाता है. एम्स का दावा है कि अक्षिता नाम की यह लड़की इस तरह से ब्रेन ट्यूमर के सफल ऑपरेशन से गुजरने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की मरीज है. बच्ची अब पूरी तरह से ठीक है और सोमवार को उसे घर भेज दिया जाएगा. आइए जानते है क्या अवेक क्रेनियोटोमी और कैसे डॉक्टरों ने बच्ची का सफल सर्जरी की?

क्या है अवेक क्रेनियोटोमी?
दरअसल जब किसी को ब्रेन के मोटार एरिया में ट्यूमर होता है, यह एरिया स्पीच को प्रभावित करता है. तो सर्जरी से उसका उपचार किया जाता है. सर्जरी के दौरान अगर मरीज बातचीत करता रहता है तो पता चलता रहता है कि ट्यूमर निकालने का असर कहीं स्पीच एरिया पर तो नहीं हो रहा है. लेकिन यदि मरीज बात करना बंद कर देता है तो डॉक्टर समझ जाते हैं कि कोई दिक्कत हो रही है. ऐसे में सर्जरी को फौरन बंद करके उसकी जांच की जाती है. जांच में सब कुछ सही आने पर सर्जरी को दोबारा से शुरू किया जाता है. इससे सर्जरी सक्सेसफुल होती है.

कैसे होती है अवेक क्रेनियोटोमी?
ऑपरेशन थिएटर में आने के बाद सबसे पहले मरीज को हल्की नींद की दवा दी जाती है. उस दौरान मरीज को पूरी तरह से बेहोश नहीं किया जाता है. इसके बाद सिर की दोनों तरफ की 6-6 नसों में कुल 12 जगहों पर स्कल्प ब्लॉक में इंजेक्शन देते हैं. इससे बाहर की स्किन सुन्न हो जाती है. फिर ब्रेन को खोला जाता है, और ट्यूमर दिखने लगता है. जिसके बाद बेहोशी की दवा बंद कर दी जाती है. तब मरीज होश में आता है. ब्रेन सेंसिटिव नहीं होता है यानी ब्रेन को दर्द नहीं होता है, इसलिए मरीज को होश में रखते हुए सर्जरी की जाती है.

प्रयागराज से बच्ची को परिजन लेकर आए थे एम्स
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से एम्स दिल्ली में जनवरी के पहले सप्ताह में 5 साल 10 महीने की एक बच्ची आई. बच्ची को सिर में दर्द, उल्टी सहित अन्य परेशानी थी. समय-समय पर उसे दौरे भी आ रहे थे. एम्स में जांच के दौरान पता चला कि बच्ची के सिर में ट्यूमर है. इस ट्यूमर को हटाने के लिए करीब दो साल पहले भी एक सर्जरी हो चुकी थी. 

ट्यूमर निकालने के लिए बनाई एक टीम
उक्त सर्जरी के बाद ट्यूमर का कुछ हिस्सा सिर में रह गया था जिसे निकालना जरूरी था. बच्ची की हालत को देखते हुए एम्स के न्यूरो सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. दीपक गुप्ता, एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. मिहिर पांड्या सहित सात डॉक्टरों की एक टीम बनाई. टीम ने पूरे मामले को लेकर रणनीति तैयार की और निर्णय लिया कि बच्ची को बिना बेहोश किए सर्जरी की जाएगी. 

इतने घंटे चली सर्जरी
डॉ. मिहिर पांड्या ने बताया कि चार जनवरी को सात डॉक्टरों के साथ अन्य स्टाफ को भी इस सर्जरी में शामिल किया गया. टीम के कुछ सदस्यों ने बच्ची की निगरानी की जबकि अन्य सदस्यों ने सर्जरी शुरू की. सबसे पहले बच्ची की खोपड़ी में 16 इंजेक्शन लगाए गए. उसके बाद निरीक्षण किया गया. जब उसका सिर पूरी तरह से सुन हो गया तो डॉक्टरों ने सर्जरी शुरू की. करीब चार घंटे तक चली सर्जरी के बाद बच्ची के सिर से पूरी तरह से ट्यूमर निकाला जा सका. 

चुनौती भरा था यह केस
डॉक्टरों का कहना है कि काफी कम उम्र की बच्ची के सिर की सर्जरी काफी चुनौती भरा मामला रहा. इस मामले में एक छोटी सी गलती बच्ची की जान ले सकती थी. यहीं कारण है कि सर्जरी के दौरान डॉक्टरों की टीम ने एक-एक मिनट की निगरानी की. सर्जरी के हर पल पर उसके शरीर में होने वाले बदलाव व हरकत पर नजर रखी गई. इस सर्जरी में यह अच्छा रहा कि इस दौरान कभी भी ऐसा नहीं हुआ जब बच्ची के व्यवहार में कोई बदलाव दिखा हो. सर्जरी के बाद बच्ची पूरी तरह से ठीक है.

सर्जरी के दौरान बच्‍ची हंसती रही
डॉक्‍टर बच्‍ची की खोपड़ी को खोलकर ब्रेन में औजार घुसाकर सर्जरी कर रहे थे और बच्‍ची हंस रही थी व डॉक्‍टरों की बातों का लगातार जवाब दे रही थी. इस दौरान डॉक्‍टरों ने बच्‍ची से पूछा कि उसके मुंह में से दांत कहां गए तो बच्‍ची बोली कि चूहे ले गए. चूंकि इस सर्जरी में जब खोपड़ी खोलकर ब्रेन के पास पहुंचते हैं तो मरीज को पूरी तरह जगा दिया जाता है, इसलिए बच्‍ची को भी पूरी तरह उठा दिया गया और उससे लगातार बातें की गईं, उसे फोटो और वीडियो दिखाई गईं, उससे बुलवाया गया और हाथ-पैर उठाने के लिए कहा गया.

स्मरण शक्ति जानें को दिखाई प्रधानमंत्री की फोटो
प्रोफेसर मिहिर पांड्या ने बताया कि सर्जरी के दौरान अच्छी बात यह रही कि बच्ची की तरफ से पूरा सहयोग मिला. बच्ची ने दर्द होने की कोई शिकायत नहीं की. बच्ची की स्मरण शक्ति को जानने के लिए उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर भी दिखाई गई. जिसे उसने तुरंत पहचान लिया. सर्जरी के दौरान बच्चे से उसका नाम, परिवार में कौन-कौन, किस कक्षा में पढ़ती हो जैसे सवाल करते रहे. 

बच्ची को था यह ट्यूमर
बच्ची को लेफ्ट पेरिसिल्वियन इंट्राक्सियल ब्रेन ट्यूमर था. डॉक्टरों का कहना है कि यह किसी को भी हो सकता है. ब्रेन ट्यूमर होने पर सिर में दर्द, उल्टी आना, चलने, हाथ उठाने में दिक्कत होना, दौरा पड़ना जैसे लक्षण दिखते हैं. यदि किसी में ऐसा होता है तो तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करना चाहिए.


 

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