अपनी काबिलियत पर शक...अपने साथियों से खुद की तुलना करना, अनन्या पांडे की तरह कहीं आप भी तो नहीं इम्पोस्टर सिंड्रोम के शिकार

अनन्या पांडे की फिल्म 'CTRL' नेटफ्लिक्स पर रिलीज हो गई है. इस फिल्म के प्रमोशन के दौरान अनन्या ने बताया कि वो इम्पोस्टर सिंड्रोम से पीड़ित हैं.

Ananya Pandey
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST
  • अनन्या पांडे को है इम्पोस्टर सिंड्रोम
  • कैसे जानें कि आपको इम्पोस्टर सिंड्रोम है

शीना जब कॉलेज में थी तो उसे हर बार लगता था वो फेल हो जाएगी, परीक्षा के लिए उसकी तैयारी पूरी नहीं है लेकिन जब परिणाम आते तो शीना को यकीन नहीं होता. वो हर बार अच्छे नंबर लाती लेकिन शीना के मन में हमेशा ये फीलिंग रहती कि ये नंबर उनकी मेहनत की वजह से नहीं बल्कि किस्मत से आए हैं.

क्या आपको भी होता है खुद की क्षमताओं पर संदेह?
हमारे आस-पास भी शीना जैसे कई लोग हैं, जिन्हें खुद की क्षमताओं पर संदेह होता है. ऐसे लोग चाहे कितने भी कामयाब क्यों न हो जाएं उन्हें हमेशा लगता है कि सामने वाला उनसे कहीं बेहतर है. हमारे और आप जैसे ही नहीं कई बड़े सेलिब्रिटीज भी इस बीमारी से पीड़ित रह चुके हैं. अमेरिका की पूर्व फर्स्ट लेडी मिशेल ओबामा, फेसबुक की पूर्व COO शेरिल सैंडबर्ग, एक्ट्रेस सान्या मल्होत्रा भी इसकी शिकार रह चुकी हैं.

अनन्या पांडे को है इम्पोस्टर सिंड्रोम
अनन्या पांडे ने 'CTRL' फिल्म के प्रमोशन के दौरान अनन्या ने बताया कि वो इम्पोस्टर सिंड्रोम से पीड़ित हैं. अनन्या ने कहा, "मैं इम्पोस्टर सिंड्रोम से पीड़ित हूं. ये सिंड्रोम किसी साधारण सी बात से शुरू होती है, जैसे कि जब कोई मेरा नाम लेता है तो मुझे लगता है कि मेरा नाम असल में मेरा है ही नहीं. जब ऐसा होता है तो मुझे अचानक किसी और की तरह बनने का मन करता है."

इम्पोस्टर सिंड्रोम

खुद को अपना आलोचक मानती हैं अनन्या
अनन्या कहती हैं, "जब मैं खुद को किसी बिलबोर्ड या पोस्टर में देखती हूं तो मुझे लगता है कि ये मैं नहीं हूं. मैं भूल जाती हूं कि सामने या पर्दे पर मैं ही नजर आ रही हूं. मैं अपना चेहरा भूल जाती हूं. मुझे अपनी काबिलियत पर भरोसा ही नहीं होता. मैं अपनी सबसे बड़ी आलोचक हूं. मुझे कभी मैं बेहतरीन नहीं लगती."

क्या है इम्पोस्टर सिंड्रोम
इम्पोस्टर सिंड्रोम में लोग जानते हैं कि वह क्या कर रहे हैं, लेकिन अक्सर ही खोया हुआ महसूस करते हैं, लोगों के मन में इस बात का डर हमेशा सताता है कि वो सामने वाले से कम काबिल हैं. इसका असर सिर्फ पर्सनल लाइफ ही नहीं वर्कप्लेस और रिलेशन पर भी पड़ने लगता है. लोग किसी भी उम्र के पड़ाव पर इस मानसिक स्थिति से गुजर सकते हैं.

कैसे जानें कि आपको इम्पोस्टर सिंड्रोम है

  • हर वक्त गिल्ट फील करना, कामयाब होने के बाद भी डर महसूस करना.

  • खुद की लिमिट तय कर लेना.

  • कॉन्फिडेंस का दिखाना करना.

  • किसी से मदद मांगने, सुझाव देने में असर्मथ महसूस करना.

  • अपने ही काम पर शक करना.

  • अपने स्किल और क्षमता को सही तरह न समझ पाना.

  • अपनी सफलता का श्रेय दूसरी चीजों को देना.

  • अपनी अच्छी परफॉर्मेंस से भी खुश न रहना.

  • अगर आप अपने अचीवमेंट्स को नकारते हैं तो संभव है कि आप इम्पोस्टर सिंड्रोम से पीड़ित हैं.

इम्पोस्टर सिंड्रोम

इम्पोस्टर सिंड्रोम को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
हमेशा ये सोच रखना कि अगला व्यक्ति आपसे ज्यादा काबिल है और ये सोचकर परेशान रहना तनाव लेना एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति खुद को हमेशा कमजोर समझता है. इस सिंड्रोम में काम में सफल होने के बावजूद लोग खुद को कामयाब नहीं मानते इस वजह से उनका आत्मविश्वास घटने लगता है. लोग अपनी अच्छी चीजों के बजाय छोटी गलतियों पर ज्यादा फोकस करने लगते हैं.

इंपोस्टर सिंड्रोम से बचने के तरीके

  • अपनी उपलब्धियों के लिए खुद को क्रेडिट देना गलत नहीं हैं. इससे आप बड़बोले नजर नहीं आते हैं. 

  • अगर मन में निगेटिव विचार आए तो दूसरों के साथ शेयर करें.

  • अपनी तुलना किसी दूसरों से न करें. इससे आपके अंदर का आत्मविश्वास कम होने लगेगा.

  • अपनी क्षमताओं को समझने की कोशिश करें.

  • खुद की कामयाबी पर भी उसी तरह बात करें जैसे आप दूसरों की कामयाबी पर करते हैं.

 

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