आप भी पहन रही हैं टाइट Saree और Jeans? हो सकता है Skin से जुड़ा ये Cancer, जानें कैसे करें बचाव 

साड़ी से होने वाले इस कैंसर के लिए पहनावे से ज्यादा साफ-सफाई जिम्मेदार है. जहां ज्यादा गर्मी और नमी होती है, वहां इस कैंसर के होने का खतरा ज्यादा होता है. मेडिकल भाषा में इस तरह के कैंसर को स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा कहा जाता है.

Saree Cancer (Photo: Getty Images)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST
  • हो सकता है ये स्किन से जुड़ा कैंसर
  • इसके खतरे को करें कम 
  • साफ सफाई है जिम्मेदार

भारत में ज्यादातर महिलाओं को साड़ियां पहनने का शौक होता है. साढ़े पांच से छह मीटर लंबा ये कपड़ा आज पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है. साड़ी को दुनियाभर में भारतीयों की पहचान के रूप में देखा जाता है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि साड़ी कैंसर का कारण बन सकती है. इसके अलावा वो सभी कपड़े जो गलत तरीके से पहने जा रहे हैं, तो कैंसर का कारण बन सकते हैं. साड़ी कैंसर उन महिलाओं को ज्यादा हो ने संभावना होती है जो ज्यादातर साड़ी ही पहनती हैं.

साफ सफाई है जिम्मेदार 

दरअसल , साड़ी को बांधने के लिए सूती पेटीकोट को सूती धागे से कमर के चारों ओर कसकर बांधा जाता है.अगर कोई महिला एक ही कपड़ा लंबे समय तक पहनती है तो इससे उसकी कमर पर रगड़ लगने लगती है, वहां की स्किन छिलने लगती है और काली पड़ जाती है. इससे कैंसर हो सकता है. 

साड़ी से होने वाले इस कैंसर के लिए पहनावे से ज्यादा साफ-सफाई जिम्मेदार है. जहां ज्यादा गर्मी और नमी होती है, वहां इस कैंसर के होने का खतरा ज्यादा होता है. मेडिकल भाषा में इस तरह के कैंसर को स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (SCC) कहा जाता है. कपड़ों की दूसरी चीजें जैसे टाइट जींस, को भी कैंसर के खतरे से जोड़ा गया है, जिससे हेल्थ एक्सपर्ट के बीच चिंता पैदा हो गई है.

साड़ी कैंसर कैसे होता है?

स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (SCC), जिसे बोलचाल की भाषा में "साड़ी कैंसर" के रूप में जाना जाता है, एक तरह का स्किन कैंसर है जो पुरानी जलन या रगड़ के संपर्क में आने वाले क्षेत्रों में हो सकता है. हालांकि साड़ियां स्वाभाविक रूप से कैंसर का कारण नहीं बन सकती हैं, लेकिन सूती धागे के साथ कमर के चारों ओर सूती पेटीकोट को कसकर बांधने से, लंबे समय तक पहनने से स्किन को नुकसान हो सकता है. यह बार-बार होने वाली रगड़ एससीसी की शुरुआत को ट्रिगर कर सकती है. खासकर बिहार और झारखंड जैसे ज्यादा गर्मी और ह्यूमिडिटी वाले क्षेत्रों में इसके होने का ज्यादा खतरा है. 

इसपर हुई है रिसर्च 

मुंबई के आरएन कूपर अस्पताल में किए गए शोध में इस कैंसर का पता चला है. विशेष रूप से, एक 68 साल की महिला जो 13 साल की उम्र से साड़ी पहन रही थी, उनमें एससीसी का पता चला था. मेडिकल प्रोफेशनल्स ने स्किन से जुड़ी इस बीमारी को "साड़ी कैंसर" का रूप दे दिया और इसी से साड़ी कैंसर शब्द गढ़ा गया. 

इसके खतरे को ऐसे करें कम 

-ढीले-फिटिंग वाले कपड़े पहनें: रगड़ को कम करने और स्किन की जलन को कम करने के लिए ढीले-ढाले साड़ियों और पेटीकोट का विकल्प चुनें.

-स्वच्छता सुनिश्चित करें: स्किन खराब न हो और इसमें बैक्टीरिया की  वजह से इंफेक्शन न हो इसके लिए साफ सफाई रखें.

-आरामदायक अंडरगारमेंट्स चुनें: घर्षण को कम करने और आराम बढ़ाने के लिए पेटीकोट के नीचे शेपवियर या आरामदायक अंडरगारमेंट्स पहनें.

-चौड़ी डोरियों का उपयोग करें: दबाव कम करने के लिए चौड़ी डोरियों का उपयोग करें. स्किन की जलन को कम करने के लिए पतली, रस्सी जैसी डोरियों के बजाय चौड़ी, बेल्ट जैसी डोरियों को चुनें. 

-नियमित स्किन की जांच: अगर स्किन में कुछ भी अलग दिख रहा है या घाव नजर आ रहा है तो तुरंत उसको टेस्ट करवाएं.

-धूप से सुरक्षा: विशेष रूप से पीक आवर्स के दौरान धूप में निकलना सीमित करें, और जो स्किन कवर नहीं की है उसे यूवी रेडिएशन से बचाने के लिए हाई एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का उपयोग करें.   


 

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