देशभर में हार्ट अटैक के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हार्ट अटैक आने का एक बड़ा कारण शरीर में बने ब्लड क्लॉट भी होते हैं. ये क्लॉट किसी भी व्यक्ति के शरीर में बन जाते हैं जिसकी वजह से ब्लड का फ्लो सही तरीके से नहीं हो पाता. इन दिनों हार्ट की आर्टरी में ब्लड क्लॉट के केस ज्यादा आ रहे हैं. इसे थ्रोम्बोसिस कहते हैं. सभी अस्पतालों में इस बीमारी के इलाज का तरीका अलग-अलग है.
पेनुम्ब्रा फ्लैश तकनीक के जरिए हटाए गए ब्लड क्लॉट
गुड़गांव स्थित मेदांता अस्पताल में थ्रोम्बोसिस का इलाज AI बेस्ड तकनीक Penumbra Flash 12 F Catheter तकनीक से किया जाता है. हाल ही में मेदांता ग्रुप के चेयरमैन और प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहान ने अपनी टीम के साथ Penumbra Flash 12 F Catheter तकनीक के जरिए सफल सर्जरी को अंजाम दिया है. इसके जरिए Pulmonary Embolism से पीड़ित 62 वर्षीय मरीज के फेफड़े में मौजूद ब्लड क्लॉट को हटाया गया.
इस तकनीक को अपनाने वाला मेदांता भारत का पहला अस्पताल
मेदांता इस तकनीक को अपनाने वाला भारत का पहला अस्पताल है. जुलाई 2023 से इस तकनीक के जरिए अबतक 25 मरीजों की सर्जरी की जा चुकी है. इसके जरिए कम से कम खून बहता है और मरीज की रिकवरी भी तेजी से होती है. मरीज को लंबे समय तक अस्पताल में रहने की जरूरत भी नहीं पड़ती है. बता दें, Pulmonary Embolism एक खून का थक्का (Blood Clot) है जो फेफड़ों में मौजूद धमनी में ब्लड फ्लो को ब्लॉक या बंद कर देता है.
प्रक्रिया में लगा महज 15 मिनट का समय
मेदांता ग्रुप के चेयरमैन और प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. नरेश त्रेहन कहते हैं, इस AI बेस्ड तकनीक के जरिए सीने और धमनियों को बिना खोले ही ब्लड क्लॉट को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है. इस प्रक्रिया में 15 मिनट का समय लगता है. पहले हमें इसके लिए बड़ा ऑपरेशन करना पड़ता था और रिस्क भी काफी ज्यादा होता था.
सर्जरी में शामिल डॉ. तरूण ग्रोवर कहते हैं, मरीज को सांस लेने में तकलीफ, पैर में दर्द और सूजन के बाद इमरजेंसी में लाया गया था. हमने Penumbra Flash 12 F catheter के जरिए उनके लंग में मौजूद ब्लड क्लॉट हटाए. जिसके बाद उन्हें दर्द और सूजन से तुरंत राहत मिली. ट्रीटमेंट इंस्ट्रक्शन के बाद मरीज को 48 दिनों के अंदर ही अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा सकेगा. सर्जरी की ये प्रक्रिया लोकल एनेस्थीसिया देकर की जाती है ताकि मरीज इस पूरी प्रक्रिया को देख पाए.
डॉ. नरेश त्रेहन कहते हैं, इस तकनीक के जरिए Pulmonary Embolism से पीड़ित मरीजों का तेजी से और बेहतर इलाज संभव हो सकेगा. इस गंभीर स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मेदांता ने पीईआरटी (पल्मोनरी एम्बोलिज्म इंटरवेंशन एंड रिस्पांस टीम) प्रोग्राम शुरू किया है. ये प्रोग्राम भारत में Pulmonary Embolism के बढ़ते मामलों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए समर्पित है. PEiRT प्रोग्राम को एक खास टीम द्वारा संचालित किया जाता है. जिसमें सभी मामलों के एक्सपर्ट शामिल होते हैं.
क्या सावधानियां बरती जा सकती हैं, इस पर डॉ. त्रेहान ने कहा, ''जांच नहीं की जा रही है. लोगों को दिल के दौरे पड़ रहे हैं. हमारे मरीज के केस में उसे तब तक पता नहीं चला जब तक उसे सांस लेने में तकलीफ नहीं हुई. कई लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते लेकिन छोटी सी मामूली चीज भी आपके जीवन के लिए खतरा बन सकती है. अगर अभी सर्जरी नहीं की गई होती तो हो सकता है और क्लॉट बन गए होते और शरीर के पूरे सिस्टम को ब्लॉक कर देते. इसलिए किभी भी छोटी चीज को हल्के में न लें. चेकअप कराएं और डॉक्टर से संपर्क करें.''
(मिलन शर्मा की रिपोर्ट)