Black Fungus Treatment: केजीएमयू के डॉक्टरों का कमाल! अब मात्र 30 रुपये की दवा से हो सकेगा ब्लैक फंगस का सफल इलाज

ब्लैक फंगस बीमारी कोई नई नहीं है. इसके इलाज के लिए एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन इस्तेमाल में लाया जाता था जिसकी कीमत लगभग दो हजार रुपए है, इसके अलावा दो और दवाएं भी बाजार में उपलब्ध हैं जिनमें पोसाकोनाजोल और इसावुकोनोजोल है.

Black Fungus
सत्यम मिश्रा
  • लखनऊ ,
  • 24 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:56 PM IST
  • ब्लैक फंगस फंगल डिजीज है.
  • सांस के जरिए वातावरण में मौजूद फंगस हमारे शरीर में पहुंचते हैं.

आंखों में होने वाले ब्लैक फंगस (Black Fungus) जैसे संक्रमण के इलाज के लिए अब जेब ज्यादा ढीली नहीं करनी पड़ेगी. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (King George Medical University) ने केवल 30 रुपए की गोली से ब्लैक फंगस के रोग को ठीक करने में सफलता प्राप्त की है. ये एक गंभार संक्रमण हैं और अगर इसे शुरुआती दौर में ही डिटेक्ट नहीं किया जाता तो आंखों की रोशनी जा सकती है. 

इट्राकोनोजोल दवा कारगर साबित हुई
आंखों के ब्लैक फंगस संक्रमण को ठीक करने के लिए इट्राकोनोजोल नाम की दवा कारगर साबित हुई है जिसके चलते केजीएमयू के इस सफल शोध के बाद जर्नल स्प्रिंगर ने इसे प्रकाशित कर इसको मान्यता दी है. वहीं केजीएमयू संक्रामक रोग के चीफ डॉ. डी हिमांशु ने बताया कि कोविड के दौरान जब कोरोना मरीज का ट्रीटमेंट होता था या जो मरीज सही हो जाते थे तो उन मरीजों में ब्लैक फंगस की दिक्कतें देखने को मिल रही थीं. क्योंकि इस दौरान इलाज के लिए कई तरह के स्टेरॉइड का इस्तेमाल किया जाता था, जिससे आंखों में ब्लैक फंगस होने लगते थे.

ब्लैक फंगस की दवाईयां महंगी
ब्लैक फंगस बीमारी कोई नई नहीं है. इसके इलाज के लिए एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन इस्तेमाल में लाया जाता था जिसकी कीमत लगभग दो हजार रुपए है, इसके अलावा दो और दवाएं भी बाजार में उपलब्ध हैं जिनमें पोसाकोनाजोल और इसावुकोनोजोल है. पोसाकोनाजोल टैबलेट 450 रुपए तक आती है लेकिन वहीं इसावुकोनोजोल की एक गोली की कीमत 5800 रुपए के आसपास है. डॉ. हिमांशु ने बताया कि रिसर्च के वक्त फंगल इंफेक्शन के मरीज को इट्राकोनोजोल दवा 6 महीने तक दो-दो गोली रोज खाने के लिए दी गई, इसके आश्चर्यजनक नतीजे सामने आए और मरीज के आंख में मौजूद ब्लैक फंगस बीमारी पूरी तरह से ठीक हो गई और वह स्वस्थ हो गया.

क्या है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस एक दुर्लभ संक्रमण है. यह म्यूकोर मोल्ड के संपर्क में आने के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद और सड़ते फलों और सब्जियों में पाया जाता है. ज्यादातर सांस के जरिए वातावरण में मौजूद फंगस हमारे शरीर में पहुंचते हैं. चेहरे पर सूजन, सिरदर्द होना, नाक बंद होना, उल्टी, बुखार, चेस्ट पेन होना, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव होना इसके कुछ सामान्य लक्षण हैं.

 

-सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट

 

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