यूपी के गोरखपुर स्थित बीआरडी मेडिकल कालेज के एक डॉक्टर इलाज के दौरान किसी संक्रमित से संपर्क में आ गए थे, जिसकी वजह से उनमें स्वाइन फ़्लू के लक्षण मिले. जानकारी के मुताबिक करीब हफ्ते भर पहले उन्हें तेज बुखार हुआ था और साथ ही बदन में दर्द था. सांस भी फूलने लगी थी. शरीर में अकड़न की भी शिकायत थी. ऐसे में सहकर्मियों ने उन्हें दर्द व बुखार की दवा देने के साथ आराम करने की सलाह दी. बताया गया कि प्रारंभिक इलाज से उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ. बुखार चढ़ने लगा, हालत बिगड़ने लगी. ऐसे में डॉक्टरों ने उनकी डेंगू, मलेरिया और कोविड की जांच कराई. तीनों के रिपोर्ट निगेटिव रहे.
स्वाइन फ्लू जांच के रिपोर्ट पॉजिटिव आए
एहतियातन उनकी स्वाइन फ्लू की जांच कराई गई. इस जांच के रिपोर्ट पॉजिटिव आ गए. इसके बाद तो हड़कंप मच गया, मरीज की हालत बिगड़ने लगी. जिसके बाद उन्हें दो दिन तक मेडिकल कॉलेज के पास के निजी अस्पताल में भर्ती रखा गया. वहां से हालत में सुधार होने पर उन्हें डिस्चार्ज किया गया.
इस मामले में मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि एक डॉक्टर के बीमार होने की जानकारी है. उनके स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने की जानकारी नहीं है. इस मामले में स्वाइन फ्लू प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा. कैंपस में इलाज के लिए आने वाले बुखार के मरीजों की स्वाइन फ्लू जांच भी कराई जाएगी.
स्वाइन फ्लू के लक्षण
जिला अस्पताल के डॉक्टर राजेश कुमार के अनुसार H1N1 वायरस के कारण होने वाले फ्लू के लक्षण अन्य फ्लू उपभेदों के कारण होनेवाले संक्रमण के समान होते हैं और इसमें शामिल हो सकते हैं.
बच्चों में ये लक्षण शामिल हो सकते हैं
सांस लेने में दिक्कत, नीले होंठ पड़ना, छाती में दर्द, बुखार आना लेकिन हमेशा नहीं, ठंड लगना, खांसी, गला खराब होना, बहती या भरी हुई नाक, पानीदार, लाल आँखें, शरीर में दर्द, सिरदर्द, थकान, दस्त, डीहायड्रेशन, मचली और उल्टी आना.
वही वयस्कों में ये लक्षण मिल सकते है, जैसे कि सांस लेने में कठिनाई या सांस की तकलीफ, छाती में दर्द, लगातार चक्कर आना, गंभीर कमजोरी या मांसपेशियों में दर्द, मौजूदा चिकित्सा स्थितियों का बिगड़ना.
बचाव
जिला अस्पताल के डॉक्टर राजेश कुमार ने लोगों को सुझाव दिया है जोकि इस प्रकार है. बता दें कि ये उपाय फ्लू को रोकने और इसके प्रसार को सीमित करने में भी मदद करते हैं.
अपने हाथों को अच्छी तरह से और बार-बार धोएं.
साबुन और पानी का उपयोग करें, अगर वो उपलब्ध नहीं है, तो अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करें.
अपनी खांसी और छींक को ढकें.
एक ऊतक या अपनी कोहनी में खांसना या छींकना. फिर हाथ धो लें.
अपने चेहरे को छूने से बचें.
अपनी आंख, नाक और मुंह को छूने से बचें.
आपके शरीर में वायरस वाली सतह से संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए अक्सर छुई जाने वाली सतहों को नियमित रूप से साफ करें.
संपर्क से बचें और हो सके तो भीड़-भाड़ से दूर रहें.
(रिपोर्ट- रवि गुप्ता)