Breakthrough Gene-therapy का कमाल... सुनने लगा 11 साल का बहरा बच्चा, डॉक्टरों को भी नहीं था यकीन

ब्रेकथ्रू जीन थेरेपी की मदद से एक बहरा बच्चा दोबारा से सुनने लगा है. 4 अक्टूबर को बच्चे का ऑपरेशन हुआ था और अब 4 महीने बाद धीरे-धीरे उसकी आवाज वापस आना शुरू हुई है.

Unable to hear
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:25 PM IST

मोरक्को में एक गरीब परिवार में पैदा हुआ ऐसाम डैम 11 साल से मौन जिंदगी जी रहा था. ऐसाम बहरा पैदा हुआ था. ऐसाम डैम के एक जीन में एक बेहद दुर्लभ असामान्यता थी जिसके कारण वह बचपन से ही सुन नहीं पाता था. लेकिन अमेरिका में फिलाडेल्फिया के एक अस्पताल में उसका इलाज हुआ और जीन थेरेपी की मदद से वो फिर से सुनने लगा है.

डॉक्टरों को भी नहीं था यकीन
ऐसाम डैम बातचीत करने के लिए सांकेतिक भाषा का प्रयोग करता था. पिछले साल, स्पेन जाने के बाद, उसका परिवार उसे एक हियरिंग स्पेशलिस्ट के पास ले गया, जिन्होंने उसकी इस बीमारी के लिए एक अजीबोगरीब सुझाव दिया. डॉक्टर का कहना था कि वो ऐसाम पर जीन थेरेपी ट्राई करेंगे. 4 अक्टूबर को ऐसाम का इलाज फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन हॉस्पिटल में किया गया, जिससे वह अमेरिका में जन्मजात बहरेपन के लिए जीन थेरेपी से इलाज पाने वाला पहला इंसान बन गया.

डॉक्टरों का मकसद उसको सुनने के काबिल बनाना था लेकिन वह भी इस बात के लिए निश्चिंत नहीं थे कि वह सुना पाएगा या नहीं और अगर वह सुनने भी लगता है तो कितना सुन पाएगा. थेरेपी कामयाब रही और बच्चा सुनने लगा. अस्पताल ने एक बयान में कहा कि यह सफलता दुनियाभर के उन मरीजों के लिए मील का पत्थर है जो जेनेटिक म्युटेशंस के कारण सुनने की क्षमता खो देते हैं.

पिछले 20 सालों से इस पर कर रहे थे काम
फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन हॉस्पिटल के कर्ण-रोग विभाग (Department of Otolaryngology) में क्लीनिकल रिसर्च डायरेक्टर डॉ. जॉन जर्मिलर ने कहा, 'बहरेपन के लिए जीन थेरेपी एक ऐसी तकनीक है जिस पर हम वैज्ञानिक और डॉक्टर पिछले 20 साल से काम कर रहे थे. आखिरकार इसमें सफलता मिल गई है.' डॉ. जर्मिलर ने बताया कि यह थेरेपी 150 अन्य जीन्स पर काम कर सकती है. उन्होंने कहा, 'हमने जो इलाज किया है उसमें जीन थेरेपी से एक बहुत दुर्लभ जीन की असामान्यता को ठीक किया गया है. लेकिन इस अध्ययन से भविष्य में 150 से ज्यादा जीन-असामान्यताएं ठीक करने का रास्ता खुल सकता है, जिनके कारण बच्चों में बहरापन होता है.'

जो बच्चे सुन नहीं सकते उनमें एक डिफेक्टिव जीन होता है जिसकी वजह से उनके कानों में ओटोफेरलिन नाम के प्रोटीन का निर्माण नहीं हो पाता है. यह वही प्रोटीन है जो कान के अंदर बालों के लिए जिम्मेदार होता है. कानों के अंदर ये बाल ध्वनि तरंगों को रसायनिक संकेतों में बदलते हैं और ब्रेन तक भेजते हैं. जो बच्चे पैदा होते ही नहीं सुन सकते हैं उनमें से आठ फीसदी इस मामले की वजह से होते हैं.

कैसे हुई सर्जरी
इस सर्जरी में ऐसाम के कान में एक वायरस डाला गया. इस वायरस ने ओटोफेरलिन जीन की नकल को काम के अंदर तक पहुंचाया. वायरस की मदद से कोशिकाएं ओटोफेरलिन प्रोटीन बनाने लगीं और कान की क्रिया ठीक हो गई. सर्जरी के बाद ऐसाम कुछ हद तक सुन पा रहा है. अस्पताल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि ऐसाम ने "अपनी जिंदगी में पहली बार कोई आवाज सुनी है.”

 

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