वैज्ञानिकों ने एक नई सुपर-फास्ट स्कैनिंग तकनीक विकसित की है, जो महज 10 मिनट में 3D स्कैन कर सकती है. यह तकनीक खासतौर पर उन महिलाओं के लिए तैयार की गई है, जिनमें पारंपरिक मैमोग्राम ट्यूमर पकड़ने में असफल रहते हैं.
10 मिनट में 3D स्कैन कर सकती है यह तकनीक
इस तकनीक को Ultra-Fast Molecular Breast Imaging (UFMBI) कहा जा रहा है और इसका प्रोटोटाइप न्यूकैसल में ट्रायल के दौर में है. ये तकनीक स्कैनिंग के लिए tracer का इस्तेमाल करके शरीर में मौजूद कैंसर सेल्स को लाइट अप देती है. जिससे डॉक्टर्स को साफ-साफ दिखता है कि कैंसर कहां है. अच्छी बात ये है कि इसमें Radiation भी बहुत कम होता है. इसकी रिपोर्ट भी जल्दी मिलती है और कीमत भी कम है.
महिलाओं के लिए फायदेमंद होगी यह तकनीक
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए फायदेमंद होगी जिनके ब्रेस्ट टिशू घने होते हैं. यह स्थिति लगभग 40% महिलाओं में पाई जाती है. ऐसी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा थोड़ा अधिक होता है.
ब्रेस्ट कैंसर स्कैनिंग में क्रांतिकारी बदलाव
जल्द ही इसका क्लीनिकल ट्रायल शुरू किया जाएगा. यह तकनीक न केवल ब्रेस्ट कैंसर स्कैनिंग में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है, बल्कि यह न्यूक्लियर मेडिसिन के अन्य क्षेत्रों में भी उपयोगी साबित हो सकती है. डॉक्टर्स का कहना है कि अगर शुरुआती स्टेज में कैंसर का पता चल जाए तो सही ट्रीटमेंट से इसे ठीक किया जा सकता है.
कैसे काम करती है ये तकनीक
इस तकनीक में कैडमियम जिंक टेलुराइड डिटेक्टर और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक्स का उपयोग किया गया है, जिससे यह पारंपरिक 2D स्कैन को एक सटीक 3D इमेज में बदल देती है. इस जांच में डॉक्टर Radioactive दवा आपकी नस में इंजेक्ट करते हैं. यह दवा शरीर में जाकर खासतौर पर स्तनों में इकट्ठा होती है, जहां कैंसर सेल्स हो सकते हैं. इसके बाद Gamma Camera इस दवा से निकलने वाली रेडिएशन को पकड़ता है, जिन हिस्सों में ज्यादा रेडिएशन होता है, वे तस्वीरों में साफ दिखते हैं, जिससे पता चल सकता है कि वहां कैंसर है या नहीं.
UCL के प्रोफेसर क्रिस थिएलमैन्स ने कहा, “हम इस तकनीक को विकसित करके ब्रेस्ट कैंसर की प्रारंभिक पहचान को और सुलभ और प्रभावी बनाने के करीब पहुंच रहे हैं. हमारी उम्मीद है कि यह तकनीक भविष्य में बेहतर स्वास्थ्य परिणामों में अहम भूमिका निभाएगी।”
कैंसर के ज्यादातर मामले तीसरी-चौथी स्टेज में जाकर पता चलते हैं. इसलिए इलाज मुश्किल हो जाता है और पेशेंट के बचने की संभावना भी कम हो जाती है लेकिन यह तकनीक आने वाले सालों में महिलाओं में कैंसर को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिनमें पारंपरिक जांच के माध्यम से बीमारी का पता लगाना कठिन होता है.