2050 तक दुनिया के इतने लोग हो सकते हैं मायोपिया का शिकार, जानिए इससे कैसे बचें

Myopia:: ये दावा है कि 2050 तक पूरी दुनिया में आधी आबादी मायोपिक होगी. इसकी सबसे बड़ी वजह डिजिटलीकरण और स्क्रीन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होगा.

मायोपिया
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 05 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 4:42 PM IST

मायोपिया आंखों को प्रभावित करने वाली एक सामान्य बीमारी है. इस बीमारी में मरीज को पास की चीजें साफ लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखाई पड़ती है. मायोपिया में आंखो की पुतली (आई बॉल) का आकार बढ़ने की वजह से आखों की रेटिना पर पड़ने वाली रौशनी रेटिना के थोड़ा आगे पड़ती हैं. जिससे दूर की चींजे धूंधली दिखाई देती हैं. 

मायोपिया के कारण:
 
ये दावा है कि  2050 तक  पूरी दुनिया में आधी आबादी मायोपिक होगी. इसकी सबसे बड़ी वजह डिजिटलीकरण और स्क्रीन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल होगा. आने वाले वक्त में मायोपिया होने की वजह कम धूप का इस्तेमाल करना भी होगा. 

इसके अलावा मायोपिया होने की ये वजहें हैं. 

खराब लाइफस्टाइल
आईबॉल की लंबाई बढ़ना
कॉर्निया का बेहद सुडौल हो जाना.
नशा करना
पढ़ते या स्क्रीन पर कुछ देखते समय दूरी का ध्यान ना रखना

मायोपिया के लक्षण 

हर बीमारी की तरह मायोपिया के भी खास लक्षण हैं. जैसे 

दूर की चीजें धुंधली दिखाई देना
बार-बार पलक झपकना
स्क्रीन के बेहद करीब बैठना
सिर दर्द होना
साफ देखने के लिए आखों को तिरछा या बंद करना. 

मायोपिया का इलाज 

मायोपिया का इलाज नॉन सर्जिकल और सर्जिकल दोनों तरह से किया जाता है.

नॉन सर्जिकल इलाज 

इसमें चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस का इस्तेमाल किया जाता है. चश्मे या कॉन्टैकट लेंस में जितना निगेटिव नंबर होता है मायोपिया उतना ही गंभीर होता है

मायोपिया का सर्जिकल इलाज

इसमें आंखों की सर्जरी की जाती है. सर्जरी में लेजर की मदद से आंखों की सतहों को नया आकार दिया जाता है. सर्जरी के बाद मरीज को कुछ दिनों तक एक पट्टी वाला कॉन्टैक्ट लेंस पहनना पड़ता है. इससे रिकवरी ठीक होती है.  

दूसरी तरफ बच्चों में मायोपिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए डॉक्टर ये सलाह देते हैं कि देश में  मायोपिया का चेकअप कंप्लसरी कर देना चाहिए. अगर सही समय और सही उम्र में मायोपिया का इलाज होता है तो बच्चों को इससे होने वाले खतरे से बचाया जा सकता है. 

 

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