आए दिन नई-नई बीमारियां दस्तक दे रही हैं. अब सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने एक और बीमारी को लेकर चेतावनी जारी की है. ये बीमारी मकड़ी जैसे दिखने वाले जीव से फैलती है, जिसे टिक जनित बीमारी कहा जाता है. सीडीसी ने चेतावनी जारी करते हुए बढ़ती हुई टिक-जनित बीमारियों के बारे में चिंता जताई है. उन्होंने कहा है कि इसके लिए अब जागरूकता फैलाने और निवारक उपायों को जानने की जरूरत है.
कैसे फैलती है टिक-जनित बीमारी?
मकड़ी जैसे दिखने वाले टिक्स बैक्टीरिया, वायरस और पैरासाइट सहित अलग-अलग बीमारियों को अपने साथ लेकर चलते हैं, ये इंसानों में बीमारियों का कारण बन सकते हैं. इनमें सबसे कॉमन ब्लैक-लेग्ड टिक (deer tick), अमेरिकन डॉग टिक और लोन स्टार टिक हैं. इनसे जो बीमारी फैलती हैं वो क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग हो सकती हैं. इन बीमारियों में लाइम रोग, एनाप्लास्मोसिस, बेबसियोसिस और पॉवसन वायरस शामिल हैं.
क्या होते हैं इसक लक्षण?
टिक-जनित बीमारियों के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं और इसमें बुखार, ठंड लगना, थकान, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और सिरदर्द शामिल हो सकते हैं. हालांकि, लाइम रोग में अक्सर बुल-आई रैश हो जाते हैं. ऐसे में सबसे जरूरी है कि टिक के काटने के बाद अगर लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए.
कैसे कर सकते हैं बचाव?
-कीट-पतंगों से बचाव के लिए आप DEET, पिकारिडिन, जैसी चीजें इस्तेमाल कर सकते हैं. ये सभी ईपीए-अप्रूव्ड होनी चाहिए.
-बाहर जाते समय लंबी आस्तीन, पैंट और बंद जूते पहनने से स्किन पर टिक लगने का खतरा कम हो जाता है.
-अगर आप घास या जंगली इलाकों में गए हैं तो शरीर, कपड़ों और पालतू जानवरों पर पूरी तरह से टिक की जांच करें. साथ ही उन्हें तुरंत हटा दें.
-अगर कोई टिक पाया जाता है, तो उसे स्किन के करीब पकड़ने के लिए बारीक नोक वाली चिमटी का उपयोग करें.
-जहां ज्यादा टिक का खतरा है उन क्षेत्रों में सतर्क रहें, विशेष रूप से ऐसे मौसम में जिसमें इनके फैलने का खतरा होता है, बाहर जाने से भी बचें.