उत्तर भारत के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई चंडीगढ़ (PGI Chandigarh)और आईआईटी रोपड़ ने डायबिटीज यानी कि मधुमेह पर एक शोध किया है. इस शोध में पाया गया है कि टाइप 2 मधुमेह जिनको होता है उनकी हड्डियां कमजोर होती है और टूटने का खतरा ज्यादा होता है. शोध में यह पता चला है कि मधुमेह होने वाले मरीजों में उनकी हड्डियां की गुणवत्ता स्वस्थ लोगों के मुकाबले कमजोर होती है जिसकी वजह से उनकी हड्डियों की टूटने की संभावना ज्यादा होती है. इसके अलावा अध्ययन में यह भी पाया गया है की पश्चिमी देशों के मुकाबले भारत के लोगों की हड्डियां ज्यादा कमजोर हैं. इसमें ज्यादातर महिलाएं प्रभावित होती हैं.
हड्डियां फ्रेक्चर होने का खतरा ज्यादा
एंडॉक्रिनलॉजी विभाग के प्रमुख डॉक्टर संजय वडाला ने बातचीत में बताया कि डायबिटीज और कमजोर हड्डियों के बीच एक चिंताजनक संबंध का पता चलता है. अनिवार्य रूप से, मधुमेह न केवल हड्डियों को फ्रैक्चर होने का अधिक खतरा बनाता है, बल्कि समग्र गुणवत्ता को भी नुकसान पहुंचाता है. अध्ययन मधुमेह से पीड़ित उन लोगों पर केंद्रित था, जिन्हें फ्रैक्चर का अनुभव हुआ था, विशेष रूप से कूल्हे क्षेत्र में हड्डी के टिशूज को देखते हुए.
नहीं रहती मजबूती
डॉ संजय ने बताया की अध्ययन से यह भी पता चला है कि मधुमेह से पीड़ित लोगों में इन हड्डियों की ऊर्जा को अवशोषित करने यानी की एलास्टिसिटी और टूटने से बचाने की क्षमता कम हो जाती है. इस वजह से फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा हड्डी सामग्री के गुणों को देखने के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया गया और पाया कि मधुमेह वाले लोगों में हड्डियां उतनी मजबूत नहीं थीं.
डॉ संजय ने बताया कि डायबिटीज के मरीज की हड्डी की संरचना अलग थी और खनिज स्तर कम था. हड्डी कोलेजन में परिवर्तन था, जो हड्डी की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण होता है. हड्डियों की सामग्री कम होती है और यह उतनी मजबूत नहीं होती है और इससे ये हड्डियां फ्रैक्चर के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती हैं.
ये भी पढ़ें: