China Pediatric Respiratory Illnesses: चीन में बढ़ रहे पेडिएट्रिक रेस्पिरेटरी इलनेस के मामले, जानें किन लोगों को है इस बीमारी से खतरा और कैसे करें बचाव 

उत्तरी चीन में निमोनिया और सांस से जुड़ी बीमारियों के कई मामलों को नोट किए गए हैं. हालांकि इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि ये मामले पहले के रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से जुड़े हैं या नहीं.

China Pediatric Respiratory Illnesses
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST
  • चीन में बढ़ रहे पेडिएट्रिक रेस्पिरेटरी इलनेस के मामले
  • बच्चे हो रहे प्रभावित

चीन में एक बार फिर से बड़ी बीमारी ने दस्तक दे दी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चीन में बच्चों में बढ़ रही सांस से जुड़ी बीमारियों और निमोनिया के बढ़ते मामलों को देखते हुए चिंता जताई है. चीनी स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसे कोविड​​​​-19 प्रतिबंधों में ढील और इन्फ्लूएंजा, माइकोप्लाज्मा निमोनिया, रेस्पिरेटरी सिंकिटियल वायरस (RSV), और COVID​​​​-19 वायरस जैसी चीजों से जोड़ा है. 

चीन में बढ़ रहे हैं मामले 

उत्तरी चीन में निमोनिया और सांस से जुड़ी बीमारियों के कई मामलों को नोट किए गए हैं. हालांकि इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता कि ये मामले पहले के रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से जुड़े हैं या नहीं. चीन ने दिसंबर में कोविड-19 के मामले कम होने के बाद ही प्रतिबंध हटा दिए थे. अब कहा जा रहा है कि ये पेडिएट्रिक रेस्पिरेटरी इलनेस के मामले उसी वजह से बढ़ रहे हैं. लोग संक्रमण के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो गए हैं. 

बच्चों को कर रही प्रभावित 

चीनी के अलग-अलग क्षेत्रों में एक अज्ञात सांस से जुड़ी बीमारी फैलने की रिपोर्टें सामने आई हैं. ये विशेष रूप से बच्चों को प्रभावित कर रही है. उभरते रोग की निगरानी के लिए इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर इंफेक्शियस डिजीज प्रोग्राम (प्रोमेड) ने इसके बारे में जांच करनी शुरू की है. इस बीच, डब्ल्यूएचओ ने चीन से इसके बारे में पूरी जानकारी देने का अनुरोध किया है. 

क्या है पेडिएट्रिक रेस्पिरेटरी इलनेस?

बच्चों में सांस से जुड़ी बीमारियां एक आम बात है. ये शिशुओं, बच्चों और किशोरों के फेफड़ों को प्रभावित करती हैं. ये स्थितियां हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकती हैं. सामान्य सर्दी, इन्फ्लूएंजा और रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) जैसे वायरल इंफेक्शन इसकी वजह होते हैं. बैक्टीरियल इन्फेक्शन, एलर्जी, प्रदूषण और धुएं से बच्चों में सांस संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. समय से पहले जन्म, जन्म के समय कम वजन और सांस संबंधी समस्याओं का पारिवारिक इतिहास बच्चे में इन बीमारियों के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ा सकता है.

क्या हैं इसके लक्षण और इलाज? 

इसके लक्षणों में खांसी, सांस लेने के दौरान घरघराहट की आवाज, सांस की तकलीफ, छाती में बलगम जमा होना, बुखार आदि शामिल हैं. वहीं अगर इसके इलाज की बात करें तो बच्चों की इस बीमारी पर ध्यान दिया जाए तो ठीक किया जा सकता है. इसके लिए अलग-अलग उपाय हैं-

-यह सुनिश्चित करना कि बच्चे को पर्याप्त आराम मिले और वह हाइड्रेटेड रहे, शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है.

-एंटीवायरल या एंटीबायोटिक दवाएं भी इसमें काम आती हैं. लक्षणों को कम करने के लिए ब्रोंकोडाईलेटर्स और सूजनरोधी दवाओं की भी सिफारिश की जा सकती है.

-अस्थमा जैसी स्थितियों के लिए और सांस लेने में सुधार के लिए इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या ब्रोन्कोडायलेटर्स ले सकते हैं. 

-गंभीर मामलों में, बच्चे को उनके शरीर की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन मिले इसके लिए ऑक्सीजन दी जा सकती है. 


 

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