बदलते मौसम में अक्सर सर्दी-खांसी जैसी दिक्कतें होती है. इस बार इस मौसम में कई लोग बीमार पड़े. खांस-खांस कर लोगों का बुरा हाल हो रहा है. से खांसी कभी एक हफ्ते तो कभी दो हफ्ते तक रह रही है. किसी-किसी को तीन हफ्तों तक खांसी के साथ-साथ जुखाम रह रहा है, जिसके चलते वह बीमार पड़ जाते हैं. ऐसे में अगर परिवार का एक सदस्य भी बीमार पड़ता है जो ये वायरल सब तक फैलता है. वहीं एक तबका ऐसा भी है जो सोशल मीडिया पर भी अपनी बात रखकर चिंता जाहिर कर रहा कि,आखिर उसको यह क्या हो रहा है. लोग इसके पीछे का कारण पूछ रहे हैं किआखिर इतनी खराब क्यों हो रही है.
फ्लू या कोई वायरस?
इन्हीं सब समस्याओं और सवालों के जवाब को लेकर हमने बात की लखनऊ के केजीएमयू के पलमोनरी एंड क्रिटिकल केयर मेडिसिन डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ वेद प्रकाश से. डॉक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि जब भी मौसम का बदलाव होता है तो जितने भी रेस्पिरेट्री वायरस हैं जिन्हें RNA और फ्लू वायरस भी कहा जाता है मौसम के बदलने के चलते यह वायरस रेस्पिरेटरी सिस्टम पर अटैक करते हैं और बहुत ही जल्दी म्यूटेट करते हैं. आरएनए वायरस के म्यूटेशन के कारण वायरस के नए नए वेरिएंट सामने आते हैं इसके बचाव के लिए हम लोग वैक्सीन देते हैं क्योंकि वायरस के नए-नए वैरिएंट सामने आते हैं.
क्या हैं लक्षण?
डॉ वेद बताते हैं कि जब पिछले साल कोविड हुआ तो सभी लोगों ने कोविड से बचने के उपाय का अच्छे से पालन किया इसी के नतीजे इस तरीके के वायरेसेस और फ्लू में कमी देखने को मिली है. लेकिन अब हम उसका पालन नहीं कर रहे हैं इसीलिए इम्यूनिटी पर भी असर पड़ रहा है और तबीयत बिगड़ रही है. वायरल इंफेक्शन के चलते अपर रेस्पिरेटरी इंफेक्शन हो सकते हैं जिनमें खांसी आना, बार बार जुकाम होना,सिर दर्द करना और बुखार हो जाने के साथ-साथ शरीर-जोड़ों में दर्द होना यह इसके लक्षण है.
पहले ऐसा होता था कि खांसी जुकाम अगर होता था तो इससे रिकवरी एक हफ्ते में हो जाती थी लेकिन अब देखने में आ रहा है कि इससे ठीक होने में दो-दो हफ्ते लग रहे हैं. रिकवरी होने में वहीं कछ मामलों में तीन-तीन हफ्ता भी लग जा रहा है. पीसीसीएम के एचओडी ने कहा कि ऐसा क्या पोस्ट कॉविड की वजह से हो रहा है या फिर किसी अन्य कारण से इस पर स्टडी चल रही है और जैसे ही डेटा मिलेगा तब हम कह सकेंगे ऐसा क्यों हो रहा है और यह वायरल इन्फेक्शन क्या है?
मौसम है बड़ी वजह
डॉ वेद का मानना है कि, मौसम बदलने की वजह से ऐसा ज्यादातर होता है. साथ ही प्रदूषण के कारण भी दिक्कतें हो रही हैं. प्रोफेसर वेद प्रकाश ने पश्चिम बंगाल में चल रहे एडिनोवायरस के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि एडिनोवायरस अगर कहीं स्पेसिफिक आउटब्रेक है तो उसमें पहले जांच करनी होगी. लेकिन जो अभी तक देखा जा रहा है ये एक फ्लू सीजनल वायरस है और इन सभी वायरस से बचने का एक ही रास्ता है,जो हम कोरोना के दौरान कोविड एप्रोपरिएट बिहेवियर को अपने जीवन में उतारे थे उसे फिर से वापस लाना होगा. जैसे दो गज की दूरी मास्क है जरूरी, हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना होगा,भीड़भाड़ की जगहों पर जाने से बचना होगा. AC वाले कमरों में प्रॉपर वेंटीलेशन की व्यवस्था होनी चाहिए.
(लखनऊ से सत्यम मिश्रा की रिपोर्ट)