पूरी दुनिया पिछले 3 सालों से कोविड से बुरी तरह प्रभावित है. इसकी काट निकालने के लिए सभी देशों के वैज्ञानिक शोध में लगे हुए हैं. सोमवार को भारतीय मूल के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में यूके में किए गए एक नए अध्ययन के अनुसार, सामान्य सर्दी से बनीं टी कोशिकाओं वाले लोगों के SARS-CoV-2 से संक्रमित होने की संभावना कम होती है. नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित और इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में की गई यह स्टडी, टी कोशिकाओं के लिए सुरक्षात्मक भूमिका का पहला सबूत प्रदान करने का दावा करती है. यह स्टडी यूके के एनआईएचआर हेल्थ प्रोटेक्शन रिसर्च यूनिट इन रेस्पिरेटरी इंफेक्शन और मेडिकल रिसर्च काउंसिल द्वारा फंडेड थी.
अब तक की सबसे प्रभावी वैक्सीन का तैयार करती है खाका
इसके उलट पिछले अध्ययनों से पता चला है कि अन्य कोरोनावायरस से बनी टी कोशिकाएं SARS-CoV-2 को पहचान सकती हैं, जबकि नई स्टडी यह बताती है कि SARS-CoV-2 के संपर्क में आने के समय इन T कोशिकाओं की उपस्थिति संक्रमण को कैसे प्रभावित करती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि उनके निष्कर्ष दूसरी पीढ़ी के लिए, एक ऐसी वैक्सीन खाका प्रदान करते हैं जो ओमिक्रॉन सहित वर्तमान और भविष्य के SARS-CoV-2 वेरिएंट के संक्रमण को रोक सकता है.
प्रोटेक्टर का रोल निभाते हैं टी सेल्स
"हमारा अध्ययन अब तक का सबसे स्पष्ट सबूत प्रदान करता है कि सामान्य सर्दी से बनी टी कोशिकाएं SARS-CoV-2 संक्रमण के खिलाफ प्रोटेक्टर की भूमिका निभाती हैं. इंपीरियल कॉलेज लंदन में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (एनआईएचआर) रेस्पिरेटरी इंफेक्शन हेल्थ प्रोटेक्शन रिसर्च यूनिट के निदेशक वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर अजीत लालवानी ने कहा कि ये टी कोशिकाएं वायरस के भीतरी प्रोटीन पर हमला करके सुरक्षा प्रदान करती हैं, न कि इसकी सतह पर.
टी सेल इम्यूनिटी एंटीबॉडी इम्युनिटी से ज्यादा प्रभावशाली
"स्पाइक प्रोटीन वैक्सीन-प्रेरित एंटीबॉडी से तेज इम्युन रिस्पॉन्स के दबाव में होता है, जो वैक्सीन एस्केप म्यूटेंट के विकास को प्रेरित करता है. इसके विपरीत, सुरक्षात्मक टी कोशिकाओं के टारगेटेड आंतरिक प्रोटीन बहुत कम म्यूटेट होते हैं. नतीजतन, वे कोविड के विभिन्न वेरिएंट्स के बीच अत्यधिक संरक्षित हैं. इसमें ओमिक्रॉन भी शामिल है", उन्होंने समझाया. फिलहाल मौजूद टीके इन अंदर के प्रोटीनों के लिए इम्यून रिस्पॉन्स शुरू नहीं करते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि मौजूदा प्रभावी स्पाइक प्रोटीन-टारगेटेड टीकों के साथ-साथ ये अंदर के प्रोटीन एक नए टीके को जन्म दे सकते हैं. ये लंबे समय तक चलने वाली सुरक्षा प्रदान कर सकता है क्योंकि टी सेल इम्युनिटी एंटीबॉडी इम्युनिटी से अधिक समय तक बनी रहती है.