कोरोना के नए वेरिएंट का कम्यूनिटी ट्रांसमिशन! ओमिक्रॉन को हल्के में लेना पड़ सकता है भारी

INSACOG के वीकली बुलेटिन के मुताबिक कि कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन तेजी से लोगों के बीच फैल रहा है. हालांकि, डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन का असर कम जरूर है लेकिन तीसरी लहर के दौरान लोगों के अस्पताल में भर्ती होने संख्या अब बढ़ रही है.

ओमिक्रॉन को लेकर लगातार अलर्ट किया जा रहा है
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 9:10 AM IST
  • बढ़ रही है अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या
  • कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर रहें अलर्ट

पिछले साल भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब कोई कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग नहीं की गई या कह सकते हैं कि ये संभव नहीं था, तब डेल्टा वेरिएंट के कम्यूनिटी ट्रांसमिशन के बारे में कुछ नहीं कहा गया था. ये पता नहीं लग पा रहा था कि इंफेक्शन का सोर्स क्या है. कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर इस बार इसे मॉनिटर करने वाले INSACOG ने पहली बार आधिकारिक रूप से अलर्ट किया है कि देश में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है. 19 जनवरी से लगातार 30 हजार से अधिक केस मिल रहे हैं.

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की वीकली रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल 15 जून को देश में जब दूसरी लहर पीक पर थी तब भी कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की बात नहीं कही गई थी. वहीं, अमेरिका ने फरवरी 2020 में ही कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की घोषणा कर दी थी जब संक्रमण का पता नहीं चल पा रहा था. उस वक्त अमेरिका में सिर्फ 15 केस ही मिले थे. भारत ने अक्टूबर 2020 में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की बात स्वीकारी थी.

बढ़ रही है अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या
INSACOG के वीकली बुलेटिन के मुताबिक कि कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रॉन तेजी से लोगों के बीच फैल रहा है. इसमें सिर्फ राहत की बात ये है कि इसकी वजह से कम लोग ही बीमार पड़ रहे हैं. जो लोग पूरी तरह से वैक्सीनेटेड हैं उन पर इसका कम असर पड़ रहा है. हालांकि, डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन का असर कम जरूर है लेकिन तीसरी लहर के दौरान लोगों के अस्पताल में भर्ती होने संख्या अब बढ़ रही है.

कई तरह से असर दिखा सकता है ओमिक्रॉन
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने हाल ही में यह चेतावनी दी थी कि ओमिक्रॉन से संक्रमित लोगों में वायरस का पूरा असर दिख सकता है. इसमें कुछ लोगों हो सकता है कोई लक्षण नहीं दिखे वहीं कुछ लोगों के लिए यह मौत का कारण भी बन सकता है. खासकर वैसे लोग जिन्होंने वैक्सीन नहीं लिया है और जिन्हें गंभीर बीमारी है. देश में 15 से 17 साल के 67 प्रतिशत बच्चों को पूरी तरह से टीका लगा चुका है. 23 जनवरी तक करीब 8.2 मिलियन लोगों को बूस्टर भी दिया जा चुका है. करीब 5.5% हेल्थ केयर वर्कर्स, 6.8% फ्रंटलाइन वर्कर्स और 60 वर्ष से अधिक उम्र के 16.2% लोगों ने अब तक दूसरा डोज नहीं लिया है.

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