Study: कोरोना से रिकवर होने के महीनों बाद भी रहता है सिरदर्द और थकान, इस नई स्टडी में हुए कई खुलासे

कोविड-19 के साथ अपने अनुभव के अलावा, 21 प्रतिशत व्यक्तियों ने भी डिसऑरिएंटेशन की जानकारी दी और हाय ब्लड प्रेशर इसमें सबसे ज्यादा देखा गया. साथ ही लोगों में डिप्रेशन भी ज्यादा बढ़ता हुआ देखा गया.

कोरोना
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 10:51 PM IST
  • हाय ब्लड प्रेशर भी बढ़ा देता है कोरोना

एक नई रिसर्च में पता चला है कि कोरोना (Corona)होने के चार महीने से ज्यादा समय के बाद रिकवर हुए लोगों ने अक्सर थकान और सिरदर्द महसूस किया है. लगातार लक्षणों की लंबी लिस्ट में बाद के लक्षणों में मांसपेशियों में दर्द, खांसी, स्वाद और गंध में बदलाव, बुखार, ठंड लगना और नाक बंद होना शामिल हैं. 

जॉर्जिया के मेडिकल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने 'साइंस डायरेक्ट' पत्रिका में अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट दी. उनके अनुसार कोरोना से रिकवर होने के बाद यह पुराने न्यूरोसाइकिएट्रिक प्रभाव हैं. एमसीजी न्यूरोलॉजिस्ट और अध्ययन के संबंधित लेखक डॉ एलिजाबेथ रुटकोव्स्की कहते हैं, "ऐसे कई लक्षण हैं, जो हमें नहीं पता था कि महामारी में क्या करना है लेकिन, अब यह साफ है कि एक लंबी कोरोना स्थिति है और इससे बहुत सारे लोग पीड़ित हैं. 

200 मरीज कोरोना होने के 125 दिनों बाद भी हुए भर्ती 

जॉर्जिया में कोविड-19 न्यूरोलॉजिकल और मॉलिक्यूलर प्रॉस्पेक्टिव कोहोर्ट स्टडी में 200 मरीजों को कोरोना पॉजिटिव होने के 125 दिनों के बाद भर्ती किया गया था. शुरुआती 200 लोगों में से अस्सी प्रतिशत ने न्यूरोलॉजिकल लक्षणों की सूचना दी, जिसमें थकान 80.5 प्रतिशत थी, इसके बाद 68.5 प्रतिशत सिरदर्द था. आधे से ज्यादा प्रतिभागियों (54.5 प्रतिशत) और टेस्टर्स (54 प्रतिशत) ने परिवर्तनों की सूचना दी और उनमें से 47 प्रतिशत ने हल्के कोगनेटिव होने की बात की. 

कोविड-19 के साथ अपने अनुभव के अलावा, 21 प्रतिशत व्यक्तियों ने भी डिसऑरिएंटेशन की जानकारी दी और हाय ब्लड प्रेशर इसमें सबसे ज्यादा देखा गया. हालांकि किसी भी प्रतिभागी ने स्ट्रोक, मांसपेशियों की कमजोरी या बोलने की मांसपेशियों को लेकर कोई शिकायत नहीं की. 

25 प्रतिशत लोगों हुए डिप्रेशन की शिकार 

पच्चीस प्रतिशत लोगों में डिप्रेशन देखने को मिला. यह उनमें ज्यादा पाया गया जिन्हें पहले से डायबेटिस, मोटापे, स्लीप एपनिया या हल्का डिप्रेशन हो. वहीं, कई लोगों में चिंता का बढ़ जाना भी देखा गया. इसमें 18 प्रतिशत लोगों में एनीमिया और डिप्रेशन का इतिहास था. 

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