हेरोइन से लेकर वन नाइट कफ सिरप तक, बहुत ही अनरेगुलेटेड थी यह इंडस्ट्री, कफ सिरप के सफर पर एक नजर

हाल ही में, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) ने भारत में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स के चार कफ और कोल्ड सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया है. कफ सिरप में इस्तेमाल होने वाली चीजों को लेकर अक्सर विवाद रहता है क्योंकि ये खतरनाक हो सकती हैं.

Representational Image
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 06 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 2:59 PM IST
  • बहुत ही अनरेगुलेटेड थी कफ सिरप इंडस्ट्री
  • बेयर कंपनी ने बनाई थी हेरोइन कफ सिरप 

गर्मी हो सर्दी, जरा सा मौसम बदलते ही सबसे पहले लोगों को अक्सर खांसी होती है. कई बार तो लोगों की खांसी किस तरह की है, उसी से बीमारी का अंदाजा लगाया जाता है. खांसी कई वजह से हो सकती है और अगर सही समय पर इसका इलाज न हो तो यह बड़ी बीमारी की वजह बन जाती है. 

इसलिए ज्यादातर घरों में आपको खांसी के लिए कफ सिरप मिलेगी ही. लेकिन कफ सिरप को हमेशा रात में ही लेने की सलाह दी जाती है. क्योंकि हम सब जानते हैं कि हर एक कफ सिरप में कुछ मात्रा एल्कोहल की होती है जिससे नींद आती है. कफ सिरप में एल्कोहल य ड्रग्स की कुछ मात्रा होने के कारण ही डॉक्टर सलाह देते हैं कि कफ सिरप की लत नहीं लगनी चाहिए. 

और अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने बुधवार को भारत में मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा बनाए गए चार कफ और कोल्ड सिरप को लेकर अलर्ट जारी किया है. लैब में हुई जांच के दौरान मेडेन फार्मास्यूटिकल्स के चार कफ और कोल्ड सिरप में जरूरत से ज्यादा डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा पाई गई है. और इसकी वजह से गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत हुई है. 

हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब कफ सिरप इंडस्ट्री विवाद में आई है. कफ सिरप इंडस्ट्री का इतिहास 100 साल से भी पुराना है और तब यह इंडस्ट्री इतनी रेगुलेटेड नहीं थी जितनी कि अब है. अगर कफ सिरप के सफर पर एक नजर डालें तो आपको ऐसी बातें पता चलेंगी कि आप चौंक जाएंगे. 

बहुत ही अनरेगुलेटेड थी कफ सिरप इंडस्ट्री
रिपोर्ट्स के मुताबिक, शुरुआत में कफ सिरप इंडस्ट्री से संबंधित कोई नियम-कानून नहीं थे. इस कारण कंपनियां कुछ भी चीजें मिलाकर अपनी कफ सिरप तैयार करती थीं. आपको जानकर हैरानी होगी कि मॉर्फिन से लेकर क्लोरोफॉर्म तक को कंपनियों ने कफ सिरप की मैन्यूफैक्चरिंग में इस्तेमाल किया है.

1800 के दशक में अमेरिका में कफ सिरप के प्रॉडक्शन में अफीम का इस्तेमाल किया जाता था. बताया जाता है कि प्राचीन मिस्रवासी अफीम का व्यापार करने के लिए जाने जाते थे. कफ सिरप में अफीम युक्त सामग्री का दूसरा नाम "लॉडेनम" है, जिसे माता-पिता बच्चों को दांत का दर्द को कम करने के लिए देते थे. 

1800 के दशक के अंत से 1900 की शुरुआत तक, अमेरिका में दवाओं के संबंध में कोई सख्त लेबलिंग कानून नहीं थे. 1906 में, कांग्रेस ने शुद्ध खाद्य और औषधि अधिनियम पारित किया, जिसक बाद निर्माताओं को अपने उत्पादों में सामग्री का खुलासा करना जरूरी था. 

बेयर कंपनी ने बनाई थी हेरोइन कफ सिरप 
पहले कंपनियों ने बहुत अलग-अलग सामग्री का इस्तेमाल कफ सिरप बनाने के लिए किया. जिससे लोगों को खांसी में आराम तो मिल जाता था लेकिन धीरे-धीरे उन्हें इसकी लत लगने लगती थी. अफीम के बाद कफ सिरप जैसी दवाओं में मॉर्फिन को कफ सप्रेसेंट के रूप में भी मिलाया जाता था.  

मॉर्फिन के अलावा कंपनियां हेरोइन को कफ सिरप में कफ सप्रेसेंट के रूप में मिलाते थे. आपको बता दें कि 1895 में, जर्मन दवा निर्माता बेयर ने अपना कफ सिरप जारी किया, जिसे उन्होंने "हेरोइन" ब्रांड नाम से बेचा. इसी तरह पुराने कफ सिरप जैसे किमबॉल व्हाइट पाइन और टार कफ सिरप में खांसी के इलाज के लिए क्लोरोफॉर्म होता था. 

हालांकि, खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने 1976 में दवाओं में क्लोरोफॉर्म के उपयोग को अवैध घोषित कर दिया. क्योंकि एक शोध से पता चला था कि क्लोरोफॉर्म से कैंसर का जोखिम बढ़ता है. 

सबसे खतरनाक थी वन नाइट कफ सिरप
"वन नाइट कफ सिरप," यह सुनकर ही समझ आ गया होगा कि इसका मतलब है एक रात में खांसी को ठीक करने वाली सिरप. बताया जाता है कि 1800 के दशक के अंत में इसे बेचा गया था. लेकिन यह सबसे खतरनाक थी क्योंकि इसमें एल्कोहल, ओपियम, क्लोरोफॉर्म और मॉर्फिन- सभी कुछ मिलाया गया था. 

हालांकि, जैसे-जैसे इस क्षेत्र में रिसर्च हुई तो कफ सिरप इंडस्ट्री को और ज्यादा रेगुलेट करने पर काम किया गया. आज हर सिरप पर इसमें इस्तेमाल हुई सामग्री के बारे में लिखा होता है और कंपनियों को भी पूरी जानकारी देनी होती है. इसलिए जरा सी लापरवाही पर ही आज कंपनियों को जवाब देना पड़ता है. 

 

Read more!

RECOMMENDED