कोरोना महामारी ने दुनिया के जिंदगी जीने के तरीकों को बदल दिया है. खासतौर पर जिन लोगों को कोविड-19 की पहली लहर में इन्फेक्शन हुआ था, उनके साथ स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां ज्यादा होने का रिस्क है. अब इससे जुड़ी हुई अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान की एक स्टडी सामने आई है. इस स्टडी के मुताबिक, कोरोना महामारी की पहली लहर में संक्रमित होने वालें लोगों में दिल का दौरा, स्ट्रोक और मृत्यु का खतरा तीन साल तक बढ़ गया है. यह रिस्क उन लोगों में ज्यादा है जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है.
स्टडी में बताया गया है कि जिन लोगों को कोरोना नहीं हुआ, उनकी तुलना में पहली लहर में कोरोना से संक्रमित होने वाले लोगों में दिल की बीमारियां होने का रिस्क दोगुना है. जबकि गंभीर मामलों वाले लोगों में रिस्क लगभग चार गुना हो सकता है. इस स्टडी को आर्टेरियोस्क्लेरोसिस, थ्रोम्बोसिस और वैस्कुलर बायोलॉजी जर्नल में पब्लिश किया गया है.
ब्लड टाइप से जुड़ा है रिस्क
इस स्टडी में एक और खास बात सामने आई है कि कोरोना संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होने से उन लोगों में खतरा ज्यादा बढ़ गया बै जिनका ब्लड ग्रुप A, B या AB है. इन ब्लड ग्रुप वाले लोगों में दिल का दौरा या स्ट्रोक का खतरा दोगुना हो गया, लेकिन O ब्लड टाइप वाले लोगों में यह खतरा कम है.
आपको बता दें कि वैज्ञानिकों ने यूके बायोबैंक में एनरोल्ड 10,000 लोगों के डेटा को स्टडी किया. बायोबैंक यूरोपीय मरीजों का एक बड़ा बायोमेडिकल डेटाबेस है. नामांकन के समय मरीजों की उम्र 40 से 69 साल थी और इसमें 8,000 लोग शामिल थे, जिन्हें COVID-19 संक्रमण हुआ था और 2,000 लोग ऐसे थे जो 1 फरवरी, 2020 और 31 दिसंबर, 2020 के बीच गंभीर कोविड-19 संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती हुए थे. इन लोगों को उस समय कोई वैक्सीन नहीं दी गई थी क्योंकि तब तक वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी.
रिसर्चर्स ने दो COVID-19 सब-ग्रुप्स की तुलना लगभग 218,000 लोगों के ग्रुप से की, जिन्हें यह बीमारी नहीं थी. इसके बाद उन्होंने मरीजों को उनके कोविड-19 डायग्नोसिस के समय से लेकर दिल का दौरा, स्ट्रोक या मृत्यु होने तक, लगभग तीन सालों तक ट्रैक किया.
पहले से दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों में खतरा ज्यादा
इस स्टडी में रिसर्चर्स ने पाया कि जिन लोगों को पहले से ही दिल की बीमारी थी, उनमें कोविड-19 के बाद दिल का दौरा, स्ट्रोक और मौत का रिस्क बाकी सबसे ज्यादा है. जिन लोगों को कभी कोविड नहीं हुआ उनसे चार गुना रिस्क इन लोगों को है जो पहले से ही दिल की बीमारी से जूझ रहे थे. वहीं, ऐसे लोग जिन्हें पहले कोई बीमारी नहीं थी लेकिन कोविड-19 से संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती हुए थे उनसे दोगुना ज्यादा रिस्क है.
डेटा आगे दिखाता है कि, संक्रमण के बाद के तीन सालों में इन लोगों में दिल की बीमारी का रिस्क बढ़ा है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि जिन लोगों को हाल ही में (2021 से वर्तमान तक) गंभीर कोविड-19 हुआ है, उनमें दिल की बीमारी का खतरा लगातार बना हुआ है या लगातार बना रह सकता है.
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्टडी सिर्फ यूके बायोबैंक के मरीजों पर हुई इसलिए यह सीमित थी. अभी भी इस क्षेत्र में और शोध करने की जरूरत है. आने वाले समय में हो सकता है कि और स्टडीज नई फाइंडिग्स के साथ सामने आएं.