देश में कोरोना के सामने आ रहे आंकड़े डराने वाले हैं. बीते 24 घंटे में कोरोना के 17,336 नए मामले आए हैं, जिसके साथ ही देश में एक्टिव केसों की संख्या 88,284 तक पहुंच गई है. इसके अलावा गुरुवार को 13 मरीजों की मौत हो गई.
देश में कोविड-19 से मृत्यु दर 1.21 प्रतिशत है. केवल महाराष्ट्र में ही बीते रोज कोरोना वायरस के 5,218 नए मामले सामने आए. इनमें भी आधे केस तो मुंबई के ही हैं. राजधानी दिल्ली में भी गुरुवार को 1,934 नए केस मिले हैं.
बहुत से लोगों को कोरोना संक्रमण के बाद चलने-फिरने, काम करने, कसरत करने या सीढ़ियां चढ़ने जैसे काम करने के बाद बहुत थकान महसूस होती है. हम इसे पोस्ट कोविड लक्षण मानकर अनदेखा कर देते हैं लेकिन ये अनदेखी आपको भारी पड़ सकती है. क्योंकि कोविड से संक्रमित व्यक्ति में अलग-अलग बीमारियां धीरे-धीरे घर कर रही हैं. एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना से दूसरी और तीसरी बार संक्रमित होने वाले लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं. इन बीमारियों की अनदेखी जानलेवा भी हो सकती है.
चलिए 10 प्वाइंट्स में समझते हैं कोविड के बाद लोगों में किस तरह की बीमारियां बढ़ रही हैं.
दिल से संबंधित बीमारी: कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर दिल में एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम, कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर, मायोकार्डिटिस और एरिथमिया पैदा कर रही है. ऐसे में एक्सपर्ट्स का कहना है कि शरीर के किसी भी अंग से जुड़े लक्षणों को हल्के में नहीं लेना चाहिए.
कफ और खून से संबंधित बीमारी: कोरोना के दौरान कई लोगों की कफ और खांसी जैसी दिक्कतें हुईं. जिन्हें भी कोरोना हुआ, उन लोगों में कई हफ्तों तक कफ बना रहा. लोगों ने यही अनुमान लगाया कि यह कोरोना का साइड इफेक्ट हो सकता है, इसी भ्रम में लोग टीबी के शिकार हो गए.
डायबिटीज की आशंका: जिन लोगों को कभी डायबिटीज की शिकायत भी नहीं थी कोरोना की दूसरी और तीसरी लहर में वे लोग डायबिटीक बन गए हैं. भारत में टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों की तादाद ज्यादा है. डायबिटीज के मरीजों को नियामित रूप से शुगर चैकअप कराना चाहिए.
पेट और आंतों से संबंधित बीमारी: कोरोना संक्रमण का प्रभाव लोगों के इम्यून सिस्टम पर सबसे ज्यादा पड़ा था. इसके बाद से पेट की बीमारी संबंधित मरीजों में लगातार इजाफा हो रहा है. कोविड के बाद के बाद पेट से संबंधित बीमारियां बढ़ गई हैं.
किडनी कमजोर होने की आशंका: कोरोना वायरस ने कई मरीजों की किडनी पर सीधा असर डाला है. कोविड से मुक्त हो चुके कई मरीज अब किडनी की समस्या से पीड़ित हो रहे हैं. डॉक्टरों की मानें तो कोरोना ने किडनी के साथ ही शरीर के अन्य कई ऑर्गन को भी इफेक्ट किया है.
मानसिक स्वास्थ पर असर: कोरोना में बनने वाले थक्के मस्तिष्क तक जाने वाली धमनियों को संकुचित कर रहे हैं. इससे लोगों के मानसिक स्वास्थ पर असर पड़ रहा है. कोरोना में अपनों को खो देने का दर्द भी लोगों को मानसिक विकार दे चुका है.
मांसपेशियों में दर्द: कोरोना संक्रमण के बाद मांसपेशियों में दर्द आम है. कई बार यह दर्द इतने असहाय हो जाते हैं कि लोगों को दवाई भी लेना पड़ती है. कई महीने पहले कोरोना से उबर चुके लोगों में आज भी मांसपेशियों में दर्द की दिक्कत हो रही है. कई लोगों को तो कमजोरी की वजह से मांसपेशियों में दर्द होने लगा है.
न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें बढ़ जाना: कोरोना से उबरने के बाद लोग न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर से परेशान हैं. अल्जाइमर, पार्किन्सन्स, मल्टीपल स्क्लेरोसिस, डीमेन्शिया जैसी बीमारियों ने लोगों को जकड़ लिया है.
फेफड़े खराब हो जाना: कोरोना वायरस शुरू से ही फेफड़ों पर हमला कर रहा है. कोविड के बाद लोगों को सांस की तकलीफ सबसे ज्यादा होने लगी है, जिसकी वजह फेफड़ों में होने वाला संक्रमण है. कोरोना से संक्रमित फेफड़ों का डैमेज होना अब आम हो चुका है.
बीपी और शुगर का मरीज: देश में ऐसे कई लोग हैं जो पहले स्वस्थ जीवन जी रहे थे लेकिन कोरोना से एक संक्रमित होने के बाद अब बीपी और शुगर के मरीज बन गए हैं. अब अचानक से ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर हाई हो जा रहा है, जिसे कंट्रोल करने के लिए लोगों को दवाई का सहारा लेना पड़ रहा है.