जबसे कोविड-19 ने दुनियाभर में दस्तक दी है तब से लेकर अभी तक लोग चिंता में हैं. इसकी कई लहरों ने सैकड़ों की जान ली है. अब एक बार फिर से कोरोना का नया वेरिएंट 'एरिस' अपने पैर पसार रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एरिस से ब्रिटेन में कई लोग अस्पताल में भर्ती हो गए हैं. इस बीच गुरुवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत सहित दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल रहे कोरोना के EG.5 स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' घोषित कर दिया है. हालांकि डब्ल्यूएचओ का कहना है कि इस स्ट्रेन से लोगों को ज्यादा खतरा नहीं है.
जेनेटिक चेंज और म्यूटेशन की होगी निगरानी
जब किसी वायरस को "वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट" (VOI) कहा जाता है, तो इसका मतलब है कि वायरस में कुछ जेनेटिक चेंज या म्यूटेशन हुए हैं जिनकी निगरानी स्वास्थ्य अधिकारियों और विशेषज्ञों द्वारा की जा रही है. विश्व स्वास्थ्य संगठन किसी वैरिएंट को वीओआई के रूप में नामित करने के लिए कई मानदंडों का उपयोग करता है.
कब WHO करता है किसी वायरस को वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट घोषित
1. वेरिएंट ऑफ वायरस का मतलब है कि जिसमें जेनेटिक चेंज हो रहे होते हैं. ये इस सब चीजें वायरस के गुणों को प्रभावित कर सकती हैं. इसके अलावा, रोग की गंभीरता, इम्यून एस्केप या थेराप्यूटिक एस्केप को भी प्रभावित कर सकती है.
2. वेरिएंट पर तब ज्यादा गौर किया जाता है जब यह लगता है कि वो वेरिएंट आगे चलकर और खतरनाक साबित हो सकता है और एक बड़े लेवल पर समाज को नुकसान पहुंचा सकता है.
3. वेरिएंट की पहचान नई होनी चाहिए और वह उभरता हुआ दिखना चाहिए. जैसे EG.5 स्ट्रेन लगातार बढ़ रहा है जिसके कारण कई लोग अस्पताल में भी भर्ती हो गए हैं.
4. सार्वजनिक स्वास्थ्य हस्तक्षेपों और प्रतिक्रिया उपायों पर वैरिएंट के संभावित प्रभाव को समझने के लिए डेटा एकत्र करने और विश्लेषण करने के साथ एक सतत जांच होनी चाहिए।
वेरिएंट ऑफ कंसर्न होती है इसके बाद की स्टेज
गौरतलब है कि वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट पहली स्टेज होती है किसी भी वायरस पर गौर करने की. इसके बाद उस वेरिएंट को “वेरिएंट ऑफ कंसर्न” का टैग दिया जाता है. ये दर्शाता है कि एक वेरिएंट की बढ़ी हुई संक्रामकता कितनी है या वह कितना गंभीर वायरस है.