कोरोना के समय पूरी दुनिया ने एक कठिन समय देखा. इस दौरान एक अच्छी चीज जो हुई वो ये थी कि लोग एक-दूसरे का सहारा बने और एकता की ताकत को जाना. धीरे-धीरे कोरोना कम भी हो गया लेकिन इसके जो आफ्टर इफेक्ट हैं वो कुछ लोगों के साथ अभी भी बने हुए हैं. ये चीजें अब कुछ समय बाद उभर के सामने आ रही हैं. ऐसी ही एख स्टडी गर्भवती महिलाओं को लेकर की गई है.
मेडिकल रिकॉर्ड के एक अध्ययन के अनुसार, जिन बच्चों की माताओं को प्रेग्नेंसी के दौरान कोविड -19 हुआ था, उनके बच्चों के विकास में कुछ कमियां देखी गई हैं. ऐसे बच्चे या तो देरी से बोलना सीख रहे हैं या फिर इनके शरीर की मांसपेशियां एक साल तक बहुत धीरे-धीरे काम करती हैं.
देरी से सीखते हैं चीजें
जर्नल जामा नेटवर्क ओपन (JAMA Network Open) में जारी निष्कर्षों के अनुसार विकासात्मक देरी का जोखिम समग्र रूप से कम था. यह उन शिशुओं में लगभग 6% ज्यादा था, जो गर्भ में कोविड के संपर्क में थे, जबकि जो बच्चे इसके संपर्क में नहीं आए थे उनमें जोखिम लगभग 3% था. वहीं बच्चों के बर्ताव में भी अंतर देखा गया जैसे बचपन की नार्मल शैतानियां लुढ़कना, चीजों को पकड़कर उठना जैसी चीजें भी ऐसे बच्चे देरी से करते हैं.
कई चीजों को प्रभावित कर रहा कोरोना
कोविड पहले भी फेफड़ों, हृदय और तंत्रिकाओं सहित शरीर के कई हिस्सों और अंगों पर अपना अपना गलत प्रभाव दिखा चुका है. मैसाचुसेट्स अस्पतालों में 7,000 से अधिक प्रसूति रोगियों के इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड का अध्ययन किया गया. इसमें 222 गर्भवती महिला और उनके बच्चे शामिल थे, जिन्हें कोविड हो चुका है. इस स्टडी में महामारी के long-lasting impact देखने को मिले.
बोस्टन के मैसाचुसेट्स जनरल अस्पताल में सेंटर फॉर क्वांटिटेटिव हेल्थ के निदेशक वरिष्ठ लेखक रॉय पर्लिस ने कहा, "यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस समूह के बच्चे 18 महीने और दो सालों में कैसे दिखेंगे." उन्होंने कहा, "यदि हमारा अध्ययन अधिक गर्भवती माताओं को टीका लगाने के लिए प्रोत्साहित करता है या जो लोग गर्भवती होने पर विचार कर रहे हैं अगर वो वैक्सीन लेते हैं, तो यह शानदार होगा."
मस्तिष्क के विकास में बाधा
अध्ययन में नस्ल, उम्र और अन्य कारकों के लिए जिम्मेदार है जो विकासात्मक देरी की विभिन्न दरों की व्याख्या कर सकते हैं. जर्नल में की गई टिप्पणी के अनुसार, अभी यह निर्धारित करने के लिए बहुत अधिक शोध की आवश्यकता है कि कोविड भ्रूण के मस्तिष्क के विकास के लिए कितना जोखिम पैदा करता है और इसे कैसे कम किया जाए. हालांकि अध्ययन टीकाकरण के प्रभाव का आकलन नहीं कर सका क्योंकि इसने कोविड शॉट्स उपलब्ध होने से पहले मार्च और सितंबर 2020 के बीच गर्भधारण के रिकॉर्ड की जांच की. पर्लिस ने कहा, 'कोविड के अधिकांश रोगियों में हल्के मामले लक्षण थे इसलिए रोग की गंभीरता के प्रभाव को भी नहीं मापा जा सकता है.
बच्चों में पाई गई ये बीमारियां
अध्ययन में पाया गया कि अगर किसी महिला को तीसरी तिमाही के दौरान कोविड होता है जोकि मस्तिष्क के विकास के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण समय है ऐसे में यह जोखिम और बढ़ जाता है जोकि पहले दूसरे महीने में इतना नहीं होता. यह सभी निष्कर्ष पिछली स्टडी से मेल खाता है जिसमें गर्भावस्था के दौरान विभिन्न संक्रमण जैसे ऑटिज्म, सिज़ोफ्रेनिया और बच्चों में मस्तिष्क की अन्य स्थितियों के बढ़ते जोखिम देखे गए थे. हाल के शोध से पता चलता है कि कोविड मस्तिष्क की कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है.