देह, नेत्र और अंगदान के लिए जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से काम कर रही 'दधीचि देह दान समिति' तीन-चार सितंबर को इस विषय पर एक सम्मेलन का आयोजन करेगी. संस्था की विज्ञप्ति के अनुसार उसकी सेवाओं के 25 साल पूरे होने के अवसर पर अंगदान के लिए जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से समिति एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाएगी. इसके तहत आयोजित होने वाले सम्मेलन में देह-अंग-नेत्र दान को समर्पित अनेक संस्थाओं के भाग लेने की संभावना है.
हरदम पड़ती है महत्वपूर्ण ऑर्गन्स की जरूरत
देश में हर साल 17000 लोग ऐसे हैं. जो ऑर्गन डोनेट करने का काम कर पाते हैं, लेकिन अगर रिक्वायरमेंट की बात करें तो हर साल हमारे देश में आंख, नाक, कान, लीवर हृदय और अन्य महत्वपूर्ण ऑर्गन्स की जरूरत हजारों की संख्या में होती है.
संयुक्त सचिव दधीचि देहदान समिति के डॉ विशाल चड्ढा ने बताया कि देश में हर साल 50000 से ज्यादा किडनी 25000 हार्ट की आवश्यकता पड़ती है.
ऐसे में वो लोग अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं. जिनको समय पर दान नहीं मिल पाता. इस समस्या का हल करने के लिए दधीचि दान समिति 3 सितंबर से एक कॉन्क्लेव का आयोजन करने जा रही है. जिसमें 60 से ज्यादा एनजीओ को शामिल किया जाएगा.
अंगदान से हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती
इस कॉन्क्लेव में इस बात पर जोर दिया जाएगा कि अगर कोई इंसान जो स्वस्थ है और जिसकी समय से पहले मौत हो गई है. अगर उसके अंगों को दान कर दिया जाए तो देश में हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है. इस बड़े कॉनक्लेव में देश-विदेश के कई बड़े डॉक्टर, नेता, राजनीतिज्ञ और स्वास्थ्य से जुड़े लोग भी भाग लेंगे. विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार और बीजेपी के नेता हर्ष मल्होत्रा ने इस महत्वपूर्ण कॉनक्लेव की जानकारी दी.
आलोक कुमार (विहिप नेता) ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि यह बहुत जरूरी है कि लोगों को पता चलना चाहिए कि अंगदान कितना जरूरी है और इससे किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं आनी चाहिए. संयुक्त सचिव दधीचि देहदान समिति के डॉ विशाल चड्ढा कहते हैं, डोनर से रेसिपिएंट में मानव के कई अंगों और ऊतकों का प्रत्यारोपण किया जा सकता है. इनमें से कुछ हैं लिवर, किडनी, पैंक्रियाज, दिल, फेफड़ा, आंत, कॉर्निया, बोन मैरो और वैस्कुलराइज्ड कम्पोजिट एलोग्राफ्ट्स, जैसे स्किन, यूटरस, बोन, मसल्स, नर्व्स और कनेक्टिव टिशूज शामिल हैं.