मूवी सेलेक्शन हो या आउटफिट! छोटे-छोटे डिसीजन लेने में भी आती है परेशानी! तो ये हो सकता है Decidophobia

आउटफिट सलेक्शन हो या मूवी चूज करनी हो? क्या आपको भी छोटे-छोटे डिसीजन लेने में परेशानी होती है. देखा जाए तो 100 में से 80 फीसदी लोगों को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है.

decidophobia
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 4:48 PM IST
  • फैसला लेने में होती है घबराहट?
  • डिसाइडोफोबिया के मरीज अक्सर खुद को जरूरी फैसलों से दूर रखना पसंद करते हैं.

फैसला लेने में डर लगना एक आम बात है. कई बार रिजल्ट क्या होगा इसकी टेंशन में हम डिसीजन मेकिंग नहीं कर पाते. आउटफिट सलेक्शन हो या मूवी चूज करनी हो? अगर आपको भी छोटे-छोटे डिसीजन लेने में घबराहट होती है और ये घबराहट डर में बदल जाती है तो ये 'डिसाइडोफोबिया' हो सकता है. देखा जाए तो 100 में से 80 फीसदी लोगों को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ता है.

डिसाइडोफोबिया एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को किसी भी तरह का फैसला लेने से घबराहट और डर का अनुभव होता है. इस वजह से वे अपने जीवन के कई जरूरी फैसले लेने में असमर्थ होते हैं. 

क्या है डिसाइडोफोबिया?
डिसाइडोफोबिया (Decidophobia) दो शब्दों से मिलकर बना है- 'Decide' यानी फैसला लेना और 'Phobia' यानी डर. जब भी कोई व्यक्ति किसी फैसले को लेने में जरूरत से ज्यादा डरे या घबराहट महसूस करे, तो ये डिसाइडोफोबिया के लक्षण हो सकते हैं. यह एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर हैं, जोकि आपके जीवन पर गंभीर असर डाल सकता है. 

डिसाइडोफोबिया के मरीज अक्सर खुद को जरूरी फैसलों से दूर रखना पसंद करते हैं. वह बार-बार फैसला लेने से बचने का कोशिश करते हैं और कई बार तो वे दूसरों पर निर्भर हो जाते हैं, ताकि उन्हे खुद फैसले न लेने पड़े. यह स्थिति समय के साथ और भी गंभीर हो सकती है, खासकर अगर इसका इलाज समय पर न किया जाए तो.

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डिसाइडोफोबिया के लक्षण

  1. किसी तरह का फैसला लेने से पहले अत्यधिक चिंता और तनाव महसूस हो. 

  2. फैसला लेते वक्त जरूरत से ज्यादा पसीना, सिरदर्द या दिल की धड़कन तेज होने लगे. 

  3. अपने फैसलों को दूसरों पर टालने की कोशिश करें. 

  4. खुद के फैसले पर भरोसा महसूस न होना.

डिसाइडोफोबिया के कारण

डेसिडोफोबिया के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जो व्यक्ति के एक्सपीरियंस पर आधारित होते हैं.

  1. यदि किसी व्यक्ति ने पहले किसी निर्णय के गलत परिणाम का सामना किया है, तो वह भविष्य में निर्णय लेने से डर सकता है. 

  2. कई बार ऐसा होता है, जब परिवार के सदस्य या दोस्त किसी प्रकार के निर्णय लेने में मदद नहीं करते, तो व्यक्ति अपना सेल्फ कान्फिडन्स खो देता है. 

  3. जब किसी व्यक्ति पर परिवार, समाज या खुद से अत्यधिक उम्मीदें होती हैं, तो वह किसी प्रकार के निर्णय लेने में हिच किचाहट महसूस करता है. 

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डेसिडोफोबिया का प्रभाव

डिसाइडोफोबिया का असर निजी जीवन पर भी पड़ता है.

1.  व्यक्ति को करियर के निर्णय लेने में समस्या हो सकती है, जैसे नई नौकरी लेना, प्रमोशन के लिए आवेदन करना आदि.  

2.  व्यक्ति अपने जीवन के बड़े और छोटे फैसलों को टालता रहता है, जिससे उसकी पर्सनल ग्रोथ रुक जाती है. 

3.  लगातार चिंता और तनाव के कारण डिप्रेशन या एंग्जायटी का सामना करना पड़ सकता है. 

डिसाइडोफोबिया का इलाज

डिसाइडोफोबिया एक गंभीर बीमारी है, लेकिन कुछ आसान तरीकों से इसका इलाज संभव है. 

1. काउंसलिंग या थेरेपी के जरिए व्यक्ति को अपनी समस्याओं का सामना करने और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है. 

2. कॉग्निटिव-बिहेवियरल थेरेपी (CBT) यह थेरेपी व्यक्ति की नकारात्मक सोच का पैटर्न बदलने और उसे सही फैसला लेने की दिशा में मददगार साबित हो सकती है. 

3.  पहले छोटे-छोटे फैसले लेने की आदत डालें, जिससे आप धीरे-धीरे बड़े निर्णय लेने में सक्षम हो सकें. 

4. मेंटल स्ट्रेस को कम करने के लिए रोजाना ध्यान और मेडिटेशन का सहारा लिया जा सकता है. 

5. पॉजिटिव सोच की आदत डालें और फैसला लेने के परिणामों के बारे में ज्यादा सोचने के बजाय उन्हें स्वीकार करना सीखें.

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