दुनिया में सबसे जटिल दिमाग की सर्जरी होती है. इस सर्जरी को करने वाले डॉक्टर भी बेहद कम होते हैं. कई सालों की पढ़ाई और प्रैक्टिस के बाद न्यूरोसर्जन किसी सर्जरी को करने में सक्षम हो पाते हैं. इस शंट सर्जरी को समझने और प्रैक्टिस के लिए दिल्ली एम्स ने मेडिकल स्टूडेंट्स के लिए देसी नुस्खा खोजा है.
इस देसी नुस्खे को डिजिटल मैप या फिर दिमाग का गूगल मैप भी कह सकते हैं, क्योंकि इस तकनीक के माध्यम से आसानी से मस्तिष्क के ढांचे को देखा समझा जा सकता है. ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारी की जटिल सर्जरी आसान तरीके से सीखी जा सकती है, क्योंकि इन स्टिम्युलेटर के माध्यम से लाइफ सर्जरी जैसी प्रैक्टिस की जा सकती है.
एम्स न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के सर्जन डॉक्टर विवेक टंडन ने बताया कि इस तरह के डिवाइस के माध्यम से हमें सर्जरी में काफी मदद मिल रही है. इसके साथ ही सर्जरी सिखाने वाले उन सर्जन को भी काफी सहूलियत हो रही है, जो गंभीर बीमारियों की सर्जरी सीखना चाहते है.
स्टिम्युलेटर वर्किंग-
डॉ. विवेक टंडन ने बताया कि एक सॉफ्टवेयर के माध्यम से हम ड्रिल करके इक्विपमेंट को ब्रेन के अंदर डालते हैं और इसके साथ ही एक क्यू आर कोड होता है. क्यूआर कोड को अगर आप स्कैन करेंगे, तो स्कैनिंग के माध्यम से ब्रेन के अंदर की सारी तस्वीर साफ हो जाती है. यह अलग-अलग सीटी स्कैन होते हैं, जिसे स्कैंस को एक होलोग्राम इमेज बना देता है और फिर यह ऐसा 3D इमेज तैयार होता है, जिसके माध्यम से आप ब्रेन के अंदर जा सकते हैं या ब्रेन के उन जगहों के बारे में पता लगा सकते हैं जो आपको समानता नहीं देखते हैं.
डॉ. विवेक टंडन ने बताया कि इस तकनीक के लिए हमने माइक्रोसॉफ्ट के साथ टाईअप किया है. यह इस तरह का साफ्टवेयर डेवलप कर रहा है, जब टू डी इमेज के कोलेब्रेट करके होलोग्राम बना देता है.
इससे इलाज में आएगा बदलाव-
एम्स के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के डॉ सर्वेश मिश्रा ने बताया कि यह मरीजों के इलाज में कांतिकारी बदलात लाएगी. इस पहली का उद्देश्य न्यूरोसर्जनों के कौशल को बढ़ाना, चिकित्सा प्रैक्टिस में मातकों को ऊंचा करना और राजी के परिणार्मा और सेवाओं की पहुंच में सुधार करना है. नवीन प्रशिक्षारा नाड्यूल और प्रौद्योगिकियों के साथ न्यूरोसर्जरी विभाग का लक्ष्य न्यूरोसर्जनों को नई तकनीकों से लैस करना और सतत चिकित्सा शिक्षा संस्कृति को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि एम्स नई दिल्ली देश में सबसे अच्छे और सबसे सुसज्जित विभाग में से एक माना जाता है. यहां हर साल 4500 से अधिक रोगियों का इलाज करने और अपने आउट पेशेंट क्लिनिक के माध्यम से 45000 से अधिक रोगियों की देखभाल करने के प्रभावशाली रिकॉर्ड के साथ विभाग न्यूरोसर्जिकल इनोवेशन में सबसे बेहतर है.
विदेशी डॉक्टरों को भी सीखा रहा एम्स-
दिल्ली AIIMS की इस तकनीक को सीखने के लिए विदेश से भी डॉक्टर एम्स आ रहे हैं. इटली, श्रीलंका, नेपाल, बंग्लादेश, मालदीव के डॉक्टर इस टेक्नोलॉजी को सीखने के लिए एम्स आए. इस तकनीक को सीखने के लिए 1 साल में एम्स कम से कम 200 डॉक्टर को स्टिम्युलेटर के माध्यम से सर्जरी की ट्रेनिंग दे रहा है. अभी तक एम्स कम से कम 500 डॉक्टर्स को ट्रेनिंग दे चुका है.
इसका मकसद थियोरेटिकल ज्ञान के साथ-साथ प्रैक्टिकल की भी जानकारी देना है. कहा जाता है कि कोई चीज करने के बाद ही बेहतर समझ आती है. इसी मकसद के साथ दिल्ली में इस ट्रेनिंग की शुरुआत की गई है. अलग-अलग समय पर कई वर्कशॉप रखी जाती है, जिसमें यह जटिल सर्जरी इन स्टिम्युलेटर्स के माध्यम से सिखाई जाती है. सिखने वाले डॉक्टर को ये प्रैक्टिस लाइफ सर्जरी जैसी ही लगती है.
बहुत आसानी से पूरे दिमाग के हिस्से, रीड की हड्डी को अलग-अलग तरीके से जूम करके देखा जा सकता है. लेयर बाय लेयर हटाकर उस जगह तक पहुंचा जा सकता है, जहां पर सर्जरी करनी है. इससे सर्जरी के दौरान होने वाली गलतियां भी कम होगी और डॉक्टर बेहतर प्रैक्टिस के साथ मरीज का इलाज कर पाएंगे.
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