मुंबई के एक अस्पताल में खुला देश का पहला मेमोरी क्लीनिक, जानिये इसके बारे में

सितंबर 2021 में एक कमरे से इस क्लीनिक की शुरुआत हुई थी. इसे केम अस्पताल के ओपीडी भवन में रखा गया है. यह पहेलियों, रंगीन किताबों और चार्टों से भरा हुआ है जिससे संज्ञानात्मक अभ्यास होता है.

kem hospital mumbai
gnttv.com
  • मुंबई,
  • 16 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 2:57 PM IST

अल्जाइमर के बारे में तो आपने सुना ही होगा. ऐसी बीमारी जिससे कोई शख्स अपनी याददाश्त खोने लगता है. 65 साल के ऊपर के लोगों में ये बीमारी होना कई बड़ी बात नहीं लेकिन अब इसकी चपेट में युवा भी आने लगे हैं. ऐसे ही लोगों के इलाज के लिए मुंबई के केम अस्पताल में देश का पहला मेमोरी क्लीनिक खुला है जो पागलपन से पीड़ित मरीजों के लिए पुनर्वास और व्यापक प्रबंधन प्रदान करता है.

करीब 5 महीने पहले हुई थी शुरुआत
सितंबर 2021 में एक कमरे से इस क्लीनिक की शुरुआत हुई थी. इसे केम अस्पताल के ओपीडी भवन में रखा गया है. यह पहेलियों, रंगीन किताबों और चार्टों से भरा हुआ है जिससे संज्ञानात्मक अभ्यास होता है. ये ध्यान, संगठन, योजना और याद रखने में सुधार करने में मदद करते हैं.

एक मरीज के बारे में बताते हैं जिनका इलाज यहां चल रहा है. मुंबई में 52 साल का एक शख्स जो पेशे से स्टॉकब्रोकर है, इस बीमारी की चपेट में है. पीड़ित शख्स के व्यवहार और जीवनशैली में अजीबो-गरीब बदलाव देखे गए जो हैरान करने वाले थे. वो अपना हस्ताक्षर भूलने लगे थे. हर बार उनसे हस्ताक्षर में अलग-अलग तरह के बदलाव दिखाई देना लगा. इसके साथ ही वो सीधे लाइन में कुछ भी नहीं लिख पा रहे थे. उनके अंदर से दिशा का ज्ञान खत्म हो रहा था. उनके अंदर दिख रहे इन बदलावों के बाद उनकी जांच की गई, जिसमें उन्हें अल्जाइमर से पीड़ित होने का खुलासा हुआ.

क्यों होती है ऐसी बीमारी ?
इस तरह की बीमारी के लिए डिमेंशिया (मनोभ्रम) शब्द का इस्तेमाल किया जाता है जिसमें शख्स याद करने, सोचने, फैसला लेने और हर दिन की गतिविधियों को दोहराने में नाकाम हो जाता है. अल्जाइमर इसी तरह का एक न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जो मस्तिष्क यानी दिमाग की कोशिकाओं के नष्ट होने से होता है. इस बीमारी के कई कारण है जैसे- बढ़ती उम्र, उच्च रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, मधुमेह आदि.

खतरनाक हो सकती है अनदेखी
कई बार अल्जाइमर के लक्षण को लोग पहचान नहीं पाते हैं. परिवार के लोग इसे हल्के में लेते हैं और संबंधित मरीज को आलसी या कुछ और समझकर टाल देते हैं. लेकिन, इस तरह की अनदेखी खतरनाक हो सकती है. अगर समय पर इलाज शुरू नहीं किया गया तो स्थिति गंभीर हो सकती है.

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