घरों में अब दिन ढ़लते ही मच्छर आने शुरू हो गए हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप इससे अपना बचाव करें. इस मौसम में सबसे ज्यादा खतरा मलेरिया और डेंगू होने का होता है. ये दोनों ही मच्छर जनित रोग हैं जो कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं खड़ी कर देते हैं. दक्षिण पूर्व एशिया, प्रशांत द्वीप समूह, कैरिबियन और मध्य और दक्षिण अमेरिका के कुछ हिस्सों में डेंगू वायरस फैलाने वाले मच्छर आम हैं. ऐसे में सही ट्रीटमेंट और पहले से बचाव के लिए हमें कई बातें पता होनी जरूरी हैं.
क्या है डेंगू और मलेरिया में फर्क?
मलेरिया और डेंगू दो सामान्य रूप से रिपोर्ट किए जाने वाले और वेक्टर जनित रोग हैं. मलेरिया पैरासाइट प्लासमोडियम स्पेसीज के कारण होता है और डेंगू बुखार डेंगू वायरस की वजह से. दोनों वेक्टर के माध्यम से फैलने के तरीके में आम हैं. हालांकि मौसम बदलने से इनके लक्षणों में कुछ बदलाव हो सकते हैं. मलेरिया के लक्षणों में शाम को ठंड लगने के साथ तेज बुखार के साथ तापमान बढ़ना, कमजोरी, शुगर का उतार-चढ़ाव शामिल है. वहीं दूसरी ओर डेंगू में बुखार के साथ जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द होता है.
शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर सकते हैं ये दोनों
डेंगू एक वायरल बीमारी है, जो एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलती है, जबकि मलेरिया प्लाज्मोडियम नामक एक सेल वाले बैक्टीरिया के कारण होता है, जो एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है. मलेरिया के लक्षण मच्छर के काटने के 10-15 दिन बाद शुरू होते हैं. हालांकि, मलेरिया अगर खतरनाक है तो शरीर के अलग-अलग अंगों को प्रभावित कर सकता है. इसमें पीलिया, गहरे रंग का पेशाब, लीवर की चोट और यहां तक कि कई मामलों में कोमा में भी जा सकते हैं. जबकि डेंगू अगर खतरनाक है और स्थिति ज्यादा खराब है तो ये ब्लीडिंग डायथेसिस का कारण बन सकता है और कम प्लेटलेट्स और ब्लीडिंग हो सकती है. दोनों का ट्रीटमेंट ब्लड टेस्ट से किया जाता है.
कैसे अलग है दोनों का ट्रीटमेंट?
मलेरिया के इलाज के लिए और यह फिर दोबारा न हो इसके लिए अच्छा ट्रीटमेंट बेहद जरूरी है. वहीं डेंगू मैनेजमेंट में हाइड्रेशन और कमजोरी को हटाना सबसे पहला लक्ष्य होता है. हालांकि दोनों की रोकथाम के लिए मच्छर कंट्रोल करने के उपायों की जरूरत होती, वैक्सीनेशन भी दोनों में गंभीरता और संक्रमण को रोकने के लिए अच्छा उपाय हो सकता है.
मलेरिया और डेंगू से बचने के उपाय
1. घरों और आसपास के इलाकों में रुके हुए पानी के जमाव को रोकना.
2. ठहरे हुए पानी में लार्विसाइडल कीटनाशकों का छिड़काव करें.
3. सोते समय कमरों में मच्छरदानी, एयरोसोलिज्ड कीटनाशकों का प्रयोग करें.
4. डीईईटी या पिकारिडिन आधारित इन्सेक्ट रेपेलेंट का उपयोग करें जिसे अपनी स्किन और कपड़ों पर लगाया जा सकता है.