Doctor-Patient Treatment Rules: डॉक्टर ने प्रेग्नेंट महिला का इलाज करने से किया मना, जानें ट्रीटमेंट को लेकर क्या कहता है कानून?

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, डॉक्टर उनके साथ बदतमीजी करने वाले, बेकाबू या मारपीट पर उतारू मरीजों और रिश्तेदारों का इलाज करने से मना कर सकते हैं. डॉक्टरों को यह भी अधिकार भी है कि अगर मरीज उन्हें फीस का भुगतान नहीं कर सकता है तो भी वे इलाज से इनकार कर सकते हैं.

Doctor-Patient Treatment Rules (Photo: Unsplash)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 12:52 PM IST
  • जरूरी टेस्ट करने से इनकार कर दिया था 
  • कंसल्टेशन फीस के बारे में सूचित करना होगा

हम सब ये जानते हैं कि मरीज अपने इलाज के लिए अपनी पसंद से डॉक्टर चुन सकता है. लेकिन क्या डॉक्टर के पास भी ऐसा अधिकार है? क्या कोई डॉक्टर किसी मरीज का इलाज करने से मना कर सकता है?

दरअसल, गुजरात में वडोदरा स्थित एक गाइनेकोलॉजिस्ट ने 30 साल की एक प्रेग्नेंट मरीज का इलाज करने से मना कर दिया, जिसके बाद इंटरनेट पर बहस छिड़ गई.

डॉक्टर ने लिखा कि उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि मरीज ने कुछ जरूरी टेस्ट करवाने से इनकार कर दिया था. डॉ. राजेश पारिख ने इस पूरी घटना का जिक्र एक्स पर अपनी पोस्ट में किया.

डॉ. पारिख ने लिखा, "जिस तरह किसी मरीज को अपने लिए डॉक्टर चुनने का अधिकार है, उसी तरह डॉक्टरों को भी इलाज से इनकार करने का अधिकार है. हालांकि, इमरजेंसी स्थिति को छोड़कर."

जरूरी टेस्ट करने से इनकार कर दिया था

डॉ. राजेश पारिख के अनुसार, उन्होंने इस प्रेग्नेंट महिला को एनटी स्कैन और डबल मार्कर टेस्ट कराने के लिए कहा था. लेकिन महिला ने इनकार कर दिया. डॉक्टर के मुताबिक, ये पेट में पल रहे बच्चे की हेल्थ को देखने के लिए कुछ जरूरी टेस्ट होते हैं. समझाने की कोशिशों के बावजूद, मरीज अपनी जिद पर अड़ी रही, जिसके कारण डॉ. राजेश पारिख ने उस महिला को कहीं और ट्रीटमेंट लेने का सुझाव दिया.

क्या कहते हैं दिशानिर्देश?

इस मुद्दे पर इंटरनेट पर छिड़ी चर्चा के बीच, कई व्यक्तियों ने डॉ. राजेश पारिख के फैसले के समर्थन में आवाज उठाई है. इस घटना ने मरीजों और डॉक्टरों के अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में भी चर्चा फिर से शुरू कर दी.

राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) ने इसे लेकर कुछ निर्धारित दिशानिर्देश भी दिए हैं. इन दिशानिर्देशों के मुताबिक इमरजेंसी स्थितियों को छोड़कर, डॉक्टर इलाज से इनकार कर सकते हैं. हालांकि, एक बार अगर वह मरीज का इलाज शुरू कर देते हैं तो उन्हें मरीज की देखभाल करनी जरूरी है. या अगर ट्रीटमेंट से जुड़ा कोई बदलाव होता है तो उन्हें रोगी को सूचित करना होगा. 

फीस के बारे में सूचित करना होगा

इसके अलावा, दिशानिर्देशों के अनुसार, डॉक्टर दुर्व्यवहार करने वाले, अनियंत्रित या हिंसक रोगियों और रिश्तेदारों का इलाज करने से इनकार कर सकते हैं. लेकिन, इसके लिए उन्हें पूरा डॉक्यूमेंटशन करना होगा. डॉक्टरों के लिए मरीज को जांच या इलाज से पहले कंसल्टेशन फीस के बारे में सूचित करना भी जरूरी है.

इसके अलावा, डॉक्टरों को यह भी अधिकार भी है कि अगर मरीज उन्हें फीस का भुगतान नहीं कर सकता है तो वे इलाज से इनकार कर सकते हैं. हालांकि, सरकारी सेवा या आपातकालीन स्थिति में ये बात लागू नहीं होती है. डॉक्टर मरीजों के बीच उनके लिंग, नस्ल, धर्म, जाति, सामाजिक, आर्थिक या सांस्कृतिक आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते.

 

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