पार्किंसंस बीमारी क्या है, जिससे पीड़ित हो सकते हैं पुतिन, क्या हैं इसके लक्षण और बचाव के उपाय?

वायरल हो रहे वीडियो में पुतिन ढीली सी मुद्रा में बैठे दिख रहे हैं. उनके चेहरे पर भी सूजन नजर आ रही है और उनके हाथ कांप रहे हैं. इस वीडियो के सामने आने के बाद कहा जा रहा है कि रूसी राष्ट्रपति को पार्किंसंस रोग है.

अपूर्वा राय
  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 3:02 PM IST
  • हाथ-पैर में कंपकंपी होना पार्किंसंस रोग के लक्षण हो सकते हैं
  • पार्किंसंस रोग पर ऐसे काबू पाया जा सकता है.

रूस और यूक्रेन की लड़ाई के बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो फुटेज वायरल हो रहा है. इसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हाथ कांपता हुआ दिख रहा है, जिसके बाद अटकलें लग रही हैं कि उन्हें पार्किंसंस बीमारी हो सकती है. वीडियो में पुतिन अपने हाथ को कांपने से रोकने के लिए उसे छाती पर रखते दिख रहे हैं. ज्यादातर 60 साल से ज्यादा उम्र के लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि युवाओं को बच्चों को यगह बीमारी नहीं हो सकती. इसके लक्षण इतने कम होते हैं की शुरुआत में आप इसे पहचान भी नहीं सकते. चलिए जानते हैं इस बीमारी के लक्षणों के बारे में और आप किस तरह से इससे बचाव कर सकते हैं. क्योंकि भारत में करीब 10 लाख लोग हर साल इस रोग के शिकार हो रहे हैं. 

 

क्या होता है पार्किंसंस रोग?

यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है. इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति की मस्तिष्क की कोशिकाओं का पतन होने लगता है. दिमाग की कोशिकाओं में नुकसान होने के कारण शारीरिक मूवमेंट प्रभावित होती है. शरीर की गति में धीमापन आ जाता है जिससे मानसिक समस्याएं आने लगती हैं. इस बीमारी के पांच स्टेज होते हैं. यह बीमारी कई बार अनुवांशिक भी होती है. सिर में चोट लगने की वजह से भी यह समस्या आ सकती है.

क्या हैं इस बीमारी के लक्षण?

  • हाथ-पैर में कंपकंपी होना, मुख्य रूप से आराम करने के दौरान
  • गति में सुस्ती या ब्रैडीकिनेसिया
  • अंगों में कठोरता
  • चलने-फिरने के दौरान संतुलन बनाने में समस्या
  • पोस्चर संबंधित समस्या
  • नींद आने में परेशानी

बचाव के उपाय

बैलेंस डाइट, दवाइयों और थैरैपी के जरिए आप इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं. लेवोडोपा पार्किंसंस के लिए सबसे आम उपचार है. यह डोपामाइन (यह न्यूरॉन्स के बीच एक केमिकल मैसेंजर के रूप में काम करता है) को फिर से भरने में मदद करता है. लगभग 75 प्रतिशत मामले में लेवोडोपा कारगर साबित हुआ है.

 

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