हिमाचल के सुंदर पहाड़ों के बीच बिलासपुर में बनाया गया एम्स हर मायने में सभी तकनीकों और सुविधाओं से लैस है. फिर चाहे वो मेडिकल में इस्तेमाल होने वाली मशीन हो या फिर यहां भर्ती मरीजों के लिए बनाए गए वॉर्ड्स. सभी तकनीक से लैस हैं. कई एकड़ में फैले इस एम्स में मरीजों की हर जरूरत का ख्याल रखने के लिए वॉर्डों को आधुनिक बनाया गया है.
किया जाएगा ड्रोन का इस्तेमाल
यहां तक कि मरीजों के परिजनों के लिए बनाया गया वेटिंग एरिया भी किसी विदेशी हॉस्पिटल से कम नहीं है. बाहरी मरीजों के लिए OPD की भी शानदार सुविधा है, लेकिन इस अस्पताल में एक खास सुविधा भी है. मरीज़ों तक दवा पहुंचाने और ब्लड सैंपल कलेक्ट करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा. कहा जा रहा है, मरीजों को दी जाने वाली ये सुविधा बिलासपुर एम्स के लिए मील का पत्थर साबित होगी.
बता दें कि बिलासपुर एम्स ने आईआईटी मंडी के साथ समझौता किया है. जिसके तहत इस दुर्गम इलाके में मरीज़ों तक ज्यादा से ज्यादा मेडिकल सुविधा पहुंचाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा. इतना ही नहीं बल्कि इस अस्पताल में हेली एंबुलेंस की सुविधा भी शुरु करने पर विचार किया जा रहा है.
3 साल में बनकर हुआ तैयार
देवभूमि हिमाचल प्रदेश में अत्याधुनिक सुविधाओं के साथ ये हॉस्पिटल महज तीन साल 1500 करोड़ की लागत से बनकर तैयार हुआ है. जनवरी 2019 से बिलासपुर में AIIMS अस्पताल के कंस्ट्रक्शन की शुरुआत हुई, जो तकरीबन 98% बनकर तैयार हो गई है. कई विभागों में उपचार भी शुरू हो चुका है और कई विभागों में जल्द उपचार की प्रक्रिया शुरू होने वाली है.
इस इलाके जो लोग इलाज के लिए पहले हरियाणा और चंडीगढ़ का रुख करते थे, अब उन्हें अपने ही इलाके में अंतरराष्ट्रीय स्तर की मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं. ऐसे में स्थानीय लोगों में खुशी है.
क्या है खासियत?
आमतौर पर मरीज के इलाज में मेडिकल टेस्ट से ज्यादा उसके सैंपल भेजने में समय लगता है, लेकिन बिलासपुर के इस एम्स में एक ऐसी सैंपल वेक्यूम मशीन लगाई गई है, जो समय की इस बर्बादी को रोकेगी और मरीज के इलाज में तेजी लाएगी.
बिलासपुर एम्स 750 बिस्तरों वाला अस्पताल होगा, जिसमें सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस 15 से 20 सुपर स्पेशियलिटी विभाग होंगे. फिलहाल इस अस्पताल का कुछ हिस्सा ही Functional है, लेकिन जल्द ही इस आधुनिक एम्स का काम पूरा किया जाएगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे देश को समर्पित करेंगे.