आजकल हमारी ज्यादातर जिंदगी स्मार्टफोन के इर्द गिर्द घूम रही है. कई लोगों को तो फोन से इस तरह कनेक्टेड हैं कि वे इससे दूर होने का सोच भी नहीं सकते हैं. रिपोर्ट बताती हैं कि भारत में चार में से तीन लोग कथित तौर पर नोमोफोबिया (NoMoPhobia) से पीड़ित हैं. नोमोफोबिया उनके स्मार्टफोन से अलग होने का डर है. 10 में से 9 यूजर ऐसे हैं जो फोन की बैटरी 50% से कम होने पर चिंतित होने लगते हैं.
मार्केट रिसर्च फर्म काउंटरप्वाइंट और स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी ओप्पो द्वारा कराए गए एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि चार में से तीन भारतीय नोमोफोबिया से पीड़ित हैं. इसका मतलब है कि आप इस फोबिया से पीड़ित हो सकते हैं, भले ही आपको पता न हो कि यह क्या है.
नोमोफोबिया क्या है?
नोमोफोबिया, का मतलब है नो मोबाइल फोन का फोबिया, यानी आपके मोबाइल फोन से अलग होने का डर. यह स्मार्टफोन का इस्तेमाल न कर पाने का डर है. बिजनेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, काउंटरपॉइंट रिसर्च के रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठ कहते हैं, “हमारे स्मार्टफोन हमारे व्यक्तिगत ब्रह्मांड बन गए हैं जो हमें व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से और मनोरंजन के लिए भी जुड़े रहने में मदद करते हैं. नतीजतन, हममें से कई लोगों ने अपने फोन के बिना रहने का फोबिया विकसित कर लिया है. इसी को हम नोमोफोबिया कहते हैं.”
बैटरी और चार्जिंग है बड़ा इश्यू
काउंटरपॉइंट की रिपोर्ट के अनुसार, बैटरी और चार्जिंग की समस्या नोमोफोबिया के टॉप कारणों में से हैं. 65% यूजर्स ने दावा किया कि बैटरी खत्म होने की वजह से उन्हें भावनात्मक परेशानी का सामना करना पड़ता है. इनमें से 28% यूजर ने कहा कि इस बैटरी लिमिट से उनमें चिंता पैदा हुई. बैटरी खत्म होने के कारण यूजर को जिस प्रकार की असुविधा का सामना करना पड़ता है, उनमें चिंता, अलगाव, लाचारी, गुम होने का डर, असुरक्षित और घबराहट शामिल हैं.
चार्ज होने के समय भी करते हैं फोन यूज
87% लोगों ने कहा कि वे चार्ज होने के दौरान अपने स्मार्टफोन का उपयोग करते हैं, और 92% बैटरी लाइफ बढ़ाने के लिए अपने डिवाइस पर पावर सेविंग मोड का उपयोग करते हैं. लगभग आधे उपयोगकर्ताओं ने कहा कि वे अपने स्मार्टफोन को दिन में दो बार चार्ज करते हैं. स्मार्टफोन का उपयोग इतना अधिक है कि 40% उपयोगकर्ताओं ने कहा कि उनका स्मार्टफोन वह पहली चीज है जिसका वे दिन शुरू होने पर उपयोग करते हैं और आखिरी चीज जिसका वे दिन समाप्त होने पर उपयोग करते हैं.
बैटरी कम होने पर होती है लोगों को चिंता
बैटरी का लेवल 30 से 50% के बीच होने पर 10 में से 9 उपयोगकर्ता चिंतित महसूस करते हैं. रिपोर्ट से पता चला है कि 72% लोग चिंतित महसूस करते हैं जब उनके डिवाइस की बैटरी का लेवल 20% या उससे कम होता है, और 10 में से 9 लोगों के बीच बैटरी का लेवल 30 से 50% के बीच होने पर अधिक चिंता होती है.
दिलचस्प बात यह है कि 50 साल से ऊपर के लोग सबसे ज्यादा परेशान होते हैं जब उनके डिवाइस की बैटरी का लेवल 20% या उससे कम होता है. इस आयु वर्ग के 80% लोग चिंतित हो जाते हैं, जो कुल औसत 72% से अधिक है.