Explainer: नए साल में मिलेगी कोरोना की नेजल वैक्सीन, जानिए बाकी वैक्सीन से कैसे अलग है

कुछ वैक्सीन इंजेक्शन के जरिये दी जाती हैं जिन्हें हम इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन कहते हैं. कुछ वैक्सीन मुंह के जरिये दी जाती है जिन्हें हम ओरल वैक्सीन का नाम देते हैं जैसे पोलियो और रोटावायरस वैक्सीन. लेकिन कुछ वैक्सीन हम नाक के जरिये लेते हैं, जिन्हें हम नेजल वैक्सीन या इंट्रानेजल वैक्सीन कहते हैं. भारत में अभी भारत बायोटेक और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन मिलकर नेजल वैक्सीन पर काम रहे है. यह अभी ट्रायल में है. इसे BBV154 नाम दिया गया है.

Nasal Vaccine
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 31 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:25 AM IST
  • इसे BBV154 नाम दिया गया है
  • पहले फेज में 175 लोगों को नेजल वैक्सीन दी गई

जरा सोचिये अगर आप भी कोरोना की वैक्सीन को इंजेक्शन से नहीं बल्कि नाक से ही ले पाएं तो? जी हां, जनवरी तक भारत को कोरोना की पहली नेजल वैक्सीन मिल सकती है. इसकी जानकारी खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी है. इस वैक्सीन को गेम चेंजर कहा जा रहा है. इसका कारण कि यह दूसरी सभी वैक्सीन से अलग होगी. इसे इंजेक्शन के जरिये नहीं बल्कि नाक के जरिए दिया जा सकेगा.  

चलिए समझते हैं कि आखिर ये वैक्सीन कैसे काम करती है? इसके फायदे? और दूसरी सभी वैक्सीन से ये कैसे अलग है?

नेजल वैक्सीन क्या होती है?

दरअसल, कुछ वैक्सीन इंजेक्शन के जरिये दी जाती हैं जिन्हें हम इंट्रामस्क्युलर वैक्सीन कहते हैं. कुछ वैक्सीन मुंह के जरिये दी जाती है जिन्हें हम ओरल वैक्सीन का नाम देते हैं जैसे पोलियो और रोटावायरस वैक्सीन. लेकिन कुछ वैक्सीन हम नाक के जरिये लेते हैं, जिन्हें हम नेजल वैक्सीन या इंट्रानेजल वैक्सीन कहते हैं. भारत में अभी भारत बायोटेक और वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन मिलकर नेजल वैक्सीन पर काम रहे है. यह अभी ट्रायल में है. इसे BBV154 नाम दिया गया है.  

कैसे करती है असर?

गौरतलब है कि कोविड-19 हो या नया वेरिएंट ओमीक्रॉन, ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि वायरस म्यूकोसा के माध्यम से हमारे शरीर में एंट्री करता है, और फिर म्यूकोसल मेमब्रेन में मौजूद सेल और मोलेक्युल्स को इन्फेक्ट करता है. नेजल वैक्सीन जब दी जाती है तो वो इसी  म्यूकोसल मेम्ब्रेन में मौजूद वायरस को निशाना बनाती है. 

Nasal Vaccine (Photo: Bharat Biotech)

कब तक आ सकती है वैक्सीन?

नेजल वैक्सीन के अभी ट्रायल चल रहे हैं. हालांकि इसके जनवरी तक लॉन्च होने की उम्मीद है. इसके दूसरे फेज के ट्रायल हो चुके हैं. क्लीनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री ऑफ इंडिया के अनुसार, पहले फेज में 175 लोगों को नेजल वैक्सीन दी गई थी. इस दौरान इन सभी लोगों को तीन ग्रुप में बांटा गया. पहले और दूसरे में 70-70 वालंटियर रखे गए और तीसरे में 35 वालंटियर. पहले ग्रुप को सिंगल डोज वैक्सीन पहली विजिट (0वें दिन) पर दी गई और प्लेसिबो 28वें दिन पर. वहीं दूसरे ग्रुप को दो डोज, 0वें दिन और 28वें दिन इंट्रानेजल वैक्सीन दी गई. वहीं, तीसरे ग्रुप को 0वें दिन और 28वें दिन प्लेसिबो या इंट्रानेजल वैक्सीन में से एक दी गयी.  रिजल्ट से पता चला कि किसी भी वालंटियर को गंभीर साइड इफ़ेक्ट नहीं हुए.

भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्णा एल्ला के अनुसार, वैक्सीन के फेज-3 ट्रायल की तैयारी की जा रही है. 20 दिसंबर को कंपनी ने फेज-3 ट्रायल्स के अप्रूवल के लिए DGCI के पास आवेदन दिया है.

नेजल वैक्सीन के क्या फायदे होंगे?

1. चूंकि ये वैक्सीन नाक से दी जाती है,  तो इसमें इंजेक्शन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इसका ये फायदा होगा कि  सुई और सीरिंज का कचरा भी नहीं होगा.   

2. नाक में सबसे पहले वैक्सीन जाने से अंदरूनी हिस्सों में इम्यून तैयार हो जाएगा, जिससे सांस से होने वाले वायरस संक्रमण का खतरा कम हो जाएगा

3. इंजेक्शन से नहीं लगाया जायेगा तो अलग से हेल्थकेयर वर्कर्स को ट्रेनिंग देने की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी, आसनी से खुद भी ले सकेंगे.

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