Explainer: Smallpox और Chickenpox से किस तरह अलग है Mpox? कैसे कर सकते हैं इससे अपना बचाव

हर दिन नियमित रूप से हाथ धोना और संक्रमित जानवरों या चीजों से दूर रहकर इस बीमारी से बचा जा सकता है. खासकर ये उन लोगों को इससे ज्यादा बचने की जरूरत है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है. 

Mpox Symptoms (Representative Image)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 01 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:05 PM IST

अफ्रीका में कई एमपॉक्स (Mpox) के मामले सामने आ रहे हैं. अब ये लोकल बीमारी से बढ़कर गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य समस्या बन गई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एमपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई देशों में हेल्थ इसे इमरजेंसी घोषित कर दिया है. जैसे-जैसे एमपॉक्स अफ्रीका और उसके बाहर फैल रही है दुनिया के दूसरे देशों को भी चिंता हो रही है. 

इसे देखते हुए भारत में भी अस्पतालों को अलर्ट में रहने के लिए कहा गया है. उत्तर प्रदेश के कई अस्पतालों में तो विशेष इंतजाम तक किए जा चुके हैं. हालांकि, कुछ लोग इसे स्मॉलपॉक्स या जिसे हम छोटी माता कहते हैं और चिकन पॉक्स से मिलाकर देख रहे हैं. जबकि एमपॉक्स इन दोनों बीमारियों से काफी अलग है. 

एमपॉक्स क्या है?
एमपॉक्स, जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था, मंकीपॉक्स वायरस (MPXV) के कारण होने वाली एक संक्रामक बीमारी (infectious disease) है. इसमें कई तरह के लक्षण नजर आते हैं. जैसे दर्दनाक दाने, सूजे हुए लिम्फ नोड्स, बुखार, सिरदर्द, थकान और मांसपेशियों और पीठ में दर्द आदि. जबकि संक्रमित लोगों में से ज्यादातर पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, कुछ मामले गंभीर हो सकते हैं. खासकर ये उन लोगों को इससे ज्यादा बचने की जरूरत है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है. 

ये एक इंसान से दूसरे इंसान में फ़ैल सकती है. इसके अलावा, एमपॉक्स जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकती है. यह जूनोटिक ट्रांसमिशन काटने, खरोंचने या संक्रमित जानवरों के पास आने से होता है. प्रेग्नेंट महिलाएं से भी उनके अपने पेट में पल रहे बच्चे को एमपॉक्स हो सकता है. 

चिकनपॉक्स और स्मॉलपॉक्स से अलग है एमपॉक्स 
हालांकि, एमपॉक्स और चिकनपॉक्स एक जैसे लग सकते हैं लेकिन ऐसा नहीं है. एमपॉक्स, चिकनपॉक्स, स्मॉलपॉक्स एक दूसरे से काफी अलग हैं. मंकीपॉक्स वायरस (MPXV) के कारण होने वाली एमपॉक्स, वैरिसेला-जोस्टर वायरस (VJDV) के कारण होने वाले चिकनपॉक्स से अलग है. 

एमपॉक्स के लक्षण रैश आने से पहले बुखार, सिरदर्द और सूजे हुए लिम्फ नोड्स से शुरू होते हैं. जबकि चिकनपॉक्स के रैश बुखार आने के 1 से 2 दिन बाद दिखाई देते हैं. मंकीपॉक्स के घाव चिकनपॉक्स के घावों से बड़े होते हैं.

दूसरी ओर, एमपॉक्स और स्मॉलपॉक्स दोनों के लक्षण एक जैसे लग सकते हैं. जैसे बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान. अमेरिकन सोसायटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी के अनुसार, एमपॉक्स की मृत्यु दर 1 से 10 प्रतिशत तक है. ये स्मॉल पॉक्स की तुलना में काफी काम है. स्मॉल पॉक्स से होने वाली मौतों की दर 30-50 प्रतिशत होती है. 

दो वैक्सीन हैं मौजूद 
एमपॉक्स को ट्रीटमेंट और अलग-अलग उपायों से कंट्रोल किया जा सकता है. एमपॉक्स इन्फेक्शन के जोखिम और गंभीरता को कम करने के लिए दो वैक्सीन मौजूद हैं- जिनेओस (Jynneos) और एकैम2000 (Acam2000). इन वैक्सीन को शुरू में स्मॉल पॉक्स के लिए बनाया गया था. लेकिन फिर इन दोनों वायरस के बीच समानताओं को देखते हुए एमपॉक्स से निपटने के लिए इनका फिर से इस्तेमाल किया गया है.

 

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