Inspirational: अपनी हिम्मत से इस कथक डांसर ने दी कैंसर को मात, इलाज के बीच में भी करती रहीं डांस शोज

यह कहानी है एक कथक डांसर की जिन्होंने अपने होसले और हिम्मत से न सिर्फ कैंसर जैसी जानलेवा बिमारी को मात दी बल्कि पूरी तरह से अपनी जिंदगी भी जी रही हैं.

Alaknanda, Kathak Dancer
मनीष चौरसिया
  • नई दिल्ली,
  • 07 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 2:42 PM IST
  • स्टेज शो के लिए सर्जरी टाल दी
  • गंजे सिर दी कई परफर्मेंस

मशहूर कथक डांसर अलकनंदा दास गुप्ता अपनी बोलती आंखों के इशारों से जिंदगी बयां कर देती हैं. अलकनंदा के कथक के दीवाने लाखों हैं. लेकिन इस बार अलकनंदा चर्चा में इसलिए हैं क्योंकि उन्होंने एक बहुत बड़ी लड़ाई लड़ी है और वह भी बहुत ही अनोखे और खूबसूरत तरीके से. दिलचस्प यह है कि उन्होंने जीत हासिल की है. 

अलकनंदा दास गुप्ता एक पेशेवर कथक डांसर है. पिछले साल अप्रैल में उन्हें मालूम चला कि उन्हें कैंसर है. लेकिन वह न तो निराश हुईं और न हताश. कैंसर का डटकर इलाज भी करवाया और इलाज के बीच अपने स्टेज शोज़ भी जारी रखें.

स्टेज शो के लिए सर्जरी टाल दी
अलकनंदा बताती हैं कि डांस उनके लिए सब कुछ है. 6 साल की उम्र में ही उन्होंने कथक सीखना शुरू कर दिया था. 14 साल तक वह कथक केंद्र में रही हैं. बिरजू महाराज से उन्होंने डांस सीखा और फिर उनके साथ काम भी किया. और 16 साल की उम्र में अपना खुद का कथक सेंटर भी शुरू कर दिया. 

बचपन से सीखा कथक

वह बताती हैं कि डॉक्टर ने जब उनको बताया कि आपको कैंसर है और 2 दिन बाद हमें आपकी सर्जरी करनी होगी तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया और कहा, "2 हफ्ते तक तो मेरे स्टेज शो हैं और मैं उसके पहले सर्जरी के लिए नहीं आ सकती."

ऑपरेशन के बाद हुआ कुछ अजीब
अलकनंदा बताती हैं कि उनके दो बेटे हैं. दोनों  की डिलीवरी बिना सर्जरी हुई थी. मतलब कैंसर के पहले उनकी कभी कोई सर्जरी नहीं हुई थी. वह बताती हैं इस सर्जरी का दर्द बहुत भयानक था लेकिन ऑपरेशन के बाद जैसे ही उनकी आंख खुली तो उन्हें अपने पैरों में बिल्कुल हलचल महसूस नहीं हुई.

उनके शरीर में जगह-जगह से पाइप डाले गए थे. उन्होंने नर्स से पूछा कि मुझे मेरे पैरों में कोई हलचल महसूस क्यों नहीं हो रही है. नर्स ने कहा कि आप के दर्द को कम करने के लिए पैरों को सुन्न किया गया है. लेकिन उन्होंने जिद करके नर्स से कहा कि आप मेरे पैरों में जान डालो. भले ही मुझे कितना भी दर्द क्यों न बर्दाश्त करना पड़े. वह कहती हैं कि बेड पर लेटे हुए भी जब तक उन्होंने अपने पैरों से त.. थई.. नहीं कर लिया, तब तक उन्हें चैन नहीं आया.

कथक शो के लिए टाल दी सर्जरी

बेटे से पूछा और हो गईं गंजी
अलकनंदा बताती हैं कि सर्जरी के बाद उन्हें बताया गया कि अभी उनकी 6 कीमोथेरेपी होनी हैं. वह कहती हैं कि कीमोथेरेपी के दौरान जब पहली ही बार उनके बहुत सारे बाल कंघी में आए तो उन्होंने तुरंत अपने बेटे से पूछा, 'अगर मैं अपने सारे बाल शेव कर लूं तो तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं होगी.' बेटे ने कहा बिल्कुल नहीं और उसके बाद वह तुरंत गई और अपने बाल शेव करा लिए. 

अलकनंदा बताती हैं कि वह उस समय हरिद्वार में थीं और उन्होंने गंगा मां को ही अपने बाल अर्पण कर दिए. बाल्ड हेड के साथ अलकनंदा को परफॉर्म करते हुए देखकर, ऑडियंस उनके सपोर्ट में अब और ज्यादा हूटिंग करती है.

तीसरी और छठी कीमो के बीच 15 स्टेज़ शो किए
अलकनंदा बताती हैं कि कीमोथेरेपी का प्रोसेस बहुत दर्द भरा होता है. लेकिन जब भी वह कीमों के लिए पहुंचती थी तो वहां से सोशल मीडिया पर लाइव करती थी और मजे से हंसते-हंसते थेरेपी लेती थीं. वह बताती हैं कि तीसरी और छठी कीमों के बीच उन्होंने 15 स्टेज शो किए. 

आखिर में हरा दिया कैंसर को

13 जनवरी को उनका आखिरी कीमो हुआ और 29 जनवरी को उन्होने 90 मिनट का स्टेज शो किया.  इस बीच उन्होने Delhi International Art Festival और कर्तव्य पथ पर भी पर्फार्मेंस दी, जबकि अलकनंदा को डॉक्टर्स ने लंबा बेड रेस्ट बताया था. अलकनंदा बताती हैं कि उनका इलाज लगभग पूरा हो चुका है लेकिन डांस करने की ख्वाहिश अभी तक अधूरी सी लगती है. और आने वाले वक्त में वह और भी ज्यादा डांस करना चाहती हैं.

 

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