जब तक बच्चों के ल‍िए वैक्सीन नहीं, तब तक फ्लू का टीका होगा 'मददगार'!

देशभर में 15 से 18 साल उम्र के 7 करोड़ 40 लाख बच्चे हैं, जिनमें 5 करोड़ 81 लाख बच्चों को वैक्सीन लगना बाकी है. अबतक 1 करोड़ 79 लाख से ज्यादा बच्चों ने कोविन एप पर अपना रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया है. माना जा रहा है कि टीकाकरण की रफ्तार यही बनी रही तो जल्द ही इस एज ग्रुप के सभी बच्चों को टीका लग जाएगा.

Covid Vaccination
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 06 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 11:55 PM IST
  • कोविड से बचाने के लिए बच्चों को देने की सलाह
  • हालांक‍ि कोवैक्सीन का व‍िकल्प नहीं हो सकता फ्लू का टीका

देश में तीन जनवरी 2022 से युद्धस्तर पर 15 से 18 साल के बच्चों का वैक्सीनेशन (COVID-19 vaccination of children between 15-18 years) चल रहा है. अबतक करीब डेढ़ करोड़ बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है. इस वजह से उनके माता-पिता भी कुछ राहत महसूस कर रहे हैं जो ओमिक्रॉन (Omicron) की तेज रफ्तार की वजह से अबतक चिंता में डूबे थे. लेकिन सवाल उन माता-पिता का है जिनके बच्चे 15 साल से कम उम्र के हैं. वो समझ ही नहीं पा रहे कि अपने बच्चों को कोरोना संक्रमण से कैसे बचाएं. क्योंकि अभी तक 15 साल से कम उम्र के बच्चों के वैक्सीनेशन को लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई है. ऐसे वक्त उनकी सुरक्षा को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

दरअसल, अमेरिका के CDC यानी सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल की सलाह है कि जबतक वैक्सीन नहीं आती. तब तक अनवैक्सीनेटेड बच्चों को इन्फ्लूएंजा वैक्सीन दी जा सकती है. जिसका इस्तेमाल फ्लू की रोकथाम के लिए होता है. इन्फ्लूएंजा एक तरह का वायरल इंफेक्शन है जो इंसानी रेस्पिरेटरी सिस्टम पर हमला करता है. इसी इंफेक्शन से बचाने के लिए 5 साल तक बच्चों को फ्लू वैक्सीन दी जाती है.

कम हो सकता है कोव‍िड का खतरा 

अमेरिकी संस्था का मानना है कि कोविड 19 और इनफ्लूएंजा में बहुत हदतक समानता है. यही वजह है कि जिन बच्चों को अबतक वैक्सीन नहीं लग पाई है, उन्हें फ्लू के रोकथाम के लिए इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन दी जा सकती है.जो कुछ हदतक कोविड-19 के खतरे को कम करने में मदद कर सकती है. 

हालांकि CDC का ये भी कहना है कि फ्लू वैक्सीन कोरोना वैक्सीन का विकल्प नहीं बन सकती। वो सिर्फ कुछ वक्त तक बच्चों को कोरोना के दुष्प्रभाव से बचा सकती है. यानी जबतक अंडर 15 वाली उम्र के बच्चों के लिए कोई वैक्सीन नहीं है. तबतक फ्लू वैक्सीन कोरोना के खतरे को दूर रखेगी.

वायरस के मुताब‍िक हर साल अपडेट होती है फ्लू की वैक्सीन 

हालांकि ऐसा नहीं है कि फ्लू वैक्सीन सिर्फ बच्चों को ही लगाई जाती है. बल्कि इसका दायरा 2 साल लेकर 50 साल तक है. फ्लू वैक्सीन की सबसे अच्छी बात ये है कि वो वायरस के मुताबिक हर साल अपडेट होती रहती है जिससे इन्फ्लूएंजा का संक्रमण बहुत हद तक रेस्पिरेटरी सिस्टम को नुकसान नहीं पहुंचा पाता. कोविड के संक्रमण से भी सबसे ज्यादा नुकसान रेस्पिरेटरी सिस्टम को ही पहुंचता है. डेल्टा वेरिएंट के कहर के दौरान हम ये देख चुके हैं जब उसके संक्रमण की वजह से मरीजों को सबसे ज्यादा ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी. 

बच्चों को ऐसी स्थिति से बचाने के लिए इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (Indian Academy of Pediatrics) ने भी 5 साल के उम्र के बच्चों को इन्फ्लूएंजा वैक्सीन लगाने की सिफारिश की थी. इस भारतीय संस्था का भी मानना है कि जबतक छोटे बच्चों के लिए वैक्सीन नहीं आ जाती तब तक हर साल उन्हें इन्फ्लूएंजा वैक्सीन की डोज लगनी चाहिए ताकि कोरोना संक्रमण होने पर भी बच्चों को हल्के ही लक्षण का सामना करना पड़े.

इनफ्लुएंजा का टीका कोवैक्सीन का व‍िकल्प नहीं

हालांक‍ि, बालरोग व‍िशेषज्ञ डॉ. धीरेन गुप्ता कहते हैं क‍ि इनफ्लुएंजा के लिए दी जाने वाली वैक्सीन बच्चों को जरूर दी जा सकती है लेकिन यह कोवैक्सीन का रिप्लेसमेंट नहीं है. यह सुरक्षा के तौर पर बचाव का जरिया जरूर बन सकती है लेकिन कोवैक्सीन का विकल्प नहीं. 

गौरतलब है क‍ि भारत के अलावा 40 देश बच्चों को कोरोना की वैक्सीन लगा रहे हैं. लेकिन इनमें शामिल ज्यादातर देशों में 12 साल उम्र के बच्चों को वैक्सीन नहीं लग रही है. सिर्फ 3 ही ऐसे देश हैं जहां इससे कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन लग रही है. क्यूबा में 2 साल से बच्चों को टीका दिया जा रहा है. चीन में 3 साल से जबकि इजरायल में 5 साल की उम्र से बच्चों को वैक्सीन लगाई जा रही है.

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