Gas stoves linked with Asthma: गैस और प्रोपेन स्टोव से बच्चों को अस्थमा का खतरा, LPG गैस हेल्थ के लिए किस तरह से हानिकारक है? जानें

घरों में खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले गैस स्टोव की वजह से कुछ बच्चों को अस्थमा हो सकता है. अमेरिका में हुई एक रिसर्च में इसके सबूत मिले हैं.

Gas stoves/Unsplash/juno1412
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 06 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST
  • गैस से बच्चों को अस्थमा का खतरा
  • गैस से निकलता है नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

क्या घरों में खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला गैस चूल्हा भी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है? जवाब है हां. अमेरिका में एक स्टडी में यह बात सामने आई है. खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाले गैस स्टोव की वजह से कुछ बच्चों को अस्थमा हो सकता है. अमेरिका में हुई एक रिसर्च में इसके सबूत मिले हैं.

घरों में खाना बनाने के लिए ज्यादातर LPG गैस सिलेंडर इस्तेमाल होता है क्योंकि इसमें खाना जल्दी और बिना किसी परेशानी के बन जाता है. लेकिन सुविधा के अलावा ये गैस आपके बच्चों को बीमार भी कर रही है. स्टडी के अनुसार अमेरिका में बच्चों में जो दमे की बीमारी बढ़ रही है, उसमें 12.7% के लिए गैस चूल्हा जिम्मेदार है.

गैस से निकलता है नाइट्रोजन डाइऑक्साइड

नए शोध से पता चलता है कि 40 मिलियन से ज्यादा अमेरिकी घरों में पाए जाने वाले गैस स्टोव से कुछ बच्चों को अस्थमा का खतरा हो सकता है. अमेरिका में बच्चों में अस्थमा के लगभग 50,000 मौजूदा मामले गैस और प्रोपेन स्टोव से निकलने वाले नाइट्रोजन डाइऑक्साइड से जुड़े हैं. जब प्राकृतिक गैस को तेज आंच पर जलाया जाता है तो नाइट्रोजन डाइऑक्साइड निकलता है जोकि सांस संबंधी समस्याओं और लंग डिजीज को बढ़ावा देता है.

निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए शोधकर्ताओं ने 100 से ज्यादा अमेरिकी घरों के किचन में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड को मापा. तब जब स्टोव चालू थे. स्टोव बंद होने के बाद अन्य कमरों में भी नाइट्रोजन डाइऑक्साइड की मौजूदगी को मापा गया. शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर आप अपने घर में स्मोकिंग नहीं करते हैं, तो आपका गैस स्टोव वायु प्रदूषण बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण कारक है. ये अध्ययन साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

छोटे घरों में जोखिम ज्यादा

इस अध्ययन में पाया गया कि औसतन गैस या प्रोपेन स्टोव हर साल लगभग 4 भाग प्रति बिलियन नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के संपर्क में आते हैं. अध्ययन में यह भी कहा गया है कि छोटे घरों में इसका जोखिम ज्यादा होता है, क्योंकि इन घरों के किचन में विंटिलेशन नहीं होता है. जिसकी वजह से गैस बाकी के कमरों से होकर इंसानों के संपर्क में आती है.

शोध से पता चला है कि 3,000 वर्ग फुट से बड़े घरों की तुलना में 800 वर्ग फुट से कम के घरों में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के जोखिम की मात्रा चार गुना है. शोधकर्ताओं का सुझाव है कि गैस स्टोव का इस्तेमाल करने वाले परिवार पोर्टेबल इंडक्शन कुकटॉप का इस्तेमाल कर सकते हैं.

कैसे नुकसान पहुंचाती है गैस

गैस स्टोव को जलाने पर नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड गैस निकलती है. बंद किचन में देर तक खाना बनाने से नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड का लेवल बढ़ जाता है. अगर आपके किचन में खिड़कियां नहीं हैं तो स्थिति और खतरनाक हो सकती है. नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड के अलावा चूल्हे से बेंजीन केमिकल भी निकलता है. घरों में अगर वेंटिलेशन नहीं है तो बेंजीन का स्तर और बढ़ सकता है. ऐसे में अगर आप अपार्टमेंट या फ्लैट में रहते हैं तो आपके लिए ये और भी ज्यादा खतरनाक है. इसलिए किचन में खाना बनाते हुए खिड़कियां खोल कर रखें. 

 

Read more!

RECOMMENDED