अद्भुत! बिजली के झटके से कट गए थे हाथ... 14 घंटे की सर्जरी के बाद हुआ हैंड ट्रांसप्लांट, उपराष्ट्रपति ने भी दी बधाई 

तमिलनाडु की ट्रांसप्लांट ऑथोरिटी ने सफलतापूर्वक एक हैंड ट्रांसप्लांट किया है. यह ट्रांसप्लांट एक 24 साल के व्यक्ति का किया गया. दरअसल, 2018 में बिजली के करेंट से जलने के बाद उस शख्स ने अपने हैट खो दिए थे. लेकिन अब उसे अपने हाथ वापिस मिल गए हैं. इसपर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी डॉक्टरों की पूरी टीम को बधाई दी है.

Hand Transplant
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 4:44 PM IST
  • उपराष्ट्रपति ने की डॉक्टरों की प्रशंसा
  •  सर्जरी काफी ज्यादा कठिन होती है पर असंभव नहीं

चिकित्सा की दुनिया में ट्रांसप्लांट करना आसान काम नहीं है. डोनर को ढूंढ़ना और उसके ऑर्गन मरीज के शरीर में लगाना काफी मुश्किल टास्क होता है. हालांकि, ये सफल हो जाता है तो किसी चमत्कार से कम नहीं होता. इसी कड़ी में तमिलनाडु में 24 वर्षीय एक व्यक्ति की सफलतापूर्वक दोनों हाथों की सर्जरी की गई. गुजरात की एक महिला डोनर की वजह से इस व्यक्ति को अपने हाथ चार साल बाद वपिस मिले हैं.

ग्लेनीगल्स ग्लोबल हेल्थ सिटी की एक रिपोर्ट में बताया गया कि ये मामला तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले का रहने वाला एक शक्स से जुड़ा है. जिसने अपने दोनों हाथ 2018 में बिजली के करंट से जलने के बाद खो दिए थे.  हाथ खोने के बाद लड़के की देखभाल उसकी मां करती थी.  

अहमदाबाद से लाया गया डोनटेड ऑर्गन को चेन्नई 

व्यक्ति ने राज्य में ट्रांसप्लांट अथॉरिटी (TRANSTAN) ) में अपना नाम रजिस्टर करा दिया था.  28 मई को डॉक्टरों को गुजरात के अहमदाबाद में एक हैंड डोनर यानी हाथ डोनेट करने वाली महिला के बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद ट्रांसप्लांट अथॉरिटी और डोनर से संबंधित एजेंसियों से आवश्यक मंजूरी लेने के बाद अहमदाबाद से डोनटेड ऑर्गन को चेन्नई तक पहुंचाया गया. सर्जरी 28 मई को परफॉर्म की गई.

14 घंटे तक चली सर्जरी

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार , सर्जरी के दौरान इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक के निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार सेल्वा सीतारमण (S Selva SeethaRaman) भी मौजूद रहे. आपको बता दे,  इस 14 घंटे चलने वाली सर्जरी में आठ प्लास्टिक सर्जन, 4 आर्थोपेडिक्स यानी हड्डियों के डॉक्टर, एक न्यूरोलॉजिस्ट, 30 पैरामेडिकल स्टाफ और इन सब के साथ चार एनेस्थेटिस्ट भी मौजूद थे. सर्जरी सफल रही और पेशेंट अब रिकवरी कर रहा है और उसकी फिजियोथेरेपी के सेशन भी जारी हैं.

उपराष्ट्रपति ने की डॉक्टरों की प्रशंसा

देश के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू जो की तमिलनाडु के दौरे पर थे, ने भी जब इस सर्जरी की खबर को सुना तो  डॉक्टरों की टीम को बधाई दी. उपराष्ट्रपति नायडू ने कहा कि उन्हें गर्व है की देश में ऐसे प्रतिभाशाली डॉक्टर मौजूद हैं. यह सर्जरी काफी कठिन थी और डॉक्टरों की टीम ने इतनी बड़ी चुनौती को पूरा कर दिखाया. यह बहुत खुशी की बात है. इस सर्जरी के उदाहरण से लोगों को आगे बढ़कर ऑर्गन डोनेट करने के बारे में सोचना चाहिए. जो लोग ब्रेन डेड घोषित कर दिए जाते हैं , वो लोग अपने ऑर्गन डोनेट करके विकलांगों को एक नयी और बेहतरीन ज़िन्दगी दे सकते हैं.

 सर्जरी काफी ज्यादा कठिन होती है पर असंभव नहीं
 
इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक के सीनियर सलाहकार सेल्वा सीतारमण ने सर्जरी के बारे में बताया कि हाथों की  ट्रांसप्लांट सर्जरी काफी ज्यादा मुश्किल होती है पर असंभव नहीं. अगर सर्जरी को करने के लिए सही मेडिकल स्टाफ और प्रतिभाशाली डॉक्टर हों तो इसे किया जा सकता है. इस केस की सफलता से हमने एक और रिकॉर्ड बना दिया है.  


 
 

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