लगभग हर घर में बच्चों को दूध के साथ पाउडर डालकर दिया जाता है. इसमें चॉकलेट पाउडर से लेकर अलग-अलग प्रोडक्ट शामिल हैं. लेकिन ये कितना हेल्दी है इसे लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. लोग यह सवाल पूछ रहे हैं कि बच्चो के विकास में ये कितनी मदद करता है. क्या इससे किसी तरह के कोई पोषक तत्व मिलते भी हैं? पिछले कई दशकों से बाजार में ये प्रोडक्ट्स यह कहकर बेचे जा रहे हैं कि ये बच्चों की सेहत को फायदा पहुंचाते हैं. इसके अलावा इन पाउडर को बनाने वाले भी इस बात का हवाला देते हैं कि इससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है.
कुछ दिन पहले, फूड फार्मा के नाम से मशहूर इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर रेवंत हिमात्सिंगका ने इसी से जुड़ी एक वीडियो शेयर की थी. जिसमें उन्होंने कैडबरी के बॉर्न्विटा (Bournvita) पर सवाल उठाया था. इसमें कहा गया था कि हेल्थ ड्रिंक के नाम से बेची जा रहा ये पाउडर भारत के बच्चों के लिए कितना हेल्दी है. इसे लेकर इंडिया टुडे ने हेल्थ एक्सपर्ट से बात की. जिनके मुताबिक, इन सभी पाउडर में काफी मात्रा में शुगर होती है. जो बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए.
पाउडर में होती है शुगर
एस्टर सीएमआई अस्पताल में डॉ. एडविना राज ने बताया कि अलग-अलग ब्रांड के जो प्रोडक्ट्स होते हैं, जिन्हें बच्चों के लिए अच्छा बताया जाता है उनमें शुगर का कम्पोजीशन अलग-अलग हो सकता है. जिसके फायदे और नुकसान दोनों होते हैं. डॉ एडविना राज ने कहा, "दवा की तरह ही आपको यह समझ होनी चाहिए कि यह कितना और कितनी मात्रा में लेना चाहिए. साथ ही किस उम्र के लिए कितना पाउडर लिया जा सकता है.
वजन बचने से लेकर दांत खराब कर सकता है ये
वहीं, सीके बिड़ला अस्पताल के डॉ. सौरभ खन्ना, बताते हैं कि ज्यादातर निर्माता इन उत्पादों को "ऊर्जा और विटामिन से भरपूर पेय" के रूप में चित्रित करते हैं, लेकिन वे यह नहीं दिखाते हैं कि इन उत्पादों में एक विशेषता है, और वो है काफी मात्रा में चीनी. डॉ खन्ना कहते हैं, “आदर्श रूप से, इन उत्पादों को बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए, इन अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स केटेगरी वालों से बच्चों को बचाना चाहिए. क्योंकि इससे उनका बहुत अधिक वजन बढ़ सकता है, दांत खराब हो सकते हैं और कई और बीमारियां हो सकती हैं.
"अक्सर बताया जाता है कि इन उत्पादों में माल्ट और बार्ली डेरिवेटिव अच्छी मात्रा में होता है, लेकिन इनमें कई ऐसी भी चीजें होती है जो आम जनता को नहीं दी जानी चाहिए, विशेष रूप से उच्च मात्रा में चीनी.”
आपको बच्चों को ये सप्लीमेंट कब देना चाहिए?
एक्सपर्ट की मानें तो ये प्रोडक्ट केवल उन बच्चों को दिए जाने चाहिए जो कुपोषित हैं और उनके माता-पिता उन्हें पर्याप्त मात्रा में पोषण प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं. ऐसे में शुरुआती समय में बच्चों को ये दिया जा सकता है. डॉ एडविना राज ने कहा, "हमने बच्चों को इन पेय पदार्थों को पेश करने की गलती की है. ये उत्पाद जिनसे बनते हैं हमें उसकी सामग्री पर विचार करना चाहिए. इनमें से कुछ में सोया, मूंगफली और यहां तक कि माल्टोडेक्सट्रिन जैसी सस्ती सामग्री होती हैं.
विकल्प क्या है?
इसके बजाय, चूंकि अधिकांश पेय में फलों और सब्जियों से निकाले गए पोषक तत्व और विटामिन होते हैं, इसलिए प्राकृतिक स्रोतों का सेवन करना बेहतर होता है. एक्सपर्ट का कहना है कि प्रोडक्ट को लेकर विटामिन और पोषक तत्वों का दावा करने वाले ब्रांडों के बारे में मार्केटिंग की चाल नहीं चलनी चाहिए. आपके बच्चे के लिए सबसे अच्छा क्या है इसके लिए बाल रोग विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें. वो आपको बेहतर तरीके से बता पाएंगे कि आप अपने बच्चे के लिए इन पेय पदार्थों का सेवन करवाएं या फिर नहीं.