अब नहीं होगा नौजवानों का दिल कमजोर! मिल गया हार्ट अटैक और उसके डर का इलाज!

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जिसके ज़रिए यह पता लगाया जा सकेगा कि किस व्यक्ति को हार्ट अटैक हो सकता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में रिसर्च टीम ने बताया कि इस स्टडी से दुनिया में मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक के इलाज़ के लिए काफी मदद मिलेगी. इस नए तरीके से धमनियों के चारों ओर मोटापे और सूजन का पता लगाने में आसानी होगी. समय रहते इसका पता चलना ज़रूरी है. इसके ज़रिए हाई रिस्क वाले मरीज़ों को स्ट्रोक या हार्टअटैक से बचाने के लिए ज़्यादा इंटेंसिव ट्रीटमेंट देने में मदद मिलेगी.

हार्ट अटैक और उसके डर का इलाज
नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 17 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 8:41 PM IST
  • प्रीमैच्योर डेथ यानी अकाल मृत्यु के वजहों में 2005 में दिल की बीमारी का  नंबर तीसरा था.
  • लेकिन पिछले एक दशक में दिल से जुड़ी बीमारी के आंकड़े कुछ और कहानी कहते हैं.

आज से तीन दिन पहले यानी 14 जनवरी को ये खबर आई कि जर्नलिस्ट कमाल खान का हार्ट अटैक से निधन हो गया है. जानीमानी हस्तियों में ताजा मामले में सिद्धार्थ शुक्ला, राज कौशल , अमित मिस्त्री के हैं जिनकी मौत हार्ट अटैक से हुई.  कुछ साल पहले  पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद बंडारू दत्तात्रेय के बेटे बंडारू वैष्णव की हार्ट अटैक से मौत हो गई. वो सिर्फ 21 साल के थे. वैष्णव हैदराबाद से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे थे. आंकड़े बताते हैं कि कम उम्र में हार्ट-अटैक वाले मामले दिनों-दिन भारत में बढ़ते जा रहे हैं. 

अमेरीका के एक रिसर्च जरनल में छपे लेख के मुताबिक़ 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी हुई. इसमें से तकरीबन 2.3 करोड़ लोगों की उम्र 40 साल से कम है. यानी 40 फ़ीसदी हार्ट के मरीज़ों की उम्र 40 साल से कम है. भारत के लिए ये आंकड़े अपने आप में चौंकाने वाले हैं. जानकार बताते हैं कि पूरी दुनिया में भारत में ये आंकड़े सबसे तेज़ी से बढ़ रहे हैं.

healthdata.org के मुताबिक प्रीमैच्योर डेथ यानी अकाल मृत्यु के वजहों में 2005 में दिल की बीमारी का  नंबर तीसरा था. लेकिन 2016 में दिल की बीमारी, अकाल मृत्यु की पहली  वजह बन गई है. 10 -15 साल पहले तक दिल की बीमारी को अकसर बुजुर्गों से जोड़ कर देखा जाता था. लेकिन पिछले एक दशक में दिल से जुड़ी बीमारी के आंकड़े कुछ और कहानी कहते हैं.  ऐसे में ये जानना जरूरी है कि भारतीय युवाओं के दिल कमजोर क्यों हो रहे हैं. 

क्यों पड़ता है हार्ट अटैक?

“हार्ट अटैक मतलब हार्ट में ब्लड सप्लाई करने वाली नसों में ब्लॉकेज हो जाना, जिसकी वजह से हार्ट के मसल में होने वाली ब्लड सप्लाई कम हो जाती है. नतीजतन हार्ट की मसल डैमेज होकर मर जाती है. जिसे हम  हार्ट अटैक कहते हैं ”

इसकी पांच बड़ी वजहें हैं 

  • जीवन में तनाव
  • खाने की ग़लत आदत
  • कम्प्यूटर/ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों पर देर तक काम करना
  • स्मोकिंग, तंबाकू, शराब की लत
  • पर्यावरण का प्रदूषण

हार्ट अटैक के लक्षण

फिल्मों में हमने अक्सर देखा है जब कभी किसी को दिल का दौरा पड़ता है तो वो अपना सीना ज़ोर से जकड़ लेता है. डॉक्टरों के मुताबिक भी हार्ट अटैक का सबसे बड़ा लक्षण सीने में तेज़ दर्द होना है. दर्द के मारे उनकी आँखों में घबराहट दिखने लगती है और वो ज़मीन पर गिर पड़ता है. हम सभी को लगता है कि दिल का दौरा पड़ने पर ऐसा ही एहसास होगा जैसे हमारे सीने को कुचला जा रहा है. लेकिनहकिकत में हमेशा ऐसा नहीं होता है.  जब दिल तक खून की कमी पूरी नहीं हो पाती तो दिल का दौरा पड़ता है. आमतौर पर हमारी धमनियों के रास्ते में किसी तरह की रुकावट आने की वजह से खून दिल तक नहीं पहुँच पाता, इसीलिए सीने में तेज़ दर्द होता है.

साइलेंट हार्ट अटैक होता है और भी खतरनाक

कभी-कभी दिल के दौरे में दर्द नहीं होता. इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहा जाता है. healthdata.org के मुताबिक आज भी दुनिया में अलग अलग बीमारी से मरने वाले वजहों में दिल की बीमारी सबसे बड़ी वजह है.

सेक्स हार्मोन और हार्ट अटैक में क्या रिश्ता है

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट ये बताती है कि , कि पुरुषों में पाए जाने वाले सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) टेस्टोस्टेरोन थेरेपी के जरिये पुरुषों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है. इसके साथ ही शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर किसी पुरुष में टेस्टोस्टेरोन हार्मोन की कमी हो तो उन्हें इसके सप्लीमेंट देकर हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे से बचाया जा सकता है.

तो क्या महिलाओं में सेक्स हार्मोंन हार्ट अटैक से नहीं बचाता 

डॉक्टर बतातें हैं कि , "महिलाओं में प्री मेनोपॉज़ हार्ट की बीमारी नहीं होती." इसके पीछे महिलाओं में पाए जाने वाले सेक्स हॉर्मोन हैं जो उन्हें दिल की बीमारी से बचाते हैं. लेकिन पिछले कुछ समय में महिलाओं में प्री मेनोपॉज़ वाली उम्र में भी हार्ट अटैक जैसे बीमारियां देखी जा रही हैं. स्मोकिंग  करने वाली महिलाओं या  गर्भनिरोधक पिल्स का लंबे समय से इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में  प्राकृतिक रूप हार्ट अटैक से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है." मेनोपॉज़ के पांच साल बाद महिलाओं में भी हार्ट अटैक का ख़तरा पुरुषों के बराबर ही हो जाता है. कई तरह के शोध हैं जिसमें पाया गया है कि महिलाएं अकसर सीने में दर्द को नज़रअंदाज़ कर देती हैं और इसलिए इलाज उनको देर से मिलता है.

हार्ट अटैक से बचने के लिए क्या करें?

हार्ट अटैक के ख़तरे से बचने के लिए युवाओं को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने की ज़रूरत है.  हार्ट अटैक  से बचने के लिए योग बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है. योग से न सिर्फ तनाव दूर होता है बल्कि लोग शांत चित्त और ज़्यादा एकाग्र होते हैं." जंक फूड तंबाकू और सिगरेट के सेवन से बचना चाहिए. इसका एक समाधान ये भी हो सकता है कि सरकार  जंक फूड पर बड़े-बड़े मोटे अक्षरों में वॉर्निंग लिखे, सरकार इसके लिए नियम बना सकती है.  हांलाकि ऐसा करने से समस्या जड़ से खत्म तो नहीं होगी, लेकिन लोगों में जागरूकता ज़रूर बढ़ेगी.अक्सर ये भी सुनने में आता है कि हार्ट अटैक का सीधा संबंध शरीर के कोलेस्ट्रोल लेवल से होता है, इसलिए अधिक तेल में तला हुआ खाना न तो बनाएं न ही खाएं.

वैज्ञानिकों का ये तरीका हार्ट अटैक से बचने में हो सकता है कारगर

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका खोज निकाला है जिसके ज़रिए यह पता लगाया जा सकेगा कि किस व्यक्ति को हार्ट अटैक हो सकता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में रिसर्च टीम ने बताया कि इस स्टडी से दुनिया में मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक के इलाज़ के लिए काफी मदद मिलेगी. इस नए तरीके से धमनियों के चारों ओर मोटापे और सूजन का पता लगाने में आसानी होगी. समय रहते इसका पता चलना ज़रूरी है. इसके ज़रिए हाई रिस्क वाले मरीज़ों को स्ट्रोक या हार्टअटैक से बचाने के लिए ज़्यादा इंटेंसिव ट्रीटमेंट देने में मदद मिलेगी.

कैसे चलेगा पता

साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन में छपी यह स्टडी बताती है कि खून की शिराओं के बाहर मौजूद फैट के बेसिस पर सूजन में बदलाव होता है. जब सूजन बढ़ती है तो फैट टुकड़ों में बंटने लगता है और आसपास के टिश्यू ज्यादा गीले होने लगते हैं.हार्ट से जुड़े रोगों की जांच के लिए पहले से इस्तेमाल में लाए जा रहे सीटी स्कैन के जरिए इसका भी पता लगाया जा सकता है. कोई भी टिश्यू जितना ज़्यादा लाल होगा, सूजन का स्तर भी उतना ही बढ़ेगा और हार्ट का ख़तरा भी उतना ही बढ़ेगा.

 

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