देश के पहले सोलर मिशन आदित्य-एल1 (Aditya-L1) की लॉन्चिंग के समय ISRO चीफ एस सोमनाथ (S Somnath) को अपने कैंसर का पता चला था. 2 सितंबर 2023 को आदित्य-एल1 सोलर लेबोरेटरी का शुभारंभ किया गया था. ये वही दिन था जिस दिन ISRO चीफ एस सोमनाथ को अपने पेट के कैंसर का पता लगा था. यही कारण था कि आदित्य-एल1 मिशन के सफल लॉन्च के बावजूद, अपनी इस बीमारी से बारे में सुनकर उनकी खुशी थोड़ी कम हो गई थी. हालांकि, अब वे पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं.
साहस और आशा की यात्रा
बीमारी का पता चलने के बाद एस सोमनाथ ने गैस्ट्रिक कैंसर को एक चुनौती के रूप में लिया. दृढ़ संकल्प के साथ उन्होंने इस बीमारी का सामना करते हुए सर्जरी और कीमोथेरेपी कराई. हालांकि, उन्हें खुद इस बात को सुनकर बड़ा झटका लगा था, लेकिन उन्होंने यह खबर अपने परिवार के साथ साझा की और इलाज शुरू करवाया. वे इस पूरे ट्रीटमेंट के दौरान काफी आशावादी और पॉजिटिव रहे.
पेट के कैंसर को जानें
हेरिडिटरी डिफ्यूज गैस्ट्रिक कैंसर (HDGC), इसे आमतौर पर गैस्ट्रिक कैंसर भी कहते हैं, वंशानुगत फैल सकता है. यानि अगर आपके परिवार में यह बीमारी किसी को है तो उनके जीन आपके भीतर भी आ सकते हैं और आपको भी इस कैंसर का खतरा हो सकता है. ये कैंसर अक्सर CDH1 जीन म्यूटेशन की वजह से होता है. खासतौर पर बुजुर्ग लोगों में पेट का कैंसर के मामले ज्यादा देखे जाते हैं. अगर समय से इस बीमारी पता चल जाए तो आसानी से इसका इलाज हो सकता है.
गैस्ट्रिक कैंसर सिंड्रोम का ट्रीटमेंट सर्जरी, कीमोथेरेपी और टार्गेटेड ट्रीटमेंट से किया जा सकता है. हेरिडिटरी डिफ्यूज गैस्ट्रिक कैंसर (HDGC) के पीछे का प्रमुख कारण CDH1 जीन है. जो लोग HDGC जेनेटिक म्यूटेशन के साथ पैदा होते हैं, उनमें पेट का कैंसर विकसित होने की संभावना बढ़ जाती है. हालांकि, आप पेट के कैंसर के लक्षण देखकर इसके बारे में पता लगा सकते हैं.
क्या-क्या होते हैं लक्षण?
-पेट में लगातार बेचैनी या दर्द रहना.
-उल्टी जैसा लगना या हर वक्त मन खराब रहना.
-कम खाने के बाद भी पेट भरा हुआ लगना.
-कुछ भी निगलने में मुश्किल होना.
-बिना कुछ किए अचानक वजन कम हो जाना.
-अपच की समस्या होना.
-हर समय थकावट होना.
-पेट में सूजन हो जाना.
नियमित जांच है जरूरी
ज्यादातर मामलों में पेट के कैंसर का पता लगा पाना इतना आसान नहीं होता है. इसकी जांच के लिए मौजूदा समय में जो इमेजिंग टेस्ट किए जाते हैं वो इस बीमारी का पता नहीं लगा पाते हैं. ऐसे में HDGC को पकड़ना मुश्किल हो जाता है. जब बाद में इस बीमारी का पता चलता है, तो तबतक कैंसर बढ़ जाता है. इसलिए इसकी नियमित जांच जरूरी है. जैसे ही लक्षण दिखाई दें, वैसे ही डॉक्टर के पास जाकर इसे चेक करवाना चाहिए.