हल्दी नहीं धीमा जहर खा रहे आप, पाई गई 200 गुना लेड की मात्रा, जानिए कैसे आपकी सेहत को पहुंचा सकती है नुकसान

सर्दी जुकाम हो या गले की खराश अक्सर लोगों को हल्दी खाने की सलाह दी जाती है. चोट लगने पर भी लोग हल्दी लगाते हैं. सेहत के लिए वरदान मानी जाने वाली हल्दी दरअसल आपके लिए धीमे जहर का काम कर रही है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:45 PM IST
  • सेहत के लिए वरदान हल्दी कैसे पहुंचा रही नुकसान
  • पाई गई 200 गुना लेड की मात्रा

हल्दी एक ऐसा मसाला है जिसका भारत में करीब-करीब हर दिन सेवन किया जाता है. सर्दी जुकाम हो या गले की खराश अक्सर लोगों को हल्दी खाने की सलाह दी जाती है. चोट लगने पर भी लोग हल्दी लगाते हैं. सेहत के लिए वरदान मानी जाने वाली हल्दी दरअसल आपके लिए धीमे जहर का काम कर रही है. भारत भर में बेचे गए हल्दी के नमूनों में लेड यानी सीसे की मात्रा तय मानक से 200 गुना ज्यादा पाई गई. हल्दी को एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है. लेकिन लेड की उच्च मात्रा के साथ हल्दी कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम भी पैदा कर सकती है. 

लेड क्या है?
लेड एक टॉक्सिक हैवी मेटल है, जोकि स्वाभाविक रूप से पृथ्वी में मौजूद होता है. ये मनुष्यों के लिए खतरनाक हो सकती है. अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के अनुसार, लेड का संपर्क हानिकारक हो सकता है क्योंकि यह कैल्शियम की नकल करता है, हड्डियों में जमा हो जाता है और धीरे-धीरे महत्वपूर्ण अंगों और शारीरिक कार्यों को प्रभावित करता है. इसका इस्तेमाल लंबे समय तक ईंधन में होता रहा है.

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2011 के मुताबिक हल्दी में लेड की तय स्वीकार्य सीमा 10 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम है.

साइंस ऑफ द टोटल एनवायरनमेंट में प्रकाशित रिपोर्ट में भारत, पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका के हल्दी के नमूनों में लेड का लेवल चिंताजनक था. कुछ नमूनों में 1,000 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम (µg/g) से ज्यादा है. खासतौर पर FSSAI प्रमाणित हल्दी केवल के लगभग 14% नमूनों में 2 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम से ज्यादा लेड था. इससे खासतौर पर बच्चे प्रभावित हो सकते हैं. 

क्या कहती है रिसर्च
रिसर्च में दिसंबर 2020 और मार्च 2021 के बीच हल्दी के 356 नमूने एकत्र किए गए. इनमें से 180 नमूने हल्दी की जड़ों के जबकि 176 नमूने हल्दी पाउडर के थे. इस अध्ययन के जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक सीसे का उच्चतम स्तर पटना (2,274 µg/g) और गुवाहाटी (127 µg/g) में सबसे ज्यादा पाया गया. औसत रूप से देखें तो यहां से लिए नमूनों में लेड की औसत मात्रा 1,232 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम थी, जबकि अधिकतम मात्रा 2,274 माइक्रोग्राम प्रति ग्राम तक दर्ज की गई. जिन नमूनों में लेड तय सीमा से अधिक पाया गया, उनमें इनकी मौजूदगी लेड क्रोमेट की वजह से थी.

इंसानों के लिए क्यों हानिकारक है लेड
CDC के अनुसार, लेड किसी भी मात्रा में मानव शरीर के लिए सुरक्षित नहीं है. लेड सेवन की वजह से किडनी खराब हो सकती है और नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है. गर्भवती महिलाओं के लिए लेड नुकसानदायक साबित हो सकता है. लेड हमारे शरीर की हड्डियों, दांतों, किडनी और मस्तिष्क में जमा होता है. बच्चों के शरीर में इसका बढ़ता स्तर उनके सोचने- समझने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है.

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