इस बार बदलते मौसम के बीच में डेंगू बीमारी लगातार पैर पसार रही है. आलम यह है कि शायद ही कोई ऐसा घर बचा हो जहां कोई बुखार, बदन दर्द, हड्डी में दर्द और कमजोरी जैसी समस्या से ग्रसित न हुआ हो. अस्पतालों में भी भीड़ बढ़ चुकी है तो प्लेटलेट्स की किल्लत से मरीजों और तिमारदारों को दो-चार होना पड़ रहा है. हालांकि, आप होम्योपैथी पद्धति से भी डेंगू बीमारी का इलाज करा सकते है. होम्योपैथी भी इस बीमारी से लड़ने में कारगर है. इस बारे में गाजीपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज के सहायक प्रोफेसर, डॉ. राजीव मौर्य ने विस्तार से बताया.
कैसे फैलता है डेंगू
होम्योपैथ डॉ. राजीव मौर्य का कहना है कि डेंगू बुखार जानलेवा मच्छरों के संक्रमण से होने वाली बीमारी है. यह बीमारी डेंगू वायरस से फैलती है जो एडीज मच्छर के काटने से इंसानों के शरीर में पहुंचता है. डॉ. मौर्य बताते हैं कि डेंगू वायरस के शरीर में आने के बाद इसे संक्रमक बनने में लगभग 8-12 दिन लगते हैं. डेंगू संक्रमण के कारण शरीर में दर्द, सीने में तेज दर्द, तेज बुखार, सांस लेने में परेशानी और हाथ या पैर की त्वचा के रंग में बदलाव हो सकता है. डेंगू बुखार के लक्षण व्यक्ति के शरीर की इम्यून सिस्टम की स्थिति और संक्रमण के स्तर पर निर्भर करते हैं. आमतौर पर डेंगू बुखार लगभग 4 से 10 दिनों तक रह सकता है.
डेंगू बुखार के लक्षण-
डॉ. राजीव मौर्य बताते है कि आमतौर पर मजबूत इम्यूनिटी वाले व्यक्ति डेंगू बुखार से एक सप्ताह से 10 दिन के भीतर स्वस्थ हो जाते हैं. हालांकि, कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए लक्षण बिगड़ सकते हैं और जानलेवा भी हो सकते हैं.
डेंगू की पहचान कैसे की जाती है?
डॉ मौर्य बताते हैं कि डेंगू संक्रमण की पहचान के लिए डॉक्टर कई परीक्षण कर सकते हैं. डेंगू बुखार का पता लगाने के लिए डेंगू NS1 एंटीजन टेस्ट, एंटीबॉडी टेस्ट, IGG एंटीबॉडी टेस्ट, RTPCR टेस्ट (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन-पोलीमरेज चेन रिएक्शन), लिवर फंक्शन टेस्ट, चेस्ट एक्स-रे, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफी, अल्ट्रासाउंड एब्डोमेन, 2D इकोकार्डियोग्राफी, डी-डाइमर, फाइब्रिनोजेन टेस्ट जैसे टेस्ट कराए जा सकते हैं. अगर आपको डेंगू बुखार का संदेह हो या आपके लक्षण डेंगू से मेल खाते हों, तो एक डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है.
डेंगू बुखार का इलाज कैसे किया जाता है?
होम्योपैथी डॉ. राजीव मौर्य बताते है कि डेंगू बुखार के लिए कई होम्योपेथिक दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं. इन दवाओं में यूपेटोरियम परफोलिएटम, ब्रायोनिया अल्बा, रस टॉक्स-30, जेल्सीमियम, बेलाडोना, आर्सेनिक एल्बम, और इपेकैक आदि शामिल हैं. डॉ. मौर्य बताते है कि डेंगू बुखार से निपटने के दौरान हाइड्रेटेड रहना महत्वपूर्ण है. बहुत सारे तरल पदार्थ जैसे पानी, नारियल पानी और इलेक्ट्रोलाइट्स पीते रहें. साथ ही, भरपूर आराम करें और खुद का समय दें. डॉ. मौर्य बताते है कि गंभीर डेंगू के मामलों में प्लेटलेट काउंट में महत्त्वपूर्ण गिरावट आ सकती है. प्लेटलेट के स्तर को फिर से भरने के लिए प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन जरूरी हो सकता है. यह शरीर में रक्त थक्का जमाने में मदद करता है और अत्यधिक रक्तस्राव को रोकता है.
डेंगू बुखार की रोकथाम
मच्छर नियंत्रण के लिए अपने घर के आस-पास स्थिर पानी और संभावित प्रजनन स्थलों को हटा दें. खिड़कियों और दरवाजों पर मच्छरदानी और स्क्रीन का प्रयोग करें. बाहर जाते समय लंबी बाजू के कपड़े, पैंट और मोजे पहनें. हल्के रंग के कपड़े भी मच्छरों को भगाने में मदद कर सकते हैं. सुबह जल्दी और देर दोपहर के दौरान बाहरी गतिविधियों को सीमित करें .इस समय मच्छर सबसे अधिक सक्रिय होते हैं.
अपने रहने की जगह को साफ रखें और कचरे का उचित तरीके से निपटान करें. मच्छरों के आराम करने वाले क्षेत्रों को कम करने के लिए झाड़ियों को ट्रिम करें. सामुदायिक प्रयास करके जैसे सफाई अभियान और बेहतर स्वच्छता पहलों पर काम करें. सुनिश्चित करें कि आप स्थानीय क्षेत्र, और स्वास्थ्य अधिकारियों के निर्देशों का पालन करें.
(गुड न्यूज टुडे चैनल को WhatsApp पर फॉलो करें.)