घर का काम करने से तेज हो सकती है याददाश्त, जानें कैसे?

इस बात को मद्देनजर रखते हुए कि घर का काम शारीरिक गतिविधि में शामिल है और स्वतंत्र रूप से जीने की क्षमता का एक संकेतक भी है. शोधकर्ता इस बात का पता लगाना चाहते थे कि क्या घर के काम करने से आदमी स्वस्थ तरीके से अपनी जिंदगी को आगे बढ़ा सकता है.

घर का काम करने से तेज हो सकती है याददाश्त
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 4:10 PM IST
  • स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है घर का काम
  • शारीरिक क्षमता को बढ़ावा देता है घर का काम

क्या आप जानते हैं कि घर का काम करने से आपकी याददाश्त तेज होती है? ये सुनकर आप हैरान होंगे. लेकिन ऐसा हम नहीं कह रहे है. दरअसल एक ओपन-एक्सेस जर्नल 'बीएमजे ओपन' में प्रकाशित हुए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग घर का काम करते हैं उनकी याददाश्त तेज रहती है, ध्यान केंद्रित करने की अवधि बढ़ती है, पैरों की क्षमता मजबूत होती है, गिरने पर लगने वाली चोटों से अधिक सुरक्षा मिलती है.

दरअसल इस अध्ययन में रिक्रिएशनल, मनोरंजक, और कार्यस्थल पर होने वाली शारीरिक गतिविधियां नहीं शामिल की गयी थी. रोजाना फिजिकल एक्टिविटी करना आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा है. खासकर अधेड़ उम्र के लोगों में यह दीर्घकालिक स्थितियों, गिरने, गतिहीनता, निर्भरता और मृत्यु के जोखिमों को कम करता है. 

स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है घर का काम
हालांकि 2016 में आए वैश्विक डेटा पर नजर डालें तो कम आय वाले देशों के लोगों की तुलना में ज्यादा आय वाले देशों में दोगुने से अधिक लोग शारीरिक क्रिया नहीं करते हैं. इस बात को मद्देनजर रखते हुए कि घर का काम शारीरिक गतिविधि में शामिल है और स्वतंत्र रूप से जीने की क्षमता का एक संकेतक भी है. शोधकर्ता इस बात का पता लगाना चाहते थे कि क्या घर के काम करने से आदमी स्वस्थ तरीके से अपनी जिंदगी को आगे बढ़ा सकता है. इसको लेकर रिसर्च किया जा रहा था कि जो आदमी घर का काम कर रहा है उसका स्वास्थ्य बढ़ती उम्र के साथ मेंटेन रहता है या नहीं.

स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देता है घर का काम

दो वर्गों के लोगों पर किया गया सर्वे
इसके लिए शोधकर्ताओं ने बेतरतीब ढंग 489 लोगों को चुना, जिसमें 21 से लेकर 90 वर्ष तक के एज ग्रुप के लोग को शामिल किया गया था. इन लोगों को 5 से कम अंतर्निहित स्थितियां दी गईं. सभी सिंगापुर के एक बड़े आवासीय शहर में स्वतंत्र रूप से रह रहे थे, और अपने दैनिक कार्यों को करने में सक्षम थे. प्रतिभागियों को दो आयु समूहों में विभाजित किया गया था. जिसमें पहला वर्ग 21 से 64 साल के लोगों का था और दूसरा वर्ग 65 से 90 साल के लोगों का था. शारीरिक क्षमता का आकलन करने के लिए चलने की गति और कुर्सी पर बैठने की गति को मापा गया था. दरअसल कुर्सी पर बैठने की गति से पैर की ताकत और गिरने के जोखिम का संकेत मिलता है. प्रतिभागियों से उनके द्वारा नियमित रूप से किए जाने वाले घरेलू कामों की तीव्रता और आवृत्ति के साथ-साथ वे कितनी अन्य प्रकार की शारीरिक गतिविधियों में लगे हुए थे, के बारे में पूछताछ की गई.

घर के कामों को भी दो भागों में बांटा गया
हल्के घर के काम में कपड़े धोना, झाड़ना, बिस्तर बनाना, कपड़े सुखाना, इस्त्री करना, साफ-सफाई करना और खाना बनाना शामिल था. भारी गृहकार्य को खिड़की की सफाई, बिस्तर बदलना, वैक्यूम करना, फर्श धोना और पेंटिंग/सजावट जैसी गतिविधियों को शामिल किया गया था. गृहकार्य की तीव्रता को कार्य के मेटाबॉलिक इक्विवेलेंट ऑफ टास्क के आधार पर मापा गया था. ये मोटे तौर पर प्रति मिनट शारीरिक गतिविधि पर खर्च की गई ऊर्जा (कैलोरी) की मात्रा के बराबर हैं. लाइट हाउस वर्क को 2.5 का एमईटी सौंपा गया था; भारी गृह कार्य को 4 का एमईटी दिया गया था.

शारीरिक क्षमता को बढ़ावा देता है घर का काम

शारीरिक क्षमता को बढ़ावा देता है घर का काम
युवा समूह में से केवल एक तिहाई यानी की 36 प्रतिशत (90 लोग) और वृद्ध आयु वर्ग के लगभग आधे यानी की 48 प्रतिशत (116 लोग) केवल मनोरंजक शारीरिक गतिविधि से सुझाई गई शारीरिक गतिविधि का कोटा पूरा करते हैं. लेकिन लगभग दो तिहाई यानी की 61 प्रतिशत लोग जिसमें से  152 युवा और 66 प्रतिशत यानी की 159 वृद्ध ने इस लक्ष्य को विशेष रूप से गृह कार्य के माध्यम से पूरा किया. अन्य प्रकार की नियमित शारीरिक गतिविधियों के लिए समायोजन करने के बाद, परिणामों से पता चला कि घर का काम तेज मानसिक क्षमताओं और बेहतर शारीरिक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है. लेकिन केवल बड़े आयु वर्ग के लोगों के लिए.

 

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