कोरोना संक्रमण के मामले जिस तरह से लगातार बढ़ रहे हैं ऐसे में अब बच्चे भी इसकी चपेट में आना शुरू हो गए हैं. लेकिन ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि गर्भवती महिलाओं के लिए यह कितना बड़ा खतरा है? क्या यह खतरा आने वाले बच्चे के लिए भी बरकरार रहता है. इन सभी सवालों का जवाब देने के लिए हमने बात की जिस्ट प्रसूति और स्त्री रोग विशेषज्ञ, सह प्राध्यापक, महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सालय की डॉक्टर दीपा जोशी से. डॉ दीपा ने उन महिलाओं का इलाज किया है जो प्रेग्नेंट तो थी हीं, साथ-साथ डिलीवरी के वक्त कोविड पॉजिटिव हो चुकी थीं.
डॉक्टर दीपा जोशी ने बताया कि एक गर्भवती महिला को कोरोना संक्रमित होने का उतना ही खतरा होता है जितना एक आम व्यक्ति को होता है. लेकिन लक्षण के गंभीरता की बात करें तो यह गर्भवती महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलते हैं. गंभीरता और बढ़ जाती है जब महिला की उम्र 35 साल से ज्यादा हो या फिर उसे शुगर/डायबिटीज जैसी कोई और बीमारी हो. उन्होंने बताया कि प्रेग्नेंसी में कोविड-19 के लक्षण वही होते हैं जो एक आम व्यक्ति को होते हैं. बुखार आना, सांस लेने में तकलीफ होना, स्वाद चले जाना, थकान महसूस होना. अगर इस तरह के कोई लक्षण प्रेग्नेंट महिला में दिखते हैं तो उसे इलाज के लीये जल्द से जल्द भर्ती करा देना चाहिए.
मां से बच्चे में संक्रमण का खतरा कम
डॉक्टर दीपा जोशी बताती हैं कि डिलीवरी के दौरान जो महिलाएं कोरोना संक्रमित हो गईं उनमें वर्टिकल ट्रांसमिशन नहीं देखा गया. जरूरी नहीं है कि अगर मां कोरोना संक्रमित हो तो बच्चा भी कोरोना संक्रमित ही पैदा होगा. इस तरह का मामला देखा नहीं गया है जिसमें मां के पॉजिटिव होने के कारण बच्चे को कोरोना हुआ हो. डॉक्टर ने बताया कि कई लोगों को डर रहता है कि मां अगर संक्रमित है तो ऐसे में डिलीवरी के बाद बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा सकती. यह सबसे बड़ा मिथ है. ब्रेस्ट फीडिंग से कभी भी वायरस ट्रांसमिट नहीं होगा. अगर मां की हालत बहुत गंभीर हैं या वो वेंटीलेटर पर है तो ऐसे में बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग नहीं करा सकते.
कोरोना संक्रमित गर्भवती महिलाओं में प्रीमेच्योर डिलीवरी का खतरा
डॉक्टर दीपा जोशी ने बताया कि गर्भवती महिला के कोरोना संक्रमित होने के कारण सबसे बड़ा खतरा रहता है प्रीमेच्योर डिलीवरी का. कुछ मामलों में अगर महिला को तेज बुखार आया है तो ऐसे में उन्हें लेबर पेन वक्त से पहले ही शुरू हो जाता है. ऐसे में प्रीमेच्योर डिलीवरी के चांस बहुत ज्यादा होते हैं. साथ ही साथ यह बच्चे के लिए भी बहुत बड़ा खतरा होता है क्योंकि इसमें संभावनाएं हैं कि बच्चा गर्भाशय में ही दम तोड़ दे.
इन सभी चीजों से बचने के लिए जरूरी है कि गर्भवती महिलाएं भीड़भाड़ वाले इलाके में ना जाएं. हर वक्त मास्क पहनी रहें और समय-समय पर सैनिटाइजेशन जरूर करें. अगर कोई महिला कोरोना संक्रमित होती है तो उसे ज्यादा से ज्यादा लिक्विड डाइट लेनी चाहिए. पानी ज्यादा पीना चाहिए और फॉलिक एसिड, विटामिन डी से भरपूर फूड आइटम ज्यादा खाना चाहिए. प्रेग्नेंट महिलाओं को समय-समय पर स्त्री रोग विशेषज्ञ से जरूर कंसल्ट करना चाहिए. साथ ही गर्भवती महिला को रेगुलर वॉक और एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए और अगर मुमकिन हो तो अपनी गाइनेकोलॉजिस्ट से ऑनलाइन ही कंसल्ट करें ताकि संक्रमण का खतरा कम रहे.