आज के जमाने में बुजुर्गों से लेकर बच्चों तक, सबके लिए डिजिटल डिवाइस इस्तेमाल करना आम बात हो गई है. स्क्रीन और डिवाइसेज ने हमारे जीवन पर इस हद तक कब्जा कर लिया है कि हम कुछ घंटे भी बिना स्क्रीन के नहीं रह सकते हैं. ऐसे में, स्क्रीन टाइम बढ़ने के कारण बच्चों की सेहत पर असर पड़ने की स्टडीज सामने आ रही हैं. खासकर कि बच्चों के पोषण संबंधी स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव बढ़ रहा है. बच्चों के स्क्रीन टाइम को लेकर सावधानी बरतना उनके सही विकास के लिए महत्वपूर्ण है.
स्क्रीन टाइम का खाने की आदतों पर प्रभाव
इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स की एक स्टडी से पता चलता है कि बच्चों के समय का एक बड़ा हिस्सा रोजाना टेलीविजन के सामने बीत रहा है, जो उनके खाने की आदतों को लगातार प्रभावित कर सकता है. ऐसे कई रिसर्च पेपर हैं जिनसे पता चलता है कि बच्चों में बढ़ते मोटापे और उनके स्क्रीन टाइम के बीच संबंध है. बचपन में मोटापे के एक कारक लंबे समय तक टेलीविजन देखना हो सकता है.
साथ ही, मीडिया के जरिए फूड मार्केटिंग भी बच्चों के बिगड़ते फूड व्यवहार का एक कारण है. कम फिजिकल एक्टिविटी, ज्यादा कैलोरी वाले स्नैक्स का सेवन और स्क्रीन टाइम के कारण नींद के बदलते पैटर्न आदि कई ऐसे कारण हैं जो इस समस्या को बढ़ा रहे हैं. स्क्रीन टाइम के कारण स्नैकिंग बढ़ सकती है क्योंकि अक्सर हम टीवी या टैब आदि देखते समय कुछ न कुछ खाते रहते हैं और ज्यादातर अनहेल्दी स्नैक्स का सेवन करते हैं.
खाते समय भटकता है ध्यान
स्क्रीन टाइम के कारण बच्चों पर साइकोलवॉजिकल प्रभाव भी पड़ रहे हैं. खाने के दौरान स्क्रीन टाइम बढ़ने से बच्चों का खाने से ध्यान भटकाता है. इससे बच्चों की भूख पर प्रभाव पड़ता है कई बार ध्यान न होने पर बच्चे भूख से ज्यादा खा लेते हैं तो कई बार खाते ही नहीं है. इसलिए बच्चों को स्क्रीन से हटकर खाना खाना चाहिए ताकि उनका ध्यान इस बार पर हो कि वे क्या और कितनी मात्रा में खा रहे हैं.
माता-पिता और शिक्षकों को इस बात पर ध्यान देना होगा कि बच्चों के लिए सही पोषण सुनिश्चित करना एक आर्ट है. जिसके लिए बच्चों का स्क्रीन टाइम भी बैलेंस करना होगा. स्क्रीन टाइम और बच्चों के पोषण के बीच रिलेशन समझना जरूरी है ताकि बच्चों का सही विकास हो सके.