दोनों हाथों में स्टील बॉल लेकर सोने वाले थॉमस अल्वा एडिसन, अब रिसर्चर ने बताया इसलिए थे इतने क्रिएटिव

पेरिस ब्रेन इंस्टीट्यूट के न्यूरोसाइंटिस्ट डेल्फ़िन औडिएट और उनके सहयोगियों ने एडिसन के सोने के तरीके से प्रेरणा ली. डेल्फ़िन औडिएट ने अपने सहयोगी के साथ मिल कर 103 स्वस्थ लोगों अपनी प्रयोगशाला में लाए. इन सभी लोगों को दो बेहद ही आसान नियम का पालन करने के लिए कहा गया. जिसमें नंबर स्ट्रिंग को क्रम में बदलने के लिए कहा गया था. इन सभी 103 लोोगं से ये ट्रायल 60 बार कराया गया.

थॉमस ऐल्वा एडीसन
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 22 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 2:07 PM IST
  • थोड़ी देऱ की नींद बनाती है खूब क्रिएटिव
  • शोध में हुआ खुलासा

अच्छी आदतों का जिक्र करते ही आहार, व्यायाम और नींद जैसे फैक्टर लोगों के ज़हन में  आ जाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि अच्छी आदतों में आपका क्रिएटिव होना भी है. ये बात किसी से नहीं छुपी कि एक अच्छी जिंदगी जीने के लिए सबसे जरूरी है आपका स्ट्रेस फ्री होना, और स्ट्रेस फ्री रहने के लिए अच्छी नींद का आना सबसे ज्यादा जरूरी है. इस आर्टिकल में आपको बताएंगे कि एक अच्छी और सूकून भरी नींद लेकर आप किस तरह अपनी क्रिएटिविटी को बढ़ा सकते हैं.

नींद की N1 फेज बनाती है खूब क्रिएटिव 

8 दिसंबर को साइंस एडवांस की एक रिपोर्ट में ये बताया गया कि एक अच्छी नींद आपको क्रिएटिव बनाता है. भले ही ये नींद कुछ मिनट ही क्यों ना हो, जिसे हम आम भाषा में पावर नैप भी कहते हैं. थॉमस अल्वा एडिसन यानी विज्ञान की दुनिया का वो नाम, जिसने अकेले 1,093 आविष्कार पेंटेट कराए.  उनके बारे में कहा जाता है कि वो मेटल से बनी कुर्सी पर बैठ कर सोतो थे, सोते वक्त उनके हाथ में दो स्टील बॉल बेयरिंग हुआ करती थी. जैसे ही वो गरही नींद में जाने लगते थे गेंदें  गिर जाया करती थी, और उसी समय पर वो सबसे ज्यादा क्रिएटिव सोचा करते थे. 

थॉमस अल्वा एडिसन भी लेते थे ऐसी नींद 

पेरिस ब्रेन इंस्टीट्यूट के न्यूरोसाइंटिस्ट डेल्फ़िन औडिएट और उनके सहयोगियों ने एडिसन के सोने के  तरीके से प्रेरणा ली.  डेल्फ़िन औडिएट ने अपने  सहयोगी के साथ मिल कर  103 स्वस्थ लोगों अपनी प्रयोगशाला में लाए. इन सभी लोगों को दो बेहद ही आसान नियम का पालन करने के लिए कहा गया. जिसमें नंबर  स्ट्रिंग को  क्रम में बदलने के लिए कहा गया था.  इन सभी 103 लोोगं से ये ट्रायल 60 बार कराया गया. इसके बाद उन्हें एक बंद कमरे में ले जाया गया, और 20 मिनट का ब्रेक दिया गया. ठीक एडिसन  के स्टाइल में . इन सभी के हाथों में हल्की पानी की बोतल पकड़ा दी गई थी. प्रतिभागियों को अपनी आँखें बंद करने और आराम करने के लिए कहा गया. और पूरे समय उनके दिमाग की तरंगों की निगरानी की गई, ये पाया गया कि आधे प्रतिभागी जागते रहे. जिनमें से आधे सो भी गए, या नींद की गफलत यानी कच्ची नींद में रहे.  नींद के इस फेज को  N1 कहा जाता है. इनमें से 14 लोग गहरी  नींद में थे. जिसे N2 कहा जाता है. 

आराम करने के बाद सभी  प्रतिभागियों को  नबंर प्रॉब्लम पर वापस लाया गया., और इस बार रिजल्ट चौंकाने वाले थे. जो लोग सोए थे उनमें नंबर को सजाने की क्षमता  5.8 गुना ज्यादा थी.अध्ययन से  यह साफ होता है कि   नींद की N1 फेज और रचनात्मकता के बीच गहरा नाता है. N1 फेज वाले में ज्यादा काम करने की क्षमता होती है.

 

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