Mental Health Awareness: गाजा और इजरायल से आ रही दर्दनाक तस्वीरों के बीच कैसे रखें अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल?

साइकोलॉजिकल साइंस हमें बताती है कि भय, चिंता और ट्रॉमेटिक स्ट्रेस का स्वास्थ्य पर लंबा प्रभाव पड़ता है. इन प्रभावों को दुनिया भर के उन लोगों द्वारा भी महसूस किया जा रहा है जिनका लिंक गाजा और इजरायल से नहीं है.

गाजा-इजरायल (फोटो- PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 18 अक्टूबर 2023,
  • अपडेटेड 1:47 PM IST
  • अपने परिवार को मीडिया डाइट पर रखें
  • बच्चों को अंधेरे में न रखें

इजरायल और गाजा की स्थिति गंभीर होती जा रही है. इसके बारे में जानने के लिए और समाचार के लिए हम और आप टीवी और सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं. ट्विटर, फेसबुक, टीवी पर आ रहीं बिना फिल्टर वाली तस्वीरें और वीडियो दिल दहलाने वाली हैं. अपनी जख्मी माओं से लिपटकर रोते बिलकते बच्चों से लेकर लाशों से ढेर वाली तस्वीरें हर किसी को परेशान करने वाली हैं. और इसका असर हमारे बच्चों सहित हम सभी पर पड़ रहा है. अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन ने इस सप्ताह एक बयान जारी कर चेतावनी दी है कि हिंसक और दर्दनाक समाचारों का असर हमारी मेंटल हेल्थ पर पड़ सकता है. 

अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन ने अपने बयान में कहा, “साइकोलॉजिकल साइंस हमें बताती है कि भय, चिंता और ट्रॉमेटिक स्ट्रेस का स्वास्थ्य पर लंबा प्रभाव पड़ता है. इन प्रभावों को दुनिया भर के उन लोगों द्वारा भी महसूस किया जा रहा है जिनके परिवार और दोस्त इस क्षेत्र में हैं, साथ ही वे लोग भी युद्ध के प्रभावों के बारे में चिंतित हैं. ऐसे में अपनी मेंटल हेल्थ को स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है.  

कैसे मिलेगी मदद?

अगर आप या आपका कोई परिचित सुसाइडल विचारों या मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहा है, तो उनसे बात करें. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, ये तस्वीरें हमें चिंतिंत करती हैं कि खतरा हमारे कितने करीब है. हमने जो कुछ सुना है या जो कुछ पढ़ा है, उससे ज्यादा तस्वीरें या वीडियो एक फिल्म की तरह हमारे दिमाग में बनी रहती हैं. वे हमारे दिमाग से इतनी जल्दी नहीं निकलती हैं.

कैसे रखें अपनी मेंटल हेल्थ का ख्याल 

-अपने परिवार को मीडिया डाइट पर रखें

अपने परिवार से कहें कि सबसे पहले आप समाचारों का सेवन और अपने सोशल मीडिया को सीमित करें. ऐसा नहीं है कि आप न्यूज न देखें लेकिन सोशल मीडिया पर स्क्रॉल न करें. मीडिया आउटलेट्स को थोड़ा सीमित कर दें. समाचार के लिए दिन के 30 मिनट ही रखें. ये 30 मिनट सोने से पहले नहीं होने चाहिए. 

-बच्चों को अंधेरे में न रखें

अपने बच्चों से बात करें और उन्हें बताएं कि वे क्या पूछ रहे हैं, क्योंकि वे जो कल्पना कर रहे हैं वह और भी बुरा हो सकता है. यहां तक ​​कि डरावना भी हो सकता है अगर आप स्मार्ट नहीं हैं तो. माता-पिता के लिए बातचीत शुरू करना सबसे जरूरी है. 

-अपनी और अपने बच्चों की भावनाओं पर ध्यान दें

सभी साइकेट्रिक डाइग्नोस वास्तव में हमारी नॉर्मल फीलिंग्स का एक एक्सटेंडेड वर्जन होती हैं. हर कोई कभी-कभी स्ट्रेस लेते हैं लेकिन जब चीजें मुश्किल और तनावपूर्ण होती हैं, जैसे कि अब हैं, तो वे अधिक चिंतित हो जाते हैं, और यह सामान्य है. लोगों को ऐसे में सुसाइडल विचार भी आने लगते हैं. 

-अपना स्ट्रेस खत्म करने वाली एक टूलकिट बनाएं

सबसे जरूरी है कि आप ऐसी टूलकिट बनाएं जो आपका तनाव खत्म करती है. जैसे आप सुबह और शाम में पांच मिनट दौड़ने जा सकते हैं, एक्सरसाइज कर सकते हैं या कुछ अच्छा खा सकते हैं. या फिर आप अच्छे लोगों के साथ समय बिता सकते हैं. 

-आप इसमें अकेले नहीं हैं

यह हमेशा ध्यान रखें कि आप इसमें अकेले नहीं हैं. परिवार, दोस्तों या समान विचारधारा वाले ग्रुप से जुड़ें, या अगर आपको लगता है कि आपको अलग से और सहायता की जरूरत है तो किसी एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 


 

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