IDIOT Syndrome: अगर आप भी ढूंढते हैं इंटरनेट पर बीमारी का इलाज तो IDIOT Syndrome के हैं शिकार, जानें इससे बचाव के उपाय

IDIOT सिंड्रोम वाले मरीज अक्सर इंटरनेट सर्च के आधार पर बीमारी का डायग्नोसिस करते हैं, जोकि उन्हें लक्षणों को जरूरत से ज्यादा समझकर गलत दवा लेने या गलत सेल्फ ट्रीटमेंट में उलझाने की ओर ले जाता है.

IDIOT Syndrome
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:59 PM IST
  • आप भी ढूंढते हैं इंटरनेट पर इलाज तो हो जाएं सावधान
  • क्या है इस बीमारी के लक्षण

आज हर तरह की जानकारी इंटरनेट पर मौजूद है. कौन सी मूवी कैसी है...इंटरनेट पर रेटिंग देख लेते हैं...चेहरे पर पहले जैसी रौनक नहीं रही...इंटरनेट पर घरेलू नुस्खे पढ़ लेते हैं...सांस फूल रही है... इंटरनेट पर इलाज खोजने लगते हैं...हमारे आस पास ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी बीमारी के निदान और उपचार के लिए भी इंटरनेट पर भरोसा करते हैं. ऐसे लोग बजाय डॉक्टर से दिखाने के खुद अपने शरीर में लक्षण ढूंढते हैं और ही खुद इलाज भी तय कर लेते हैं.

क्या है IDIOT सिंड्रोम
अगर आप भी ऐसे लोगों की गिनती में आते हैं तो आप IDIOT सिंड्रोम से जूझ रहे हैं. IDIOT सिंड्रोम का मतलब है- Internet Derived Information Obstruction Treatment. यानी कि इंटरनेट पर अपनी बीमारी का समाधान ढूंढना. इसके कारण गलतफहमियां पनपने, गलत उपचार होने और रोग बढ़ जाने, यहां तक कि गंभीर ​हो जाने का खतरा हो सकता है.

सेल्फ ट्रीटमेंट में दोहरा जोखिम है

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के जर्नल क्यूरियस में प्रकाशित एक अध्ययन इस विषय पर बात की गई है. IDIOT सिंड्रोम वाले मरीज अक्सर इंटरनेट सर्च के आधार पर बीमारी का डायग्नोसिस करते हैं, जोकि उन्हें लक्षणों को जरूरत से ज्यादा समझकर गलत दवा लेने या गलत सेल्फ ट्रीटमेंट में उलझाने की ओर ले जाता है.

ये कहना गलत होगा कि इंटरनेट हेल्थकेयर टूल नहीं है. विश्वसनीय हेल्थ वेबसाइटें और ऑनलाइन सपोर्ट ग्रुप आपको बेहतर जानकारी प्रदान कर सकते हैं. लेकिन IDOT सिंड्रोम वाले मरीज इंटरनेट पर पढ़कर अपनी बीमारी का खुद इलाज करने लग जाते हैं. ऐसे में खुद दवाएं लेते रहने से मरीज डॉक्टर के पास देर से जाता है. तब तक बीमारी को रोकना मुश्किल हो चुका होता है. 

कैसे ऑनलाइन सर्च हेल्थ टेंशन को बढ़ा सकता है?

बेशक इंटरनेट पर हेल्थ संबंधी हजारों टिप्स मौजूद हैं, लेकिन अगर आप खुद अपनी स्थिति और लक्षण के बारे में इंटरनेट पर सर्च करेंगे तो यह चिंता और तनाव का कारण भी बन सकता है. मान लीजिए आपको आधी रात को सीने में दर्द हो रहा है...आप उठते हैं अपना फोन निकालते हैं और अपने लक्षण लिखते हुए इंटरनेट पर सर्च करने लगते हैं. इंटरनेट पर आपको हार्ट अटैक से जुड़े आर्टिकल्स पढ़ने को मिल जाते हैं... जरूरी नहीं कि सीने में दर्द की वजह हार्ट अटैक का ही संकेत हो. यह खाने-पीने की आदतों की वजह से भी हो सकता है.

साइबरकॉन्ड्रिया, या IDIOT सिंड्रोम, आपके लक्षणों का misinterpret  करने की वजह बन सकता है...इससे आप तनाव में आ जाते हैं कि आपको कोई गंभीर बीमारी है जबकि हो सकता है आपको कोई बीमारी न हो. इंटरनेट आपको नहीं जानता है..आपका डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री, जीवनशैली की आदतों को ध्यान में रखते हुए सही निदान करता है.

साइबरकॉन्ड्रिया आपको ऑनलाइन जानकारी के आधार पर दवाएं बंद करने या बदलने के लिए प्रेरित कर सकता है, जोकि आपकी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है और इसके स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं. हल्के से गंभीर बीमारी तक के लक्षणों के आधार पर बीमारी को अलग-अलग तरीके से नियंत्रित किया जाता है. जब भी संदेह हो तो डॉक्टर से परामर्श लें. वे आपके लक्षणों का सही मूल्यांकन कर सकते हैं, और आपकी चिंताओं का समाधान कर सकते हैं.

 

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