हमारे शरीर का 65 फिसद हिस्सा पानी है. यानी अगर किसी का वजन 100 किलो है तो उस 100 में से 65 किलो पानी है. मतलब हमारे शरीर में ढे़र सारा पानी है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर ये पानी हमारे शरीर में नहीं हो तो क्या होगा? आपको पता होगा कि जब भी कोई रोता है तो हम उसे पानी पिलाते हैं, कोई चक्कर खा कर गिर जाता है तो पहले पानी के छिंटे मारे जाते हैं फिर पानी पिलाया जाता है. कोई गुस्सा करता है तो भी उसे हम पानी पीने की सलाह देते हैं.
धरती पर इतना पानी है कि हम इसे ब्लू प्लैनेट कहते हैं, नदियों झरनों समुंद्रों की बात छोड़ दे तो भी जो जगह सूखी दिखती है वहां पर भी पानी होता है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण इंसान खुद हैं. लेकिन इस पानी की मात्रा हर किसी के शरीर में अलग होती है. जैसे एक व्यस्क के शरीर का 65 फिसदी हिस्सा पानी है. वहीं छोटे बच्चों में 80 फिसदी पानी होता है. जैसे जैसे हमारी उम्र बढ़ती है हमारे शरीर का पानी कम होता जाता है. यानी बुजुर्गों के शरीर में सिर्फ 50 फिसदी पानी होता है. यानी औसतन हम हर वक्त अपने शरीर में करीब 45 लीटर पानी लेकर चलते हैं.
पानी हमारे शरीर की संरचना के लिए जरूरी है
खून में एरोथ्रोसाइट नाम की कोशिकाएं होती हैं. तो ये सिकुड़ने लगती हैं, और एक वक्त पर मर जाती हैं. इसी तरह से मांसपेशियों को अगर पानी नहीं मिलेगा , तो वो 70 फिसदी तक सिकुड़ सकती हैं, और ऐसा ही हाल हमारे मस्तिष्क का भी होगा. क्योंकि मस्तिष्क भी 70 फिसदी पानी से ही तो बना है. यहां पर एक बात गौर करने वाली है कि हमारे दिमाग और हमारी पृथ्वी दोनों का 70 फिसदी हिस्सा पानी है.
कैसे समझें की आपके शरीर में पानी की कमी है?
अक्सर सर दर्द होने पर हममें से ज्यादा तर लोग चाय या कॉफी पीने लगते हैं.जबकि चाय या कॉफी डिहाइड्रेशन की दिक्कत करते हैं, और पानी हमें हाइड्रेट करता है. रिसर्च के मुताबिक हर 20 किलो बॉडी वेट के बदले 1 लिटर पानी की जरूरत होती है, और अगर आपका वजन 80 किलो है तो आपको दिन भर में 4 लिटर पानी पीने की जरूरत है. जो लोग इतना पानी नहीं पीते हैं उनका मुंह सूखा -सूखा सा रहता है. ऐसे लोगों में सांस की बदबू भी होती है. कब्ज की भी दिक्कत होती है. स्किन ड्राइनेस, नाखूनों का टूटना, थकान महसूस होना, और चिडचिड़ापन आम समस्या होती है.
सिर्फ पानी पीने से मूड कैसे बदल जाता है
रोजमर्रा की जिदंगी में पानी बेदह ही अहम है. इंसनी शरीर बहुत सी प्रक्रियाओं के लिए इसपर निर्भर है. शरीर में पानी कई अहम भूमिकाएं निभाता है. ये न्यू्ट्रिशन और ऑक्सीजन को हमारे शरीर की सभी कोशिकाओं तक पहुंचाने का काम करता है. खून के जिस हिस्से को प्लाजमा कहा जाता है वो मूल रूप से पानी से ही बनता है. खून का करीब 55 फिसदी हिस्सा प्लाजमा और बाकी का 45 फिसदी हिस्सा रेड ब्लड सेल , व्हाइट ब्लड सेल और प्लेटलेट्स से बना होता है. पानी की कमी से इम्यूनिटी भी खत्म हो जाती है.
पानी शरीर से कचरा हटाने का काम भी करता है.
यूरिनेशन के जरिए किडनी पानी को फिल्टर करता है, और जिन चिजों की जरूरत नहीं होती उसे पेशाब के जरिए बाहर निकाल देता है. इस तरह हर दिन शरीर से कम से कम डेढ़ लीटर पानी निकलता है. इसलिए पानी पीते रहना चाहिए. खाने के जरिये मिलने वाले पोषक तत्वों को सोखने को लिए भी शरीर को पानी की जरूरत होती है. यानी शरीर को खाना तभी लगेगा जब आप सही मात्रा में पानी पिएंगे. हम जो भी खाना खाते हैं , पानी उसे छोटे हिस्सों में तोड़ने में मदद करता है. इसके साथ मापी के साथ मिलकर ये पोषक तत्व शरीर के अलग- अलग हिस्सों तक जाते हैं. कुछ न्यूट्रिएंस वॉटर सॉलुबल यानी पानी में घलने वाले होते हैं. यानी पानी नहीं मिलेगा तो ये वैसे ही शरीर के बाहर निकल आएंगे.
गर्मियों के मैसम में पानी की जरूरत
पानी शरीर को गर्म होने से बचाता है . जब हमें गर्मी लगती है तो शरीर नमक और पानी को शरीर से बाहर निकालना शुरू कर देता है. क्योंकि शरीर गरम होता है इसलिए पसीना भाप बन कर उड़ने लगता है और शरीर ठंडा हो जाता है. कुल मिलाकर पानी ना होता तो इंसानों का आस्तित्व भी नहीं होता. पानी के लिए कहावत भी है कि बिन पानी सब सूना. पानी नहीं पिएंगे तो वजन बढ़ेगा, वजन बढ़ने से तमाम तरह की बिमारियां पैदा होंगी. इसलिए तो कहा गया है जल ही जीवन है.