Study on Coronary Heart Disease: समय-समय करवाते रहें इस प्रोटीन का चेकअप, नहीं तो बढ़ सकता है दिल की बीमारी का खतरा

जो लोग पहले से ही सीएचडी का अनुभव कर चुके हैं, उन्हें इसका दोबारा जोखिम है. इस रिसर्च में 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 607 ऑस्ट्रेलियाई लोगों को शामिल किया गया. सभी को सीएचडी था. इस रिसर्च से संकेत मिलते हैं कि एलपी (ए) को कम करने से, दिल से जुड़ी बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है. 

Coronary Heart Disease
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 जून 2023,
  • अपडेटेड 12:24 PM IST
  • कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से सीएचडी का जोखिम
  • समय-समय करवाते रहें इस प्रोटीन का चेकअप

Blood Streams में खराब कोलेस्ट्रॉल का एक प्रकार (लिपोप्रोटीन (ए)) का हाई लेवल 60 और उससे अधिक उम्र के लोगों में कोरोनरी हार्ट डिजीज (सीएचडी) के जोखिम को बढ़ा सकता है. हाल में हुए एक अध्ययन में ये जानकारी सामने आई है. करंट मेडिकल रिसर्च एंड ओपिनियन में ये रिसर्च प्रकाशित हुई है. इसके मुताबिक कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं बार-बार होने वाले सीएचडी के जोखिम को कम करने में प्रभावी नहीं हो सकती हैं और इससे हार्ट अटैक का खतरा भी कम नहीं होता है.

ये रिसर्च बढ़े हुए एलपी (ए) लेवल और सीएचडी के जोखिम के बीच संबंधों की तरफ इशारा करती है. ये बात जाहिर है कि जो लोग पहले से ही सीएचडी का अनुभव कर चुके हैं, उन्हें इसका दोबारा जोखिम है. इस रिसर्च में 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 607 ऑस्ट्रेलियाई लोगों को शामिल किया गया. सभी को सीएचडी था. इस रिसर्च से संकेत मिलते हैं कि एलपी (ए) को कम करने से, दिल से जुड़ी बीमारी को रोकने में मदद मिल सकती है. पिछले शोध में ये जानकारी सामने आई थी कि सीएचडी के विकास में एलपी (ए) का उच्च स्तर भी एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है. वैज्ञानिक समय-समय पर लिपोप्रोटीन (ए) का टेस्ट कराने की सलाह देते हैं. लिपोप्रोटीन (ए) का नार्मल लेवल 30 मिलीग्राम / डीएल से कम माना जाता है. इससे ज्यादा होने पर आपको अपने लाइफस्टाइल में जरूरी बदलाव करने पड़ सकते हैं.

सिकुड़ जाती हैं खून की नसें

सीएचडी हार्ट डिजीज का सबसे आम प्रकार है. यह तब होता है जब दिल को ब्लड की आपूर्ति करने वाली धमनियां वॉल्स के भीतर फैटी मटीरियल के निर्माण से संकुचित हो जाती हैं. यह दिल के दौरे का सबसे आम कारण है और सालों से दुनिया भर में होने वाली पुरुषों और महिलाओं की मौत का सबसे बड़ा कारण रहा है.

लिपोप्रोटीन बढ़ने से क्या होता है?

अगर किसी के ब्लड में लिपोप्रोटीन (ए) का स्तर हाई है तो उसे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है. लिपोप्रोटीन प्रोटीन और वसा (लिपिड) से बने होते हैं. वे ब्लड फ्लो के माध्यम से कोशिकाओं को कोलेस्ट्रॉल पहुंचाते हैं.

कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से सीएचडी का जोखिम

खून में कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर सीएचडी के जोखिम को बढ़ा सकता है. कोलेस्ट्रॉल प्रोटीन के अंदर लिपटे छोटे अणुओं में आपके रक्त प्रवाह के माध्यम से यात्रा करता है. लिपोप्रोटीन में कम डेनसिटी वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल), हाई डेनसिटी वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) और एलपी (ए) शामिल हैं. एलडीएल कोलेस्ट्रॉल को अक्सर 'खराब कोलेस्ट्रॉल' कहा जाता है क्योंकि यह रक्त वाहिकाओं की वॉल्स में जमा हो जाता है, जिससे हृदय रोग का खतरा बढ़ जाता है. इसके बढ़ने से हार्ट ठीक से काम नहीं कर पाता. LDL के तेजी से बढ़ने के दो कारण हैं. पहला गलत खानपान और दूसरा फिजिकल एक्टिविटी नहीं करना.

 

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