कोरोना वायरस का कहर अभी खत्म भी नहीं हुआ था कि मंकीपॉक्स ने दस्तक दे दी. भारत में अब तक मंकीपॉक्स के सात मामले सामने आ चुके हैं और एक मरीज की जान चली गई है. मंकीपॉक्स बहुत कम मामलों में ही घातक होता है. मंकीपॉक्स से जुड़े तमाम सवालों के बीच कई भ्रामक बातें और दावे हैं, जो तेजी से फैल रहे हैं. हालांकि जानकारों का मानना है कि ये बीमारी कोरोना या स्मॉल पॉक्स जैसी खतरनाक नहीं है. बावजूद इसके सरकार इस संक्रमण को रोकने के लिए कई जरूरी कदम उठा रही है.
मंकीपॉक्स के मामलों पर नजर रखने के लिए एक प्रमुख टास्क फोर्स बनाया गया है. यह टास्क फोर्स बीमारी की जांच और रोथाम के उपायों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक सलाह और दिशा निर्देश देगा.
दिल्ली के लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल में मंकीपॉक्स से पीड़ित मरीजों के लिए आइसोलेट वार्ड बनाया गया है.
भारत सरकार ने मंकीपॉक्स की वैक्सीन विकसित करने के लिए टेंडर जारी कर दिया है.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने वायरस का जल्द पता लगाने के लिए देश भर में टेस्ट के लिए 15 लैब तैयार किए जा रहे हैं. टेस्टिंग के लिए टीम को ट्रेनिंग दी गई है.
भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की बीते 21 दिनों में ऐसे किसी देश की यात्रा की है जहां पर मंकीपॉक्स का संक्रमण है, तो उसे इसकी जानकारी स्वास्थ्य अधिकारियों को देनी होगी.
मंकीपॉक्स को लेकर सरकार ने जारी किए हैं दिशा निर्देश
देश में मंकीपॉक्स का पहला मरीज आने के बाद से ही सरकार ने गाइडलाइन जारी किया था, जिसके अनुसार मंकीपॉक्स के संपर्क में आए व्यक्ति को 21 दिनों तक आइसोलेशन में रहना जरूरी है. क्योंकि मंकीपॉक्स का इन्क्यूबेशन पीरियड 21 दिनों का है. इसके अलावा सरकार ने मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया है. अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं तो हाथों को साबुन से धोएं. मंकीपॉक्स से प्रभावित त्वचा को पूरी तरह से ढक कर रखना भी जरूरी है.
मंकीपॉक्स अब तक 80 देशों में फैल चुका है. दुनियाभर में मंकीपॉक्स के 23,620 मामले सामने आ चुके हैं. मंकीपॉक्स, एक वायरस के कारण होता है, जो स्मॉलपॉक्स की फैमिली का ही एक वायरस है. मंकीपॉक्स वायरस संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में अप्रत्यक्ष या सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है.